ईरानी वनवर्ष के रीति रेवाज और संस्कार

ईरानी वनवर्ष के रीति रेवाज और संस्कार

नौरोज़, ईरानी संस्कृति की पहचान का प्रतीक है। नौरोज़, प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। नौरोज़ का उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है।

नौरोज़, समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है। नवर्ष के आरंभ और नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता।

नौरोज़, जीवन की उथलपुथल से मुक्ति का उचित समय है। यह ऐसा बेहतरीन अवसर है जो पिछले वर्ष की थकावट व दिनचर्या के कामों से छुटकारा व विश्राम की संभावना उत्पन्न कराता है। नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भर अनुभव से जारी रखने का नाम है। प्रकृति की हरियाली और हरी भरी पत्तियों से वृक्षों का श्रंगार, नये व उज्जवल भविष्य का संदेश सुनाती है।

ईट के शुभ अवसर पर प्रचलित बेहतरीन परंपराओं में सगे संबंधियों से भेंट है। इस परंपरा में इस्लाम धर्म में बहुत अधिक बल दिया गया है। नौरोज़, सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर है जो परिवारों के मध्य लोगों के संबंधों को अधिक सृदृढ़ कर सकता है। कितना अच्छा है कि लोग इस अवसर से लाभ उठाएं और इन दिनों में अपने सगे संबंधियों, मित्रों और पड़ोसियों से अपने संबंधों को पहल से अधिक सुदढ़ करें। एक दूसरे से मिलना और उस से प्राप्त होने वाला उत्साह, दिलों से इर्ष्याओं के दूर होने और एक दूसरे की ओर दिलों के झुकाव का कारण बनता है और समाज में नववर्ष के सकारात्मक प्रभाव को कई गुना कर देता है।

नववर्ष के पहले ही दिन से लोगों का एक दूसरे के यहां आने जाने का क्रम आरंभ हो जाता है। समस्त परिवारों में यह प्रचलन है कि वे सबसे पहले परिवार के सबसे बड़े सदस्य के यहां जाते हैं और उन्हें नववर्ष की बधाई देते हैं। उसके बाद परिवार के बड़े सदस्य अन्य लोगों के यहां बधाई के लिए जाते हैं। इस अवसर पर परिवार के अन्य सदस्य एक साथ एकत्रित होते हैं और यह क्रम तेरह तारीख़ तक या महीने के अंत तक जारी रहता है।

परिवार के सदस्यों, निकटवर्तियों, मित्रों और पड़ोसियों से मिलने के अतिरिक्त दुखी व संकटग्रस्त लोगों से भी मिलना, नववर्ष में प्रचलित संस्कारों में से है। इस भेंट व मेल मिलाप में यह भी प्रचलित है कि पहले उस व्यक्ति के घर जाते हैं जिसके वर्ष के दौरान किसी सगे संबंधी का निधन हो गया हो। इस संस्कार को नोए ईद कहा जाता है। यदि किसी घर में किसी सगे संबंधी का निधन हो जाता है जो शोकाकुल परिवार ईद के पहले दिन घर में बैठता है और सामान्य रूप से परिवार के बड़े सदस्य शोकाकुल परिवार से काले कपड़े उतरवाते हैं और उन्हें नये कपड़े उपहार में देते हैं। ईद के पहले दिन या नोए ईद का प्रतीकात्मक आयाम है और साथ ही नौरोज़ के मेल मिलाप का वातावरण भी उपलब्ध कराता है। भेंटकर्ता, ईद के पहले दिन शोकाकुल परिवार को सांत्वना नहीं देते बल्कि उनके लिए ख़ुशी की कामना करते हैं।

यद्यपि आज नगरों के विस्तार, बढ़ती जनसंख्या, काम की सीमित्ता और आपार्टमेंट में रहने की संस्कृति से लोगों का एक दूसरे के यहां आना जाना और मेल मिलाप बहुत कम हो गया है किन्तु ईरानी जनता हर वर्ष नववर्ष के अवसर पर प्राचीन परंपरा को जीवित रखते हुए लोगों के यहां मिलने जाती है। वास्तव में नौरोज़ के दिनों में ईरानी लोग, एक बहुत ही बेहतरीन काम करते हैं और वह है सिलेह रहम अर्थात सगे संबंधियों से मिलना जुलना। इस्लाम धर्म में भी एक दूसरे से मेल मिलाप को बहुत महत्त्व दिया गया है। पवित्र क़ुरआन की आयतों, इस्लामी इतिहास तथा पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में अपने निकट संबंधियों से मिलने जुलने पर बहुत अधिक बल दिया गया है। पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम के हवाले से बयान किया गया है कि जो भी अपने सगे संबंधियों से मेल मिलाप करता है, ईश्वर उसे पसंद करता है, उसकी आजीविका में वृद्धि करता है, उसकी आयु लंबी करता है और उसे वह स्वर्ग प्रदान करता है जिसका उससे वचन किया है। इसी प्रकार इस्लाम धर्म में पड़ोसियों, मित्रों और अपने इस्लामी भाइयों के साथ सम्मानीय व मैत्रीपूर्ण संबंध रखने की भी सिफ़ारिश की गयी है। कृपालु ईश्वर उस बंदे को जो अपने चित परिचितों और सगे संबंधियों की समस्याओं के निवारण का प्रयास करता है, विशेष पारितोषिक प्रदान करता है। यह प्रेरणा और सिफ़ारिश, इस लिए है ताकि मनुष्यों के संबंध, शुष्कता और ख़ालीपन से निकल जाए और इसके अतिरिक्त समाज के लोग सामाजिक संबंधों को स्थापित करके भावनात्मक व आत्मिक दृष्टि से तृप्त हों।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अपने मित्रों के बीच रहना, अवसाद को रोकने का महत्त्वपूर्ण कारक हैं। इस बात के दृष्टिगत कि पैंतीस से चालीस प्रतिशत मानसिक बीमारियों की जड़ अवसाद है, नववर्ष में सगे संबंधियों से मेल मिलाप, इस ख़तरनाक बीमारी के प्रभाव को कम कर सकती है। इस बात के बावजूद कि अवसाद शताब्दी की सबसे बड़ी बीमारी है और विश्व के बहुत से क्षेत्रों में इसके विध्वंसक प्रभाव देखे जा सकते हैं किन्तु ईरानी इस बीमारी में कम ही ग्रस्त होते हैं क्योंकि इसका मुख्य कारण सगे संबंधियों से उनकी निकटता और मेल मिलाप है।

समाज शास्त्र के प्रोफ़ेसर डाक्टर अब्दुल्लाह मोअतमेदी का कहना है कि नववर्ष में लोगों का एक दूसरे से मेल मिलाप, लोगों के मध्य संबंध की भावना उत्पन्न करता है और मनुष्य में मित्र बनाने की भावना को सुदृढ़ करता है। मनुष्य यह चाहता है कि लोग उसे पसंद करें और वह भी लोगों को पसंद करे। यही कारण है कि मेल मिलाप व लोगों से मिलना जुलना, मानसिक दृष्टि से बहुत ही लाभदायक है।

हमारे लिए यह जानना उचित है कि सगे संबंधियों से मिल मिलाप व मिलना जुलना, मनुष्य की बुद्धि पर भी प्रभाव डालता है। नवीन शोध इस बात के सूचक हैं कि परिवार के सदस्यों से मेल मिलाप और पारिवारिक एलबम देखना, हमारी बुद्धि के भाग को जो परिवार, मित्रों और स्वयं के बारे में हमारे आभास को प्रदर्शित करते हैं, उत्तेजित कर देते हैं। एक शोध में शोधकर्ताओं ने उस व्यक्ति के बुद्धि का चित्र खींचा जो अपने सगे संबंधियों, निकट वर्तियों और साथियों का चित्र देखने में व्यस्त थी। वे इस बिन्दु पर पहुंचे कि सगे संबंधियों के चित्र और फ़ोटो और उस व्यक्ति की चित्र जो देखने वाले से बहुत अधिक मिलता जुलता हो, बुद्धि के माध्यम से देखे जाते हैं किन्तु अपरिचित लोगों के चित्र बुद्धि के दूसरे भाग को सक्रिय करते हैं। इस शोध का रोचक बिन्दु यह है कि बुद्धि, सामाजिक दृष्टि से व्यक्ति को श्रेणीबद्ध करती है और परिवार के सदस्यों को इस श्रेणी में सर्वोपरि करती है।

मित्रों व चिर परिचित लोगों से मिलने जुलने का एक अन्य सकारात्मक प्रभाव, सामाजिक होशियारी में वृद्धि है। सामाजिक होशियारी, मनोविज्ञान का एक मापदंड है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह होशियारी बढ़ने योग्य है। समाज से मनुष्य का जितना लगाव बढ़ेगा, उतना ही उसकी सामाजिक होशियारी में वृद्धि होगी। परिचित लोगों से भेंट, मनुष्य में इस विशेषता को बढ़ाने का महत्त्वपूर्ण मार्ग है।

मनुष्य सामाजिक प्राणी है और उसे अन्य लोगों से संबंध स्थापित करने की आवश्यकता होती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्य की बहुत सी आवश्यकताएं और क्षमताएं केवल सामाजिक लेनदेन से पूरी होती हैं। सगे संबंधियों से संपर्क, सामाजिक संबंधों से अधिक लाभ उठाने का कारण बनते हैं और अंततः मनुष्य की लंबी आयु, उसकी आत्मा व शरीर की सुरक्षा में प्रभावी भूमिका निभाता है। नव वर्ष के आरंभिक दिनों में सामान्य रूप से ईरानी घरों से हंसने और ठहाके लगाने की आवाज़े सुनी जाती हैं और ईरानियों के नव वर्ष की भेंट, ख़ुशियों के वातावरण में मित्रों व चिरपरिचित और अन्य लोगों से मित्रता को मज़बूत करने के का बेहतरीन आरंभ है।

ईरानियों में एक कहावत प्रसिद्ध है प्रेम से कांटे फूल बन जाते हैं।  सगे संबंधियों से मिलना दिल में प्रेम के बीज बोता है और हर बार उनसे मिलना इस बीज की सिंचाई के समान है, यहां तक कि यह प्रेम व मित्रता का वृक्ष मज़बूत और तनावर होता है। दूसरी ओर सगे संबंधियों से भेंट, द्वेष व इर्ष्या को दूर कर देते हैं और पारिवारिक संबंधों के सुदृढ़ होने का कारण बनते हैं। मित्रो आशा है कि ईरानियों की यह पसंदीदा परंपरा पूरे विश्व में फैले और हर वर्ष बसंत ऋतु का आरंभ, पूरी दुनिया के लोगों के दिल को उत्साहित व हर बुराइयों व द्वेष से दूर कर दे।

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