इस्राईल ग़ज़्ज़ा पर कैंसर फैलाने वाले बम बरसा रहा है!
परिवेष्टन से घिरे ग़ज़्ज़ा में नार्वे के एक डाक्टर ने फ़िलिस्तीनी नागरिकों पर कैंसर पैदा करने वाले बम मारने के कारण इस्राईल की भर्त्सना की। डाक्टर एरिक फ़ॉस ने प्रेस टीवी से बात-चीत में कहा कि ग़ज़्ज़ा के अस्पतालों में भर्ती ज़्यादातर बीमार आम लोग हैं जो उनके घरों पर होने वाले हमले में घायल हुए हैं और घायलों में तीस प्रतिशत बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि इन बमों को डाइम या डेन्स इनर्ट मेटल इक्सप्लोसिव कहा जाता है। यह बहुत छोटे और हल्के होते हैं। इन बमों को ड्रोन विमान से गिराया जाता है।
उन्होंने कहा कि ये बम ज़मीन पर फटते ही लोहे के छोटे टुकड़ों के रूप में बहुत तेज़ी से फैल जाते हैं। नार्वे के डाक्टर एरिक फ़ॉस ने कहा कि जो लोग इस बम की चपेट में आते हैं उनमें बहुत कम ही लोग ज़िन्दा बच पाते हैं और अगर बच भी जाएं तो उनका आधा बदन बेकार हो जाता है। डाइम बम को लड़ाई में अनिच्छित नुक़सान को कम से कम करने के लिए बनाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बम से छोटी व प्रभावी किरणें निकलती हैं और जो लोग इसकी चपेट में आते हैं उन पर बहुत ख़तरनाक जैविक प्रभाव पड़ता है।
एरिक फ़ॉस ने जो ओस्लो में एक विश्वविद्यालय के निरीक्षण वाले अस्पताल के एक विभाग के अध्यक्ष हैं, बताया है कि ग़ज़्ज़ा में कुछ फ़िलिस्तीनियों को नए प्रकार के हथियारों से घाव लगे हैं और जिन डाक्टरों को रणक्षेत्र का अनुभव नहीं है, वे इन घावों का पता नहीं लगा पाते।
ज्ञात रहे कि इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा पर नवंबर 2012 में अपने हमले में डिप्लीटेड यूरेनियम और फ़ास्फ़ोरस बमों का प्रयोग किया था। ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल की बमबारी मंगलवार से जारी है। इस्राईल के ताज़ा हमले में बत्तीस फ़िलिस्तीनी शहीद हुए हैं। फ़िलिस्तीनी सूत्रों के अनुसार इस्राईल युद्धक विमानों ने पिछले चौबीस घंटे में दो सौ स्थानों पर हमले किए। ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के पाश्विक हमले में अब तक 173 फ़िलिस्तीनी शहीद और 1100 से ज़्यादा घायल हुए हैं।
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