एक ऐसा द्वार जो केवल रोज़ेदार के लिए ही खुलेगा

एक ऐसा द्वार जो केवल रोज़ेदार के लिए ही खुलेगा

जो शख्स रमज़ान के महीने में क़ुर्आन की एक आयत की तिलावत करेगा गोया उसने दूसरे महीनों में पूरे क़ुर्आन की तिलावत की

रसूले खुदा (स) ने फरमायाः रोज़ा जहन्नम की आग के मुक़ाबले में ढाल की हैसियत रखता है।

यानि रोज़ा रखने से इंसान जहन्नम की आग से सुरक्षित हो जाता है।

रोज़ा बदन की ज़कात

पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) ने फरमायाः हर चीज़ के लिए ज़कात है और बदन की ज़कात रोज़ा है। (अलकाफी - जिल्द 4, पेज 62, हदीस 3)

रोज़ा जहन्नम की आग की ढाल

रसूले खुदा (स) ने फरमायाः रोज़ा जहन्नम की आग के मुक़ाबले में ढ़ाल की हैसियत रखता है। यानि रोज़ा रखने से इंसान जहन्नम की आग से सूरक्षित हो जाता है। (अलकाफी - जिल्द 4, पेज 162)

रोज़े की अहमियत

रसूले अकरम (स) ने फरमायाः गर्मी मे रोज़ी रखना जिहाद है। (बिहारुल अनवार - जिल्द 96, पेज 257)

रोज़े का सवाब

पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स) ने फरमायाः रोज़ा मेरे लिए है (और मेरा है) और इसकी जज़ा मै ही देता हूँ। (वसाईलुश्शिया - जिल्द 7, पेज 294)

जन्नत की ग़िज़ा और खाना

रसूले खुदा (स) ने फरमायाः जिस इंसान को रोज़ा उसकी पसंदीदा और मतलूबा ग़िज़ाओं से मना करके रखे, खुदा की ज़िम्मेदारी है कि वह उसको जन्नत की ग़िज़ायें खिलाए और उसे जन्नती शराब पिलाए। (बिहारुल अनवार - जिल्द 93, पेज 331)

रोज़े रखने वाले खुश नसीब हैं

रसूले अकरम (स) ने फरमायाः खुश नसीब हैं वह लोग जो खुदा के लिए भूके और प्यासे हुए हैं यह लोग क़्यामत के दिन सेर और सैराब रहेंगे। (वसाईलुश्शिया - जिल्द 7, पेज 299, ह 2)

एक ऐसा द्वार जो केवल रोज़ेदार के लिए ही खुलेगा

पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स) ने फरमायाः जन्नत का एक दरवाज़ा है जिसका नाम रय्यान है और इस दरवाज़े से सिर्फ रोज़ेदार ही दाखिल होंगे। (वसाईलुश्शिया - जिल्द 7, पेज 295, ह 31)

मोमिनों की बहार

रसूले खुदा (स) ने फरमायाः सर्दियों का मौसम मोमिन की बहार है जिसकी लम्बी रातों से वह इबादत के लिए इस्तेमाल करता है और उसके छोटे दिनों में रोज़े रखता है। (वसाईलुश्शिया - जिल्द 7, पेज 302, ह 3)

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