पाप अक़्ल को कम करता है

पाप अक़्ल को कम करता है

पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का कथन है कि “जो व्यक्ति पाप करता है तो बुद्धि का कुछ भाग उसके हाथ से निकल जाता है जो कभी वापस नहीं आता।“

यह कथन देखने के बाद हमें बहुत से लोगों से सुने यह शब्द याद आ गये कि मेरी मत मारी गयी थी जो यह काम कर बैठा। तुम्हारी बुद्धि कहां चली गयी थी जो ऐसा काम कर डाला।

इस से अर्थ यह निकलता है कि जिस प्रकार कोई भला काम करके मनुष्य को अपने भीतर एक विशेष प्रकार के आनन्द का आभास होता है और उसे एक प्रकार की शक्ति और उर्जा मिलती है ठीक उसी प्रकार पाप और बुराई की स्थिति में मन बोझिल हो उठता है और सकारात्मक ऊर्जा का स्थान नकारात्मक भावनायें ले लेती हैं जिससे बुद्धि और सोचने की शक्ति को नुक़सान पहुंचता है।

मेरे विचार में शरीर के भीतर हारमोन्स के स्राव में या हृदय गति या मानसिक स्थिति किसी न किसी में परिवर्तन आता ज़रूर है। वरना झूठ पकड़ने वाली मशीन झूठ को कैसे पकड़ती?

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