महदी (अ) हम अहलेबैत से है।

महदी (अ) हम अहलेबैत से है।

यनाबीऊल मवद्दत में अबू अय्यूब अंसारी से रिवायत है, वह बयान करते हैं रसूलल्लाह (स) ने फ़ातिमा (अ) से फ़रमाया: मैं अंबीया से अफ़ज़ल और तुम्हारा बाप हूँ और अली अवसीया में बेहतर है जो तुम्हारा शौहर है हमारे दरमियान जो शौहदा में अफ़ज़ल है वह तुम्हारे बाप के चचा हमज़ा हैं और तुम्हारे बाप के चचा का फ़रज़नंद जाफ़र है जिसके... दो पर हैं जिनके ज़रीये जन्नत में जहाँ चाहते हैं परवाज़ करते हैं और हमारे दरमियान इस उम्मत के दो नवासे हसन व हुसैन जवानाने जन्नत के सरदार हैं, यह दोनो तुम्हारे फ़रज़न्द हैं और हम ही में से महदी है जो तुम्हारी औलाद से है।

अल्लामा मनावी की कंज़ुल हक़ाएक़ में आँ हज़रत से रिवायत की गयी है, आपने फ़रमाया: ऐ फ़ातिमा, मैं बशारत देता हूँ कि महदी तुम्हारी नस्ल से है।

मुन्तख़ब कंज़ुल उम्माल में रिवायत की गयी है महदी(अ) हम( अहलेबैत) से औलादे फ़ातिमा की फ़र्द है।

अली हिलाली ने अपने बाप से रिवायत की वह बयान करता है कि मैं हज़रत के मर्ज़े मौत में आप की ख़िदमत में हाज़िर हुआ फ़ातिमा अपने बाप के सरहाने बैठी हुई थी। पस फ़तिमा ने रोना शुरु किया, यहाँ तक कि आपकी आवाज़ बुलंद हुई, रसूलल्लाह(स) ने फ़ातिमा से फ़रमाया: मेरी पारा ए जिगर तुझे किस बात में रूलाया? शाहज़ादी ने फ़रमाया: मैं आपके बाद रुनुमा होने वाले फ़ितने से डरती हूँ। हज़रत नें फ़रमाया: मेरी पारा ए जिगर क्या तुम्हे मालूम है ख़ुदा वंदे आलम ज़मीन पर मुत्तला हुआ पस उसने तु्म्हारे बाबा को मुन्तख़ब किया और रिसालत अता की फिर मुत्तला हुआ तो तुम्हारे शौहर को मुन्तख़ब किया और मुझ पर वहयी फ़रमाई कि तुम्हारा अक़्द अली से कर दूँ, ऐ फ़ातिमा हम अहले बैत को ख़ुदा वंदे आलम ने सात ऐसी फ़ज़ीलतें अती कीं जो किसी एक को भी न हमसे क़ब्ल अता की गयीं और न बाद में अता की जायेगीं। मैं तुम्हारा बाबा ख़ातमुन नबीयीन और नबीयों में अल्लाह के नज़दीक बुज़ुर्ग तरीन हूँ और अली तुम्हारे शौहर मेरे वसी और अवसीया में सबसे बेहतर हैं। और अल्लाह के नज़दीक सबसे महबूब हैं और हममे से तु्म्हारे चचा को ख़ुदा वंदे आलम ने दो सब्ज़ पर अता किये जिसके ज़रीये वह जन्नत में मलाएका के साथ जहाँ चाहते हैं परवाज़ करते हैं। और हम ही में से इस उम्मत के दो नवासे हसन व हुसैन हैं तुम्हारे फ़रज़न्द और जवानाने जन्नत के सरदार हैं। उस ज़ात की क़सम जिसने मुझे मबऊस फ़रमाया उन दोनो के माँ बाप उनसे अफ़ज़ल हैं, उस परवरदिगार की क़सम जिसने मुझे बरहक़ मबऊस फ़रमाया(अली व फ़ातिमा) दोनो से इस उम्मत में महदी होगा। जबकि फ़ितने ज़ाहिर होंगें राहें मसदूद हो जायेगीं, लूट मार और ग़ारतग़री होगी, बुज़ुर्ग छोटो पर रहम न करेगा और न छोटा बड़े की ईज़्ज़त करेगा। उस वक़्त ख़ुदा वंदे आलम महदी को मबऊस फ़रमायेगा जो गुमराही के क़िलों और पौशीदा दिलों को फ़तह करेगा। आख़िरी ज़माने में दीन के साथ क़याम करेगा जिस तरह मैने दीन के साथ अव्वल ज़माने में क़याम किया था, दुनिया को अदल व इंसाफ़ से भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।

अलकंजी ने अलबयान में अब्दुल्लाह बिन उमर से रिवायत की, वह बयान करता है हुसैन के फ़रज़न्द महदी ज़हूर करेगें, अगर उनके सामने पहाड़ हाएल होगा वह मिसमार हो जायेगा और उसमे से अपना रास्ता बनायेंगें।

यनाबीऊल मवद्दत में देबल बिन अली ख़ुज़ाई से रिवायत है, वह बयान करते हैं मैंने अपने आक़ा व मौला इमाम रिज़ा(अ) के मक़बरे के लिये कुछ शेअर कहे: इमाम महदी(अ) का ज़हूर हतमी है

आप ख़ुदा के नाम के साथ और उसकी बरकतों के साथ क़याम फ़रमायेगें।

महदी) हमारे दरमियान हक़ व बातिल का तमीज़ फ़रमायेगें। नेकूकारों पर नेमत और बदकारों पर अज़ाब करेगें।

देबल बयान करता है: जिस वक़्त इमाम ने यह अशआर सुने आपने शिद्दत से गिरया फ़रमाया और फ़रमाया: ऐ देबल यह अशआर तुम्हारी ज़बान पर रूहूल क़ुदुल ने जारी फ़रमाये हैं क्या तुम उस इमाम के बारे में जानते हो, मैने अर्ज़ की नही, मगर सिर्फ़ इस क़दर जानता हूँ मैने सुना है कि ज़हूर करने वाला इमाम आपकी नस्ल से होगा जो ज़मीन को अदल व इंसाफ़ भर देगा। पस इमाम ने फ़रमाया: मेरे बाद मेरा फ़रज़न्द मुहम्मद होगा और मुहम्मद के बाद उनका फ़रज़न्द अली होगा और अली के बाद उनका फ़रज़न्द हसन होगा और हसन के बाद उनका फ़रज़न्द हुज्जतुल क़ाएम होगा। उसकी ग़ैबत में उसका इन्तेज़ार किया जायेगा और ज़हूर के वक़्त इताअत का मर्क़ज़ क़रार पायेगा पस ज़मीन को अदल व इंसाफ़ से इस तरह भर देगी जिस तरह वह पहले ज़ुल्म व जौर से भरी होगी। अलबत्ता यह ख़बर कि उसका ज़हूर कब होगा, बिला शुब्हा मुझ से मेरे बाबा ने अपने अजदाद के वास्ते से रसूलल्लाह(स) से ख़बर दी कि आँ हज़रत ने फ़रमाया: जिस महदी का ज़हूर क़ियामत की तरह अचानक होगा।

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