बहार का मौसम और क़ुरआन
बहार का मौसम और क़ुरआन
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का सबसे बड़ा चमत्कार अर्थात क़ुरआने मजीद अपने संबोधकों को बुद्धि, जीवन, गतिशीलता, ईमान, संकल्प, सम्मान और दृढ़ता प्रदान करता है और मनुष्य के समक्ष महानता व सौंदर्य के एक संसार का प्रदर्शन करता है। कुरआने मजीद की आयतें मनुष्य और उसके अस्तित्व की मान्यताओं का सुंदर चित्रण करती हैं और जीवन के अंधकारमय पहलुओं से बचने और आंतरिक इच्छाओं पर नियंत्रण का मार्ग दिखाती हैं। इसी कारण, क़ुरआन को हृदयों का वसंत कहा जाता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम का कथन है कि हृदयों और ज्ञान के सोतों का वसंत क़ुरआने मजीद है तथा मन व विचारों के लिए क़ुरआन से बढ़ कर कोई प्रकाश नहीं हो सकता। वसंत ऋतु में सभी पौधे जीवित, फूल खिले हुए, पेड़ व जंगल हरे भरे, फल पके हुए और कुल मिला कर संपूर्ण सृष्टि जीवित, सुंदर, वैभवशाली, प्रसन्नचित्त व प्रफुल्लित होती है। जब क़ुरआन का पवन दिलों पर चलता है तो हृदयों का वसंत आरंभ हो जाता है, शिष्टाचार व नैतिकता के फूल खिलते हैं, विनम्रता, संयम व दृढ़ता के पेड़ों पर फल लगते हैं, पापों के कारण जम जाने वाली बर्फ़ धीरे धीरे पिघलने लगती है
और पापों की शीत ऋतु के बचे खुचे चिन्ह, जिनसे हृदय की मृत्यु की महक आती है, समाप्त होने लगते हैं। स्पष्ट है कि हम क़ुरआने मजीद से जितना अधिक लाभ उठाएंगे, हमारे हृदय का वसंत उतना ही टिकाऊ होगा। ईश्वर अपनी आसमानी किताब के बारे में सूरए यूनुस की 57वीं आयत में कहता है कि हे लोगो! निश्चित रूप से तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से उपदेश आ चुका है जो तुम्हारे हृदयों में जो कुछ रोग है उसके लिए उपचार है और ईमान वालों के लिए मार्गदर्शन और दया है।
यदि हम वसंत ऋतु पर ध्यान दें तो उसमें दो महत्वपूर्ण बातें दिखाई पड़ेंगी। प्रथम तो ईश्वर की महानता कि जो एकेश्वरवाद की परिचायक है और दूसरे प्रकृति का पुनः जीवित होना जो प्रलय के दिन मनुष्यों के पुनः जीवित होने की याद दिलाता है। इस आधार पर वसंत, एकेश्वरवाद का भी ऋतु है और प्रलय का भी मौसम है। क़ुरआन भी हृदयों की वसंत ऋतु है और उसका ज्ञान व उसकी पहचान, एकेश्वरवाद एवं प्रलय पर आस्था को मनुष्य के अस्तित्व में प्रबल बनाती है। क़ुरआने मजीद, मनुष्य को उस संसार के बारे में चिंतन के लिए प्रेरित करता है जो उसके चारों ओर मौजूद है और इसी प्रकार संसार के रहस्यों को समझने के लिए उसका मार्गदर्शन करता है। वह मनुष्य को उसके आरंभ व अंत जैसे सृष्टि के दो महत्वपूर्ण विषयों से परिचित कराता है।
क़ुरआने मजीद की मनमोहक आयतें, हृदय को जीवित कर देती हैं और जो हृदय क़ुरआन के माध्यम से जीवित होता है वह कभी भी निराश व उदास नहीं होता। क़ुरआने मजीद, अनुकंपाओं और विभूतियों से भरा हुआ ईश्वर का दस्तरख़ान है। उसकी आयतों की तिलावत की मनमोहक आवाज़, ईश्वर से डरने वालों के पवित्र हृदयों को प्रकाशमान बनाती हैं और उसकी शुद्ध शिक्षाएं आत्मा को शांति प्रदान करती हैं।
क़ुरआने मजीद के चमत्कार का एक आयाम उसका चमत्कारिक प्रभाव है। इस अर्थ में कि दूसरों पर प्रभाव डालने और रोचकता की दृष्टि से क़ुरआन असाधारण है। कोई भी मनुष्य इस प्रकार का असाधारण प्रभाव रखने वाली किताब लाने में सक्षम नहीं है। पूर्वी मामलों के फ़्रान्सीसी विशेषज्ञ सावराए कहते हैं कि क़ुरआन में एक विशेष रोचकता व प्रभाव है जो किसी भी अन्य किताब में दिखाई नहीं देता। क़ुरआने मजीद के प्रभाव के बारे में इस्लाम के आरंभिक काल की एक महत्वपूर्ण घटना यह है कि अख़नस बिन क़ैस, अबू जमल व वलीद बिन मुग़ैरा, अरब के प्रतिष्ठित लोग और पैग़म्बर के विरोधी थे।
इसके बावजूद वे रात के समय मक्का नगर की अंधेरी गलियों से गुज़र कर पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के घर के पिछवाड़े खड़े हो जाते थे और भोर समय तक उनके द्वारा की जा रही क़ुरआने मजीद की तिलावत को मंत्रमुग्ध हो कर सुनते रहते थे। वलीद बिन मुग़ैरा इस संबंध में कहता है। ईश्वर की सौगंध! इस कथन में एक विशेष मिठास है और एक विशेष सुंदरता इससे फूटती है। यह ऐसा पेड़ है जिसकी शाखाएं फलों से भरी हुई हैं। यह कथन किसी मनुष्य का हो ही नहीं सकता।
ब्रिटेन के अध्ययनकर्ता कोंट ग्रीक अपनी किताब मैंने क़ुरआन को किस प्रकार पहचाना में लिखते हैं। किसी मुसलमान महिला या पुरुष पर क़ुरआने मजीद जो प्रभाव डालता है वह इस किताब के प्रति उस व्यक्ति की आस्था के कारण होता है कि जो स्वाभाविक बात है किंतु मेरे जैसा कोई भी ग़ैर मुस्लिम व्यक्ति, क़ुरआन पर आस्था के बिना उसे खोलता है किंतु जैसे ही वह इस किताब को पढ़ना आरंभ करता है, इससे प्रभावित हो जाता है और वह जितना अधिक इसे पढ़ता जाता है उतना ही अधिक उस पर इसका प्रभाव बढ़ता जाता है कि जो एक असाधारण बात है। वे कहते हैं कि हम अंग्रेज़, उस भाषा को, जो आज से चौदह सौ वर्ष पूर्व ब्रिटेन तथा उसके अधीन क्षेत्रों में बोली जाती थी, अब नहीं समझते। इसी प्रकार फ़्रान्सीसी विद्वान जो भाषा विशेषज्ञ भी हैं, चौदह सौ वर्ष पहले की फ़्रान्स की भाषा को नहीं समझ सकते किंतु आज समय ने क़ुरआन की भाषा को नहीं मिटाया है। जब हम क़ुरआन पढ़ते हैं तो मानो यह ऐसा ही है जैसे किसी अरब देश में आज के समाचापत्रों या किताबों का अध्ययन कर रहे हों।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपने एक सुंदर कथन में कहा है कि ईश्वर ने क़ुरआने मजीद को विद्वानों के ज्ञान की प्यास बुझाने वाला और धर्मगुरुओं के हृदयों का वसंत बनाया है। ईरान के विख्यात धर्मगुरू आयतुल्लाह नासिर मकारिम शीराज़ी हज़रत अली अलैहिस्सलाम के इस कथन की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि धरती में तीन चौथाई जल और एक चौथाई थल है। इसी प्रकार मानव शरीर का लगभग तीन चौथाई भाग भी पानी ही से है अतः पानी के प्रति मनुष्य की आवश्यकता समझी जा सकती है और वह उसके बिना रह नहीं सकता। इस आधार पर मनुष्य की आत्मा को भी पानी की आवश्यकता है और हमारा आध्यात्मिक पानी, क़ुरआने मजीद है।
क़ुरआने मजीद, दयावान रचयिता का कथन और मनुष्य के लिए हर काल में सफलता का पथप्रदर्शक है। इसकी आयतों की तिलावत से दिलों पर लगा हुआ ज़ंग छूट जाता है और हर आयत की तिलावत के साथ ही मनुष्य अध्यात्म की सीढ़ी पर एक पायदान ऊपर चढ़ जाता है। सईद बिन यसार नामक व्यक्ति ने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से अपने दुखों व समस्याओं की समाप्ति के संबंध में सहायता चाही। उन्होंने सईद को एक दुआ सिखाई जिसका अनुवाद है। प्रभुवर! मैं तेरे उन समस्त नामों के वास्ते से जो तूने अपनी किताब क़ुरआन में उतारे हैं, या जिन्हें तूने अपनी किसी रचना को सिखाया है या फिर अपने गुप्त ज्ञान में रखा है, तुझ से विनती करता हूं कि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही सल्लम व उनके परिजनों पर सलाम भेज और क़ुरआन को मेरी आंखों का प्रकाश, मेरे हृदय का वसंत, मेरे दुखों को दूर करने का साधन और मेरे समस्याओं के समाप्त होने का माध्यम बना।
क़ुरआने मजीद ऐसे उच्च विचारों व तथ्यों से परिपूर्ण है कि जिनमें सृष्टि के रहस्यों व वास्तविकताओं और इसी प्रकार मनुष्य के प्रशिक्षण के लिए सर्वोच्च नैतिक कार्यक्रमों को देखा जा सकता है। इस ईश्वरीय किताब ने पवित्र, सुंदर, प्रकाश, सत्य व असत्य के बीच अंतर करने वाली, मार्गदर्शक और सबसे ठोस मार्ग जैसे नामों से स्वयं की सराहना की है।
प्रभुवर! वसंत, प्रगति, गतिशलीता और परिवर्तन का परिचायक है। हम भी वसंत के साथ साथ, क़ुरआने मजीद से स्वयं को जोड़ कर परिवर्तन के लिए उठ खड़े हुए हैं ताकि तुझे बेहतर ढंग से पहचान सकें। प्रभुवर! हमारे हाथों को थाम ले और पाप की छाया को हमारे शरीर व आत्मा से दूर कर दे। हमें, जो अंधकार व शीत ऋतु से दूर रहना चाहते हैं, वसंत के उज्जवल दिनों से जोड़ दे और हमारे भीतर आशा व गतिशीलता की आत्मा को जीवित कर दे, हे सबसे अधिक दयालु व कृपालु!
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