यूरोप में सऊदी मस्जिदें आतंकवाद का गढ़!!

ब्रिटेन के विश्लेषक का मानना है कि सऊदी अरब दुनिया में न केवल सबसे बड़ा तेल निर्यातक है बल्कि आतंकवाद और वहाबी विचारधार का सबसे बड़ा स्रोत भी है।

डेविद गार्नर ने ब्रिटने के समाचार पत्र फ़ाइनेन्शल टाइम्स में लिखाः आले सऊद शासन ने दुनिया में बहुत से जिहादियों को भेजा है और वह वहाबी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है।

इस विश्लेषक ने आगे लिखाः सऊदी अरब दुनिया में केवल तेल का निर्यात नहीं कर रहा है बल्कि जिहादियों के नाम पर आतंकवादियों का टोला भी दुनिया में निर्यात कर रहा है।

इस विश्लेषक के अनुसार सऊदी अरब ने 1990 की दहाई में शीत युद्ध की समाप्ति के साथ ही यूरोप में मस्जिदों के निर्माण और उनको आधुनिक करने का कार्य आरम्भ किया और यूरोप के अधिकतर देशों जैसे अल्बानी,कोसोवो, बोस्निया, मैसिडोनिया और बुल्गारिया के कुछ हिस्सों में वहाबी विचारधारा को फैलाने के लिए मस्जिदों का निर्माण किया और जैसा कि हम देख रहे हैं कि अधिकतर आतंकवादी जैसे isis इसी वहाबी विचारधारा से प्रेरित हैं।

गार्नर अपने दावे की दलील के तौर पर लिखते हैं: isis ज़ियारतगाहों को गिरा रहा है जैसा कि वहाबियों ने दो शताब्दी पहले इस कार्य को आरम्भ किया था और यह बात किसी से छिपी नहीं है कि सऊदी अरब की स्थापना भी वहाबियत के हाथों ही हुई थी।

स्पष्ट रहे कि सऊदी अरब द्वारा आतंकवादी सोंच के समर्थन के कारण ही कुछ सालों से यूरोपीय देशों की सरकारें  मस्जिदों के निर्माण पर संवेदनशील हो गई हैं। जैसा कि स्पेन की सरकार ने बार्सिलोना शहर में क़तर को जनवरी 2014 में मस्जिद बनाने अनुमति अनुमति नहीं दी।

सऊदी समाचार पत्र अल शर्क अल अवसत ने 12 साल पहले 2 अक्टूबर को यूरोपी सरकारों की तरफ़ से सऊदी अरब द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा दिये जाने पर प्रतिक्रिया दिखाते हुए "फ़हाद अब्दुल्लाह अल ज़ैद" की तरफ़ से लिखा था "जो सहायता हम बूस्निया भेज रहे हैं वह मस्जिदों के निर्माण और लोगों को क़र्ज़ देने के लिए है आतंकवाद के समर्थन के लिए नहीं"!!

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