मूर्खता का कोई इलाज नहीं

मूर्खता का कोई इलाज नहीं

हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम कहते हैं कि मैंने रोगियों का उपचार किया और उन्हें स्वस्थ्य कर दिया, जन्मजात अंधों और कोढ़ियों को ईश्वर की अनुमति से अच्छा कर दिया तथा उसी की अनुमति से मुर्दों को जीवित कर दिया। वे कहते हैं किंतु मूर्ख व्यक्ति को न तो मैं सुधार सका और न ही स्वस्थ बना सका। जब हज़रत ईसा से किसी ने पूछा कि आपकी दृष्टि में मूर्ख कौन है तो उन्होंने कहा, आत्ममुग्ध एवं स्वार्थी व्यक्ति जो समस्त प्रकार की विशेषताओं को स्वयं से विशेष समझता है और हर अधिकार को केवल अपने लिए ही स्वीकार करता है। एसा व्यक्ति दूसरों को किसी प्रकार का सम्मान नहीं देता। इस प्रकार के मूर्ख व्यक्ति का न तो उपचार किया जा सकता है और न ही उसे सुधारा जा सकता है।

 

आज के मशीनी युग में होना तो यह चाहिए था कि लोगों के पास समय बचा रहता और काम हो जाते परन्तु हुआ यह कि हरेक के पास समय की कमी रहने लगी और सिर पर यह बोझ रहने लगा कि इतने सारे काम कैसे पूरे होंगे? फिर यह बोझ एक निरंतर तनाव का कारण बन गया और अब यह सोचा जा रहा है कि इस तनाव से कैसे निबटा जाए? इस समस्या के समाधान के लिए कुछ बिंदुओं पर ध्यान देने को कहा गया है।

1.  पहले आप अपने प्रतिदिन के कामों की सूचि तैयार करें। इसमें वह काम भी लिख लें जो आप निकट भविष्य में करना चाहते हैं।  इसके अतिरिक्त संक्षेप में यह भी लिखें कि यह काम आप कैसे करेंगे और किस समय करेंगे। जो कार्य आपकी दिनचर्या में सम्मिलित है उसके लिए पूरे सप्ताह मे समय निर्धारित कर लीजिए। सभी कार्यों को क्रमबद्ध रूप में लिखें और उसी के अनुसार उन्हें करने का प्रयास करें।

2- हर सप्ताह के आरंभ में अपनी साप्ताहिक ज़िम्मेदारियों को इस प्रकार नियोजित करें कि सप्ताह के अंत में छुट्टी के दिनों में आपको मानसिक रूप से भी आराम मिल सके। उदाहरण स्वरूप सोमवार से बुधवार तक एसे कार्यों को अपनी सूचि में रखें जिनमें मानसिक शक्ति का प्रयोग अधिक होता हो। गुरूवार और शुक्रवार के लिए एसे कार्य दृष्टि में रखें जिनमें शारीरिक शक्ति अधिक लगती हो। इस प्रकार आप शनिवार और रविवार को पूर्ण संतोष के साथ अपने मनचाहे कार्यों को भी कर सकेंगे और जीवन का आनंद भी ले सकेंगे।

3- अपने हाथ में थोड़ा सा ख़ाली समय या अतिरिक्त समय रखने का प्रयास करें। रात को आधा घण्टा देर से सोकर या प्रातःकाल आधा घण्टा जल्दी उठकर आप आधे घण्टे तक अतिरिक्त समय अपने पास रख सकते हैं। यह समय किसी एसे कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है जो अचानक ही आ पड़े।

4- यह भी देखने में आता है कि हम अपने बहुत से कामों को करने में इसलिए अक्षम रह जाते हैं क्योंकि अपने कुछ कामों को दूसरों के हवाले करने पर या दूसरों से सहायता लेने पर मानसिक रूप से स्वयं को तैयार नहीं कर पाते क्योंकि हमें दूसरों पर यह भरोसा नहीं होता कि वे उस काम को अच्छी तरह कर पाएंगे। परन्तु हमें यह सोचना चाहिए कि अमुक कार्य न हो पाए यह बेहतर है या फिर उसे साधारण रूप में पूरा कर लिया जाए। यदि हमने और आपने दूसरों पर भरोसा करना न सीखा तो फिर हमारे आराम का समय ही कामों में बीत जाएगा और अंत में मानसिक तनाव और शारीरिक थकन ही हाथ आएगी। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कामों को बांटना भी एक महत्वपूर्ण कला है और संचालकों को यह कला आनी चाहिए।

5- आपके समाने जब कामों की लंबी सूचि हो और आप यह भी देख रहे हों कि आपके पास अतिरिक्त समय बिल्कुल नहीं है तो फिर कुछ और काम यदि आपको दिये जाएं तो आप उनको स्वीकार करने से इन्कार कर दें। एसे स्थानों पर नहीं कहना बहुत आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त यदि कोई बड़ा काम आपके ज़िम्मे किया जाए तो घबराएं नहीं, काम को बहुत जटिल न समझें बल्कि उसे इस प्रकार से टुकड़ों में बांट लें कि हर टुकड़ा, अपने स्थान पर सरल और छोटा हो जाए।

6- एक भावना जो मनुष्य को बहुत से कार्यों से रोक देती है वह है उत्तम परिणाम प्राप्त करने की भावना। उत्तम बनना धीरे-धीरे आता है। आप मेहनत से अच्छा काम करने का प्रयास करते रहें बस इतना ही पर्याप्त है वरना बहुत से महत्वपूर्ण कार्य रखे रह जाएंगे। तो इस प्रकार हम यदि इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने लगें तो समय की कमी का आभास भी नहीं होगा और हम मानसिक तनाव से भी बच सकेंगे।

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