नमाज़ की पाबंदी इन्सान को सुरक्षित रखती है

नमाज़ की पाबंदी इन्सान को सुरक्षित रखती है

क़ुरआने करीम के सूरा ए मआरिज की 20 से 23 तक की आयात मे इरशाद होता है

कि उन लोगों को छोड़ कर जो अपनी नमाज़ो को पाबन्दी के साथ पढ़ते हैं। दूसरे इंसान जब मुशकिल मे फसतें हैं तो वह अपना धैर्य खो देते हैं हैं। और जब उनको खैर (नेअमतें) प्राप्त होती है तो वह कंजूस बन जाते हैं दूसरों को कुछ नही देते।

अल्लाह की असीमित शक्ति के साथ हमेशा सम्पर्क बनाए रखने से इंसान को ताक़त हासिल होती है। इससे इंसान का तवक्कुल का जज़बा बढ़ता है जिसके नतीजे मे इंसान को ऐसी ताक़त मिलती है कि फिर वह किसी भी हालत मे शिकस्त को क़बूल नही करता। जाहिर सी बात है कि यह सिफ़ात उन लोगों मे पैदा होते हैँ जो अपनी नमाज़ों को तवज्जुह के साथ पाबन्दी से पढ़ते हैं।

मौसमी नमाज़ पढ़ने वाले लोगों इन सिफ़ात को हासिल नही कर पाते।

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