हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के स्वर्ण कथन

हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के स्वर्ण कथन

यहां पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के अध्ययन हेतू   हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के दस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे है।

1-मोमिन की तीन अवश्यक्ताऐं

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मोमिन को अवश्क्ता है कि अल्लाह  से तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) प्राप्त करे,अपनी आत्मा से स्वंय उपदेश ले व नसीहत करने वाले की नसीहत को स्वीकार करे।

2-रहस्य

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी कार्य के दृढ़ होने से पहले उसका रहस्योदघटन उस कार्य के छिन्न भिन्न होने का कारण बनता है।

3-सम्पत्ति की वृद्धि

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब तक व्यक्ति अल्लाह का धन्यवाद करता रहता है अल्लाह उसके धन मे वृद्धि करता रहता है।

4-तौबा
 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तौबा मे देर करना धोका है। और तौबा की देरी को अधिक बढ़ाना हैरानी (उद्विग्नता) है। और अल्लाह से टाल मटोल करने मे हलाकत (विनाश)है।

5- प्रसन्नता व अप्रसन्नता

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी कार्य मे उपस्थित हो परन्तु उस कार्य से प्रसन्न न हो तो वह अनुपस्थित समान है। और अगर कोई किसी कार्य मे अनुपस्थित हो परन्तु उस कार्य से प्रसन्न हो तो वह उस कार्य मे उपस्थित व्यक्ति के समान है।

6-मित्रता व शत्रुता

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने कुछ पैगम्बरों पर वही (संदेश) भेजी कि तुम्हारे दिल का संसार से उचाट हो जाना तुमको शीघ्र ही आराम पहुँचाने वाला है। और (दूसरों की ओर से मुँह मोड़ कर ) मेरी ओर आकृषित हो जाना तुम्हारे लिए मेरी ओर से तुमको  दिया गया सम्मान है।(किन्तु यह सब तो स्वंय तुम्हारे लिए है)अब प्रश्न यह है कि क्या तुमने मेरे किसी मित्र से मेरे कारण मित्रता व मेरे किसी शत्रु से मेरे कारण शत्रुता की?

7-दुष्ट का साथ

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई किसी दुष्ट को उम्मीदवार बना दे या उसकी इच्छा को पूरा कर दे तो उसका सबसे कम दण्ड यह है कि उसको समस्त वस्तुओं से वांछित कर दिया जायेगा।

8-मूर्ख का चुप रहना

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर अज्ञानी व मूर्ख व्यक्ति चुप रहें तो मनुष्यों के मध्य मत भेद न हो।

9-विश्वासघात

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी विश्वासघाती का धरोहर होना भी विश्वासघाती होने के समान है।

10-कथन का सुननना

 हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई किसी की बात को सुन रहा है तो ऐसा है जैसे वह उसकी पूजा कर रहा है। अगर बोलने वाला अल्लाह की बात कह रहा है तो उसने अल्लाह की इबादत की और अगर बोलने वाला शैतान की ज़बान मे बोल रहा है तो उसने शैतान की इबादत की।

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