विश्व क़ुद्स दिवस

विश्व क़ुद्स दिवस

विश्व क़ुद्स दिवस, समस्त समस्त जातीय व भाषायी विशेषताओं को भूलकर एक राष्ट्र बनकर फ़िलिस्तीनियों से सहृदयता व्यक्त करने और पहले क़िब्ले की वापसी के लिए इमाम ख़ुमैनी के आदेश का पालन करते हुए विश्व क़ुद्स मनाने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस इस्लामी जगत के शत्रुओं के विरुद्ध एकजुट होकर मुसलमानों के विभाजन के घिनौने षड्यंत्रों को विफल बनाने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, फ़िलिस्तीन और इस्लामी धरती को साम्राज्यवादी शक्तियों के चंगुल से छुड़ाने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, मिस्र, फ़िलिस्तीन, सीरिया तथा इस्लामी जगत के महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, मुसलमानों की एकता और अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के विरुद्ध संयुक्त संघर्ष का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, अत्याचार ग्रस्त लोगों का अत्याचारियों के विरुद्ध उठ खड़े होने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, वैश्विक आतंकवादी अमरीका और अवैध ज़ायोनी शासन के विरुद्ध घोर विरोध और साम्राज्यवादी शक्तियों के अपवित्र इरादों को विफल बनाने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, फ़िलिस्तीन और मुसलमानों की एकता के प्रतीक का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, जुमे की नमाज़ के ख़ुतबों में विश्व क़ुद्स दिवस के संबंध में विशेष भाषण देने का दिन।

विश्व क़ुद्स दिवस, दुनियाभर के न्यायप्रिय लोगों का एकजुट होकर वर्चस्ववाद और विस्तारवाद के विरुद्ध गगन भेदी नारे लगाने का दिन।

क़ुद्स, पहला क़िबला और दुनिया भर के मुसलमानों का दूसरा हरम है यह फ़िलिस्तीन के उन दसियों लाख मुसलमानों की असली ज़मीन है जिसे आलमी इस्तेकबार ने ग़ासिब सेहयोनियों (जायोनियों) के हाथों आज से ठीक 60 साल पहले सन 1948 में अपने देश से निकाल कर क़ुद्स के ग़ासिब, सेहयोनी के हाथों में दे दिया था। इस साम्राज्यवादी साज़िश के खिलाफ फिलिस्तीनी मुसलमानों ने शुरू से ही विरोध किया और मज़लूमों की क़ुर्बानियों और उनके सब्र और प्रतिरोध के लिए पूरी दुनिया के आज़ाद इंसानों ने उनकी हिमायत की और उसी समय से फ़िलिस्तीन का मामला एक सियासी फौजी जद्दोजहद (संघर्ष) की शक्ल में इस्लामी दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और तकदीरसाज़ मुद्दे की सूरत इख़्तियार किए हुए है।

इस्लामी ईरान की पब्लिक और सरकार ने भी इस्लामी क्रांति की ज़बरदस्त कामयाबी के बाद से ग़ासिब ज़़ायोनियों के चंगुल से क़ुद्स की आज़ादी के मुद्दे को अपना पहला मक़सद बना रखा है और रमज़ान के मुबारक महीने के आख़री जुमे को क़ुद्स दिवस का नाम देते हुए उस दिन को जालिमों के खिलाफ हुर्रियत और आज़ादी के नारों में तब्दील कर दिया है।

इस्लामी इंक़ेलाब के तुरंत बाद हज़रत इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने ज़ायोनियों के चंगुल से क़ुद्स की रिहाई के लिए इस दिन को क़ुद्स दिवस ऐलान करते हुए अपने तारीख़ी पैग़ाम में कहा था मैंने बहुत पहले से, लगातार ग़ासिब इस्राईल के खतरों से मुसलमानों को ख़बरदार किया है और उनके खतरे से होशियार रहने की सलाह भी दी है और चूंकि फिलिस्तीनी भाइयों और बहनों के खिलाफ उनके वहशियाना हमलों में तीज़ी आ गई है खास तौर पर दक्षिण लेबनान में फिलिस्तीनी मुजाहिदीन को ख़त्म कर देने के लिए उनके घरों और काशानों पर बमबारी कर रहे हैं मैं पूरे इस्लामी मुल्कों और इस्लामी हुकूमतों से चाहता हूँ कि गासिबों और उनके सहयोगियों के हाथ काट देने के लिए आपस में एकजुट हो और रमज़ान के मुबारक महीने के आख़री जुमें को फिलिस्तीनियों के मुक़द्दर तय करने के लिए, क़ुद्स दिवस का नाम देता हूँ ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी मुसलमान फिलिस्तीनी मुसलमानों के कानूनी अधिकारों के समर्थन और हिमायत का एलान करें। में पूरी ज़ालिम हुकूमतों पर मुसलमानों की कामयाबी के लिए अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ करता हूँ।

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