इस्लाम और सदाचार

इस्लाम और सदाचार

ईश्वरीय धर्म इस्लाम ने अपने मानने वालों को सदैव दूसरों के साथ न्रम भाव एवं व्यवहार से पेश आने के लिए कहा है और उसने अपने अनुयाइयों से दूसरों के साथ कड़ाई से पेश आने और ग़ैर सभ्य व्यवहार से बचने के लिए कहा है। चूंकि यह विशेषता मनुष्य के जीवन में शक्ति और उसके सफल होने का एक महत्वपूर्ण कारक है इसलिए इस्लाम धर्म ने नम्र व सुशील व अच्छा व्यवहार की बहुत अनुशंसा की है क्योंकि वह लोगों के मध्य प्रेम उत्पन्न करने में बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रकार से कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में इस संदर्भ में बहुत बल दिया गया है और इन महान हस्तियों की पावन जीवन शैली भी इस बात की पुष्टि करती है। प्रश्न यह उठता है कि अच्छा व्यवहार क्या है? उसकी क्या विशेषताएं हैं और हम किस तरह अच्छे व्यवहार वाला व्यक्ति बन सकते हैं?

अच्छा व्यवहार कभी किसी की प्रवृत्ति में मौजूद होता है कि जो बहुत बड़ी अनुकंपा है। बहुत से लोग एसे होते हैं जिनके अंदर बचपने से ही धैर्य, संतोष, संयम और शांत जैसी भावना व विशेषता पायी जाती है इस प्रकार के लोग किसी प्रकार का परिश्रम किये बिना अच्छे व्यवहार का व्यक्ति बन जाते हैं परंतु बहुत से लोग एसे भी हैं जिनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है। निश्चित रूप से इस प्रकार के व्यक्तियों को अपना व्यवहार सही करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ेगा। अलबत्ता यह अंतर महान व सर्वसमर्थ ईश्वर से छिपा नहीं है और महान ईश्वर उन लोगों को प्रतिदान देगा जो इस विशेषता को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हैं। हज़रत इमाम जाफरे सादिक अलैहिस्सलाम के एक अनुयाई इसहाक़ बिन अम्मार इमाम के हवाले से कहते हैं जिसमें इमाम कहते हैं” कुछ विशेषताएं स्वाभाविक व प्राकृतिक हैं जबकि कुछ अभ्यास का परिणाम हैं” इसहाक़ बिन अम्मार इमाम से पूछते हैं कि इन दोनों विशेषताओं में से महत्वपूर्ण व मूल्यवान कौन है? इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा “वह विशेषता अधिक महत्वपूर्ण है जिसे मनुष्य अपने निर्णय एवं इरादे से प्राप्त करता है क्योंकि जिसकी प्रवृत्ति में ही अच्छा व्यवहार है वह उसके अतिरिक्त दूसरा व्यवहार कर ही नहीं सकता परंतु जो अपने फैसले व प्रयास से अच्छा व्यवहार करता व अपनाता है और अपनी प्रवृत्ति के विरुद्ध कठिनाइयां सहन करता है तो वह बेहतर है”

 

इस्लामी सभ्यता में अच्छे व्यवहार को इतना महत्व प्राप्त है कि पैग़म्बरे इस्लाम कहते हैं” निश्चित रूप से जिस बंदे का व्यवहार अच्छा है उसे रोज़ा रखने वाले और रात में जागकर उपासना करने वाले का प्रतिदान दिया जायेगा”

इसी प्रकार पैग़म्बरे इस्लाम दूसरे स्थान पर कहते हैं” ईमान की दृष्टि से वह व्यक्ति अधिक परिपूर्ण है जिसका व्यवहार अधिक अच्छा हो”

 

अब देखते हैं कि अच्छे व्यवहार की क्या विशेषताएं हैं? अच्छे व्यवहार के दो अर्थ हैं एक अर्थ अच्छे गुणों व विशेषताओं से समन्न होना है जिनसे मनुष्य स्वयं को सुसज्जित करता है और उसका दूसरा अर्थ दूसरों के साथ अच्छे व सुशील व्यवहार से पेश आना है। कुल मिलाकर दूसरे लोगों के साथ नम्र भाव और अच्छे व्यवहार से पेश आना आत्म निर्माण का बेहतरीन कार्य व तरीक़ा है। दूसरों के साथ अच्छे व्यवहार से पेश आने की स्थिति में यह संभव है कि मनुष्य अपने अंदर मौजूद समस्त गुणों को प्रदर्शित और दूसरों को लाभान्वित कर सकता है। समाज लेन- देन का वह स्थान है जहां लोग अच्छे व्यवहार के मनुष्य को पसंद करते हैं और अच्छे व्यवहार का विशेष महत्व व स्थान है। इस्लामी शिक्षाओं में अच्छे व्यवहार का स्वामी उस व्यक्ति को कहा जाता है जो खुले मन और न्रम भाव से दूसरों से पेश आता है। वह हर स्थिति में दूसरों से अच्छे व सुशील ढंग से पेश आने की क्षमता रखता है। वह दूसरों से मुस्करा कर और प्रेमपूर्ण ढंग से बात करने में सक्षम होता है। हम सब इस बात को भलिभांति जानते हैं कि मनुष्य के सामाजिक संबंध में इस क्षमता का क्या प्रभाव है और वह कितनी सारी समस्याओं का संकट मोचन होता है। इसके विपरीत बुरा और कड़ा व्यवहार दूसरों के लिए कष्टदायक होता है और उसकी जड़ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व में होती है। अच्छा व्यवहार/ आत्ममुग्धता, घमंड और हठधर्मिता जैसी बुरी आदतों को नियंत्रित करने वाला होता है और एक दूसरे के साथ घुल मिल कर रहने को सरल बना देता है। अलबत्ता अच्छा व्यवहार उस समय प्रभावी होता है जब वह ईमान के साथ और मिथ्याचार व दोहरेपन से दूर हो। अच्छा व्यवहार उस समय श्रेष्ठता का कारण है जब वह नैतिक सिद्धांतों एवं मानवीय प्रवृत्ति के साथ हो। अलबत्ता धार्मिक परिप्रेक्ष्य में अच्छे व्यवहार के विशेष मापदंड और परिस्थितियां होती हैं। उदाहरण स्वरूप अकारण ही कदापि प्रेम को सब पर न्यौछावर नहीं किया जा सकता। नास्तिकों और शत्रुओं के साथ नर्मी एवं अच्छे व्यवहार से पेश नहीं आना चाहिये। यह चीज़ इस्लाम में तवल्ला और तबर्रा नाम के दो सिद्धांतों के रूप में बयान की गयी है। तवल्ला यानी ईश्वर के मित्रों से मित्रता और तबर्रा यानी ईश्वर के शत्रुओं से शत्रुता और उनसे दूरी बनाये रहना है।

 

अच्छे व्यवहार को दूसरों के दुरूपयोग का माध्यम नहीं होना चाहिये। मनुष्य को अच्छे व्यवहार का होना चाहिये परंतु अच्छा व्यवहार इस बात का कारण नहीं होना चाहिये कि दूसरे लोभ करने लगें और नक्शा बनाकर एवं षडयंत्र रचकर उसकी तबाही व हानी का कारण बन जायें। यदि मनुष्य का मित्र ग़लत सोच व विश्वास रखता है तो न चाहते हुए भी वह मनुष्य को अनुचित कार्यों के लिए उकसायेगा। मनुष्य को एसा नहीं होना चाहिये कि अच्छे व्यवहार के बहाने और दूसरों की प्रसन्नता प्राप्त करने तथा उनके दिल को न तोड़ने के लिए हर काम करने के लिए तैयार हो जाना चाहिये। हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम से पूछा गया कि अच्छा व्यवहार क्या है? तो उन्होंने उत्तर दिया” विन्रम होना, अच्छे ढंग से बात करना और अपने भाइयों के साथ खुले मन से पेश आना है”

 

नर्म व विनम्र होने का अर्थ कड़ाई न करना और सरलता से पेश आना। बहुत सी कड़ाइयों का स्रोत ग़लत विचार और ग़लत विश्वास है। विनम्रता और दुनिया के कार्यों में सरलता से पेश आने का हमारे अच्छे व्यवहार में बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। शांति भी अच्छे व्यवहार से सम्पन्न होने का महत्वपूर्ण कारक है। जिस व्यक्ति के पास शांति न हो वह अच्छे व्यवहार वाला बाक़ी नहीं रह सकता। बहुत से अवसरों पर हमारे अकारण व अर्थहीन झड़ने व विवाद, अशांति के परिणाम हैं कि जो विभिन्न कारणों से हमारे भीतर हैं।

प्रत्येक दशा में अशांति है और हमें इस बात को याद रखना चाहिये कि  अशांति के समय स्वयं को नियंत्रित करें और इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि अशांति हमारे अंदर से ही अस्तित्व में आती है तो अगर हम धैर्य से काम लें और उसे दूसरों तक स्थानांतरित न करें तो शांति प्राप्त करने में स्वयं की भी सहायता हो सकती है। अच्छे व सुन्दर ढंग से बात भी अच्छे व्यवहार का चिन्ह है। व्यवहार का बहुत बड़ा भाग हर व्यक्ति के बात करने के तरीक़े से संबंधित होता है। ईर्ष्यालु और झूठा व्यक्ति कभी भी अच्छे व्यवहार का स्वामी नहीं बन सकता। क्योंकि दूसरों के साथ लेन- देन में कभी भी उदारता और सच्चाई से काम नहीं लेता।

 

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में बयान किया गया है कि हंसमुख  होना भी अच्छे व्यवहार का चिन्ह है। वास्तव में दूसरों से पेश आने में हमारे हंसमुख होने की बहुत भूमिका है। जो व्यक्ति प्रसन्न चित और हंसमुख चेहरे के साथ दूसरों से पेश आता है उसका अलग ही प्रभाव व परिणाम होता है और वह मनुष्य की प्रफुल्लता का सूचक होता है। लोगों से भेंट और पेश आने के समय पैग़म्बरे इस्लाम का पावन व तेजस्वी चेहरा इस प्रकार का होता था कि जो भी पैग़म्बरे इस्लाम से भेंट करता था वह यह सोचता था कि वह पैग़म्बरे इस्लाम के निकट प्रियतम व्यक्ति है इसके बिना कि पैग़म्बरे इस्लाम अपनी ज़बान से प्रेम व्यक्त करें।

अच्छे व्यवहार के बारे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का एक सुन्दर वाक्य है। आप कहते हैं” अपने व्यवहार को अच्छा करो ताकि ईश्वर प्रलय के दिन तुम्हारा हिसाब सरल ले” यानी अच्छा व्यवहार करके अपने पापों के बोझ को कम किया जा सकता है। अच्छा व्यवहार हमारे बहुत से पापों का कफ्फारा है यानी उसकी कमी को पूरा कर देता है।  हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम कहते हैं” अच्छा व्यवहार पापों को मिटा देता है जिस तरह सूरज बर्फ को पिघला देता है दुर्व्यवहार अमल व कार्य को खराब कर देता है जिस तरह सिर्का शहद को खराब कर देती है”

 

अच्छे व्यवहार का एक सुपरिणाम आजीविका का अधिक होना है यानी जिस व्यक्ति का व्यवहार अच्छा होता है उसकी आजीविका अधिक होती है। जिस व्यक्ति का व्यवहार अच्छा होता है वह दूसरों के साथ अधिक लेन- देन कर सकता है। महान व सर्वसमर्थ ईश्वर भी इस मार्ग में अच्छे स्वभाव व व्यवहार वाले व्यक्ति की सहायता करता है। अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति की आजीविका अधिक होती है यह एसी चीज़ है जिसे भलिभांति समझा व देखा जा सकता है। जब आप घर के लिए कुछ खरीदारी करना चाहते हैं तो सबसे पहले यह सोचते हैं कि कहां से और किससे खरीदें? कोई भी बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति को पसंद नहीं करता है और कोई भी बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति से खरीद नहीं करना चाहता। उदाहरण स्वरूप एक मोहल्ले में फल बेचने की दो दुकानें हैं  एक अच्छे व्यवहार वाले और दूसरे बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति की। कोई भी बुरे स्वभाव बाले व्यक्ति से ख़रीद नहीं करना चाहता इसलिए जो व्यक्ति व्यवहार का अच्छा होगा खरीदारी के लिए उसकी दुकान पर अधिक लोग जायेंगे। धार्मिक शिक्षाओं में भी इस बात की ओर संकेत किया गया है। पैग़म्बरे इस्लाम कहते हैं” ईश्वर अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति को उसकी राह में धर्मयुद्ध करने वाले व्यक्ति का पुण्य देगा अच्छा व्यवहार मुबारक है और बुरा व्यवहार अशुभ है और वह जीवन में परेशानी का कारण है। हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम भी कहते हैं” अच्छे व्यवहार से आजीविका अधिक होती है।

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