...और सुन्नी आलिम जीवित दफ़्न हो गया
...और सुन्नी आलिम जीवित दफ़्न हो गया
सकीना बानों अलवी
ख़्वाजा नसीरूद्दीन तूसी शियों के एक बहुत बड़े विद्वान थे और हलाकू ख़ान की हुकूमत में उसके बहुत क़रीबी समझे जाते थे, और उसके वज़ीर थे, आप जो भी कहते थे हलाकू ख़ान उसको मान लेता था।
सुन्नी विद्वान नसीरुद्दीन से जलते थे और हर समय इस चक्कर में लगे रहते थे कि किस प्रकार मौक़ा मिले और उनको रास्ते से हटा दें, लेकिन किसी प्रकार भी कोई मौक़ा हाथ नहीं आ रहा था।
दिन इसी प्रकार बीत रहे थे कि एक दिन अचानक बादशाह की माँ का देहांत हो गया।
सुन्नियों के बड़ा आलिम ने इस मौक़े को ठीक जाना और हलाकू ख़ान के पास आ कर कहने लगाः हे बादशाह आपकी माँ का देहांत हो चुका है, अब जब उसको क़ब्र में रखा जाएगा तो मुनकिर और नकीर नाम के दो फ़रिश्ते उसके पास आकर उससे उनकी अक़ीदों, कार्यों और आमाल के बारे में प्रश्न करेंगे और चूँकि आप की माता एक घरेलू और अनपढ़ इसलिए इन फ़रिश्तों के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाएंगी, जिसके बाद वह फ़रिश्ते आग की गदा से उनको मारेंगे और उन पर अज़ाब करेंगे।
हलाकू ख़ान ने कहाः तो फिर क्या किया जाए, आप ही कोई रास्ता बताएं ताकि मेरी माँ को अज़ाब न हो।
सुन्नी आलिम ने कहाः ख़्वाजा नसीरुद्दीन तूसी एक बड़े विद्वान हैं और वह अक़ीदों के बारे में अच्छे से जानते हैं और फ़रिश्तों के प्रश्नों का उत्तर भी दे सकते हैं, इसलिए मेरा तो यही कहना है कि आप नसीरुद्दीन को अपनी माँ के साथ दफ़्न कर दें ताकि वह आपकी मां के स्थान पर फ़रिश्तों के प्रश्नों का उत्तर दें।
जब ख़्वाजा नसीरुद्दीन ने उस सुन्नी आलिम की बात सुनी तो समझ गए कि यह उसकी एक चाल है और इस प्रकार वह उनको मारना चाहता है।
ख़्वाजा ने हलाकू ख़ान से कहाः बात तो यह सुन्नी आलिम सही कह रहे हैं लेकिन चूँकि पहली रात हर मरने वाले से यह फ़रिश्ते इसी प्रकार के प्रश्न करते हैं और बादशाह से भी इसी प्रकार के प्रश्न किए जाएंगे इसलिए आप एक काम कीजिए अपनी माँ के साथ इनको दफ़्न कर दीजिए क्योंकि इनको अक़ीदों का अच्छा ज्ञान है, और मुझे अपने साथ चलने के लिए रखिए।
हलाकू ख़ान को नसीरुद्दीन की बात अच्छी लगी और उसने आदेश दिया की इस सुन्नी आलिम को माँ के साथ ही दफ़्न कर दिया जाए। (1)
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(1) क़ेससुल उलेमा से लिया गया पेज 395, मुनतख़ब अलतवारीखड़ पेज 544, मकाफ़ाते अमल पेज 196
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