बड़े रसूल
बड़े रसूल
हमारा अक़ीदा है कि तमाम पैग़म्बरो में से पाँच पैग़म्बर “उलुल अज़्म” (यानी साहिबाने शरीअत, किताब व आईने जदीद) थे। जिनको हम अपनी ज़बान में बड़े रसूल भी कहते हैं जिनके नाम इस तरह है।
(1) हज़रत नूह अलैहिस्सलाम
(2) हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम
(3) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम
(4) हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम
(5) हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि अजमईन।
وَإِذْ أَخَذْنَا مِنَ النَّبِيِّينَ مِيثَاقَهُمْ وَمِنكَ وَمِن نُّوحٍ وَإِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ وَعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ ۖ وَأَخَذْنَا مِنْهُم مِّيثَاقًا غَلِيظًا
“व इअज़ अख़ज़ना मिन अन्नबिय्यीना मीसाक़ाहुम व मिनका वमिन नूहि व इब्राहीमा व मूसा वईसा इब्नि मरयमा व अख़ज़ना मिन हुम मीसाक़न ग़लीज़न" (1)
” यानी उस वक़्त को याद करो जब हमने पैग़म्बरों से मीसाक़ (अहदो पैमान) लिया (जैसे) आप से ,नूह से , इब्राहीम से, मूसा से और ईसा ईब्ने मरयम से और हम ने उन सब से पक्का अहद लिया (कि वह रिसालत के तमाम काम में और आसमानी किताब को आम करने में कोशिश करें)
فَاصْبِرْ كَمَا صَبَرَ أُولُو الْعَزْمِ مِنَ الرُّسُلِ
फ़सबिर कमा सबरा उलुल अज़्मि मिन अर्रसुलि ” (2)
यानी इस तरह सब्र करो जिस तरह उलुल अज़म पैग़म्बरों ने सब्र किया।
हमारा अक़ीदा है कि हज़रत मुहम्मद (स.)अल्लाह के आख़िरी रसूल हैं और उनकी शरीअत क़यामत तक दुनिया के तमाम इंसानों के लिए है। यानी इस्लामी तालीमात,अहकाम मआरिफ़ इतने सम्पूर्ण हैं कि क़यामत तक इंसान की तमाम माद्दी व मअनवी ज़रूरतों को पूरा करते रहेंगे। लिहाज़ा अब जो भी नबूवत का दावा करे व बातिल व बे बुनियाद है।
مَّا كَانَ مُحَمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَلَـٰكِن رَّسُولَ اللَّـهِ وَخَاتَمَ النَّبِيِّينَ ۗ وَكَانَ اللَّـهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمًا
“व मा मुहम्मदुन अबा अहदिन मिन रिजालिकुम व लाकिन रसूलु अल्लाहि व ख़ातमि अन्नबिय्यीना व काना अल्लाहि बिकुल्लि शैइन अलीमन ” (3)
यानी मुहम्मद (स) तुम में से किसी मर्द के बाप नहीं है लेकिन वह अल्लाह के रसूल और सिलसिलए नबूवत को ख़त्म करने वाले हैं और अल्लाह हर चीज़ का जानने वाला है।
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(1) सूरा अहज़ाब आयत 7
(2) सूरा अहक़ाफ़ आयत 34
(3) सूरा अहज़ाब आयत 40
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