सबसे बड़े मुसलमान देश में क़ब्रों का संकट
कुद्स अलअरबी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार इस समय न अल्जीरिया की राजधानी बल्कि इस देश के कऊ क्षेत्र क़ब्रों के संकट से जूझ रहे हैं, यह संकट इस हालत में है कि भौगोलिक आधार पर यह देश दुनिया का दसवां सबसे बड़ा देश हैं।
अल्जीरिया सरकार ने इस देश के नागरिकों ख़शख़बरी दी है कि इस देश की राजधानी से “क़ब्रों के संकट” को बहुत जल्द दूर कर दिया जाएगा। अगले 50 सालों के लिए क़ब्रिस्तान के लिए विशेष स्थान के चुनाव के बाद राजधानी वासी चिंता मुक्त हो कर अपने मुर्दों को दफ़्न कर सकेंगे।
शहर के राज्यपाल अब्दुल क़ादिर ज़ोख़ द्वारा अल्जीरिया की राजधानी में अगले 50 सालों तक कार्य कर सकने वाले क़ब्रिस्तान का एलान किए जाने के साथ ही सोशल मीडिया पर टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया है, क्योंकि शहर के राज्यपाल ने अपने इस कार्य को एक बड़ी कामयाबी के तौर पर प्रचारित किया है।
राज्यपाल ने इस शहर में 50 हेक्टेयर पर आधारित 16 नए क़ब्रिस्तानों को शुरू किए जाने की बात कही है।
पिछले कुछ सालों से अल्जीरिया में क़ब्रों का संकट गहरा गया है, इस संकट की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कभी कभी तो मरने वाले के परिवार वालों को अपने मुर्दे को पुरानी क़ब्रों में ही दफ़नाना पड़ता है जिसमें वह पहले भी मुर्दों को दफ़्न कर चुके होते हैं।
ध्यान रहे कि अल्जीरिया की राजधानी में रह साल लगभग 6000 मोतें होती हैं।
राज्यपाल द्वारा नए क़ब्रिस्तानों की घोषणा के बाद लंदन में रह रहे एक अल्जीरियाई संवाददाता ने अपने फेसबुक पेज पर लिखाः जुमा मुबारक हो! सुकून के साथ सलवात पढ़ें, क्योंकि आपकी राजधानी के राज्यपाल ने अलग 50 सालों तक के लिए आपकी क़ब्रों की व्यवस्था कर दी है।
एक दूसरी संवाददाता मोहम्मद एवानोग़ान ने इसके उत्तर में कमेंट कियाः शायद इनको देश में क़ब्रों के संकट की गंभीरता का अंदाजा नहीं है।
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