शैतान का रिटायरमेंट

शैतान का रिटायरमेंट

एक दिन शैतान ने सभी स्थानों पर यह घोषणा कर दी कि अब वह अपने कामों से हाथ खींच रहा है और रिटायर होना चाहता है अतः अपने काम के औज़ारों को उचित मूल्यों पर बेचना चाहता है।

 शैतान के औज़ारों में घृणा, क्रोध, ईर्ष्या, आत्ममुग्ध्ता और इस जैसी बहुत सी चीज़ें थीं।  इन औज़ारों में से एक औज़ार बहुत पुराना और घिसा हुआ था किंतु उसका मूल्य सबसे अधिक था।  

किसी ने शैतान से पूछा कि यह औज़ार क्या है?  शैतान ने उत्तर दिया कि यह निराशा और हतोत्साह है।  व्यक्ति ने पूछा कि इसका मूल्य क्यों इतना अधिक है?

शैतान ने बड़ी ख़तरनाक मुस्कुराहट के साथ कहाः यह मेरा सबसे प्रभावी औज़ार है।  जब सारे हथकण्डे बेकार हो जाते हैं तब मैं इसे मनुष्य के मन में डालता हूं।  

यदि किसी के मन में मैं निराशा और हताशा डालने में सफल हो जाता हूं तो फिर वह व्यक्ति हर एसा काम करने के लिए तैयार हो जाता है जो मैं चाहता हूं।  चूंकि मैंने यह औज़ार बहुत अधिक लोगों पर प्रयोग किया है इसीलिए यह इतना पुराना हो गया है।

 इस कहानी को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि हतोत्साह और निराशा को धार्मिक शिक्षाओं में गुनाह या पाप क्यों कहा गया है? निराशा वाली मानसिकता, लोगों से ईश्वर पर भरोसा करने वाली भावना को छीन लेती है।  इस प्रकार मनुष्य स्वयं को असहाय समझने लगता है।  

एसा व्यक्ति व्याकुल होकर बुरे से बुरे काम यहां तक कि आत्महत्या पर भी उतर आता है।  मनुष्य को सदैव यह याद रखना चाहिए कि ईश्वर उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ता और वह उन कार्यों में और उन मार्गों से भी सहायता करने में सक्षम है जिन्हें हम असंभव समझते हैं।  

यही कारण है कि हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें एक क्षण के लिए भी अकेला न छोड़े और जीवन में सदैव आशावान रखे क्योंकि निराशा शैतान का प्रमुख हथकण्डा है।

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