शियों के आमाल हर रोज़ इमाम से सामने पेश किये जाते हैं

शियों के आमाल हर रोज़ इमाम से सामने पेश किये जाते हैं

इबने शहर आशोब ने मुसा बिन सय्यार से रिवायत की हैं। कि उन्होनें कहा:

मैं हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) के साथ था। और हम लोग शहरे तूस के पास पहुचें थे। कि हमने रोने पीटने की आवाज़ सुनी। हम उस आवाज़ के पीछे गये। तो हम ने एक जनाज़ा देखा।

जब मेरी नज़र जनाज़े पर पड़ी तो मैं ने देखा कि मेरे आक़ा व मौला घोड़े से उतरे और उस जनाज़े के पास गये। और उसे उठा लिया। फिर ख़ुद को उस जनाज़े से मस किया। जिस प्रकार एक बच्चा अपनी मां से चिपक जाता हैं। फिर उन्होंने मेरी ओर देखा और फ़रमाया:

हे मुसा! बिन सय्यार जो भी मेरे दोस्तों में से किसी दोस्त के जनाज़े के साथ चले, वह अपने पापों से इस प्रकार पवित्र हो जाता हैं। जैसे वह अपनी मां के पेट से पैदा हुआ हो। फिर जब जनाज़े को क़ब्र के पास रखा गया। तो मैं ने अपने आक़ा हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) को देखा कि जो मय्यत की ओर गये। और लोगों को एक ओर किया। ताकि ख़ुद जनाज़े तक पहुंच सकें। फ़िर उन्होंने अपना पवित्र हाथ मय्यत के सीने पर रखा। और फरमाया:

हे फ़ला बिन फ़ला! तुम्हें जन्नत दिखाता हूँ। अब से कुछ देर बाद तुम्हें कोई डर और भय नहीं होगा।

मैं ने कहा मेरी जान आप पर क़ुर्बान हो जाए। क्या आप इस मय्यत को पहचानते हैं। क्योंकि आज से पहले ना तो आप ने इस शहर को देखा था। और ना ही यहां आये थे।

हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) ने फ़रमाया: हे मुसा! क्या तुम जानते हो। कि हमारे शियों के अमाल हर रोज़ सुबह म शाम हम इमामों के सामने पेश किये जाते हैं। बस अगर हम उन अमालों में कोई कमी देखें तो हम ईश्वर से उस को माफ़ करने की प्रार्थना करते हैं। और अगर हम उस के अच्छे कार्य देखे तो हम ईश्वर से उस की नेक जज़ा की प्रार्थना करते हैं।

(सहीफ़ए रीज़विया पेज 115)

नई टिप्पणी जोड़ें