सुन्नी ओलेमा का फ़तवा, आत्मघाती हमले हराम हैं!
प्राप्त समाचारों के अनुसार पाकिस्तान में लाल शाहबाज़ क़लंदर की दरगाह पर हुए आतंकी हमले की पूरी दुनिया में जहां निंदा की जा रही है वहीं शनिवार को पाकिस्तान के सुन्नी मुसलमानों के धर्मगुरुओं ने एक प्रेसवार्ता के द्वारा कड़े शब्दों में निंदा करते हुए आत्मघाती हमलों को इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए उसके हराम होने का फ़त्वा दिया है।
इस बीच पाकिस्तान में लगातार हो रहे आतंकवादी और आत्मघाती हमलों के ख़िलाफ़ एकत्रित हुए मुस्लिम धर्मगुरूओं ने "लब्बैक या रसूल्लाह" नामक आंदोलन की घोषणा की और जनता से देश भर में आतंकवाद विरोधी निंदा दिवस मनाने की अपील की है। इस अवसर पर आतंकी हमलों के ख़िलाफ़ एक निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
शनिवार को पाकिस्तान के वरिष्ठ सुन्नी मुफ़्ती पीर अफ़ज़ल क़ादरी और शैख़ुल हदीस हाफ़िज़ ख़ादिम हुसैन रिज़वी की अध्यक्षता में एकत्रित सैकड़ों मुफ़्तियों ने आतंकवाद और आत्मघाती हमलों के ख़िलाफ़ हराम का फ़त्वा जारी कर दिया।
सुन्नी धर्मगुरूओं और मुफ़्तियों द्वारा जारी फ़त्वे में कहा गया है कि आत्मघाती हमले अवैध, निषिद्ध और वर्जित हैं। अकारण लोगों की हत्या करने वाले अपराधियों को दुनिया और परलोक दोनों जगह कड़े दंड दिए जाएंगे।
फ़त्वे में कहा गया कि पाकिस्तान की जनता अंदरूनी और बाहरी दुश्मनों को पहचाने और दुश्मनों द्वार की जा रही साज़िशों का एकजुट होकर मुंहतोड़ जवाब दे। पाकिस्तान के धर्मरगुरूओं ने देश के सरकारी तंत्रों से अपील की कि पाकिस्तान की नीतियों को बदलें और देश को सही दिशा में ले जाएं।
मुस्लिम धर्मगुरूओं की सभा में सूफ़ी शहबाज़ क़लंदर की मज़ार पर हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों की आत्मा के लिए प्रार्थना की गई और घायलों के जल्द अच्छे होने का कामना की गई साथ ही पाकिस्तान सरकार से दोषियों को गिरफ़्तार करके जितनी जल्दी हो सके उनको सज़ा दी जाए।
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