एक फूल जिसने आज़ाद करा दिया!!!

एक फूल जिसने आज़ाद करा दिया!!!

सकीना बानो अलवी

आसमाने इमामत के तीसरे चाँद, शहीदों के सरदार, कर्बला को मोअल्लाह बनाने वाले, लोगों को सीधा रास्ता दिखाने वाले, रहती दुनिया तक के लिए लोगों के सामने वास्तविक इस्लाम को पेश करने वाले हमारे तीसरे इमाम, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम भी उन महान हस्तियों में से हैं जो न केवल नेकी का बदला नेकी से देते हैं बल्कि उससे बढ़ चढ़ कर देते हैं।

रिवायत में है कि इमाम हुसैन की एक दासी थी, एक दिन इस दासी ने आपको एक फूल दिया।

आपने उसको लिया और फ़रमायाः जाओ तुम ख़ुदा की राह में आज़ाद हो

लोगों ने आपसे कहाः हे नबी के बेटे क्या आपने एक दासी को केवल एक फूल देने के बदले के तौर पर स्वतंत्र कर दिया?

आपने फ़रमायाः ख़ुदा ने हमको ऐसा ही प्रशिक्षण दिया है और क़ुरआन में ईश्वर इस प्रकार फ़रमाता है

जब भी कोई तुमको सलाम करे या स्वागत करे या कोई चीज़ तुमको दे तो तुम उसके बदले में उससे अधिक और क़ीमती या कम से कम उसी के जैसी उसको दो, क्योंकि ख़ुदा हर चीज़ का हिसाब रखने वाला है।

उसके बाद आपने फ़रमायाः

यह फूल जो दासी ने मुझे दिया है उसके बदले में उसके लिए सबसे बेहतरीन चीज़ आज़ादी थी। (1)

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1. आसारुस सादेक़ीन, जिल्द 19, पेज 273, हदीस 2

अनुवादकः
وَإِذَا حُيِّيتُم بِتَحِيَّةٍ فَحَيُّوا بِأَحْسَنَ مِنْهَا أَوْ رُ‌دُّوهَا ۗ إِنَّ اللَّـهَ كَانَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ حَسِيبًا
और जब कोई सलाम करे तो तुम भी उसके जवाब में उससे बेहतर तरीक़े से सलाम करो या वही शब्द जवाब में कह दो ख़ुदा हर चीज़ का हिसाब करने वाला है

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