ग़ज़्ज़ा बना ज़ायोनी सैनिकों का क़ब्रिस्तान


मंगलवार को बीस फिलिस्तीनी शहीद

मंगलवार को गज़्ज़ा पर इस्राईली हमलों में अब तक बीस फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं जबकि इस्राईल ने अपने दो सैनिकों की मौत को स्वीकार किया है।

इस प्रकार से इस्राईल ने अब तक अपने सत्ताइस सैनिकों की मौत स्वीकार की है जबकि क़स्साम ब्रिगेड के बयानों की अनुयार इस युद्ध में मारे जाने वाले इस्राईली सैनिकों की संख्या कहीं अधिक है।

अलमयादीन टीवी चैनल के अनुसार ग़ज़्ज़ा के चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि इस्राइली युद्धक विमानों व तोपों ने मंगलवार तड़के ग़ज़्ज़ा के अनेक क्षेत्रों पर बमबारी की जिसमें कम से कम 20 फ़िलिस्तीनी शहीद और दसियों अन्य घायल हुए।

इस रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी सैनिकों की बमबारी में शहीद होने वालों में छह सदस्य एक ही परिवार के थे जिनके पास जर्मनी की नागरिकता थी।

ज़ायोनी तोपों ने ख़ान यूनुस में मदद पहुंचाने वाली एम्बयूलेंसों को निशाना बनाया।

ज़ायोनी नौसेना ने युद्धपोतों से ग़ज़्ज़ा के तटों पर बमबारी की जिसमें संभावित नुक़सान के बारे में अभी ब्योरा प्राप्त नहीं हुआ है।

जवाबी कार्यवाहीः

इस्राईली बमबारी का उत्तर देते हुए क़स्साम ब्रिगेड ने अपने क्षेत्र से निकल कर इस्राईली सैनिकों पर हमले किये तथा ज़ायोनी बस्तियों में राकेट बरसाए जबकि तिल अबीब पर एम ७५ मिसाइल मारे और उस्दूद बस्ती पर १४ ग्रेड मिसाइल दागे।

इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने ज़ायोनी शासन के अपराधों के जवाब में इस शासन की सेना की छावनियों पर दसियों रॉकेट फ़ायर किए।

फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने इस्राइली सैनिकों के साथ झड़प में अब तक चालीस इस्राइली सैनिकों को मार गिराया है।

ज़ायोनी सेना ने मंगलवार की सुबह ग़ज़्ज़ा में दो और सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की है।

इससे पहले ज़ायोनी सेना 27 सैनिकों के मारे जाने और 400 के घायल होने की बात स्वीकार कर चुकी है।

गज़्ज़ा को इस्राईली सैनिकों का कब्रिस्तान बना देंगे

हमास के वरिष्ठ सदस्य इस्माईल हनीया ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा को ज़ायोनी सैनिकों का क़ब्रिस्तान बना देंगे।

इस्माईल हनीया ने सोमवार की शाम ग़ज़्ज़ा में एक भाषण के दौरान ग़ज़्ज़ा पर हमले के पीछे अपने हित साधने में ज़ायोनी शासन की नाकामी की ओर इशारा करते हुए कहा कि प्रतिरोध के जियालों ने यह सिद्ध कर दिया कि ग़ज़्ज़ा ज़ायोनियों का क़ब्रिस्तान बन गया है।

इस्माईल हनीया ने ग़ज़्ज़ा वासियों के ख़िलाफ़ इस्राईल के शत्रुतापूर्ण हमले  की ओर इशारा करते हुए बल दिया कि ज़ायोनी अतिग्रहणकारियों ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के संकल्प को तोड़ने की कोशिश की किन्तु ईश्वर की कृपा व प्रतिरोध के सहारे वे हार गए।

इस्माईल हनीया ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के ज़मीनी हमले का अर्थ यह है कि उसके हवाई हमले नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता पूरी शक्ति के साथ अपनी भूमि की रक्षा करेंगे।

अमरीका को भी संघर्ष विराम की चिंता होने लगी

अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम कराने के संबंध में मिस्र पहुंचे।

ब्लूमबर्ग वेबसाइट के अनुसार जॉन केरी सोमवार की रात मिस्र की राजधानी क़ाहेरा पहुंचे ताकि हमास और इस्राइली सेना के बीच संघर्ष विराम कराने की शैली के बारे में विचार विमर्श करें।

वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से मिस्र की ओर से संघर्ष विराम के सुझाव के बारे में भेंटवार्ता करेंगे।

बान की मून अमरीकी विदेश मंत्री से पहले क़ाहेरा पहुंचे और मिस्री विदेश मंत्री से भेंट के बाद उन्होंने संयुक्त प्रेस कांफ़्रेंस की।

मिस्री सरकार ने ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम का सुझाव पेश किया है।

हमास के इन्कार की वजह?

हमास का कहना है कि वह मिस्र के संघर्ष विराम के सुझाव को इसलिए नहीं मानेगा क्योंकि इसमें केवल इस्राईल के हितों को मद्देनज़र रखा गया है और फ़िलिस्तीनियों के हितों की अनदेखी की गयी है।

हमास ने इस्राईल के साथ संघर्ष विराम के लिए ग़ज़्ज़ा की सात साल से इस्राईल की ओर से जारी नाकाबंदी ख़त्म किए जाने और फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहायी की शर्त रखी है।

फ्रांस को भी शर्म आ ही गयी

दूसरी ओर फ़्रांस की सरकार ने ग़ज़्ज़ा के समर्थकों के मुक़ाबले में पीछे हटते हुए फ़िलिस्तीन के समर्थन में पेरिस में प्रदर्शन के आयोजन की अनुमति दे दी  है।

रेडियो आर टी एल की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार के प्रदर्शन के बाद जो पुलिस के हस्तक्षेप से हिंसक हो गया था, पेरिस पुलिस ने ग़ज़्ज़ा की जनता के समर्थन में प्रदर्शन के आयोजन की इजाज़त दे दी है।

यह प्रदर्शन बुधवार को पेरिस में आयोजित होंगे।

मानवाधिकार संस्था भी जागीं

एमनेस्टी इंटरनेश्नल ने ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों और इस शासन के युद्ध अपराधों की जांच की मांग की है।

ज्ञात रहे पिछले हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र संघ ने पिछले हफ़्ते एक रिपोर्ट में बताया था कि ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हमलों का निशाना बनने वालों में 77 प्रतिशत आम हैं।

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