इस्लामी क्रांति के दस दिन

इस्लामी क्रांति के दस दिन

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

 1 फ़रवरी 1779

इमाम ख़ुमैनी 14 साल तक वतन से दूर रहने के बाद लोगों को महान स्वागत के साथ ईरान वापस लौटे, एक ईरानी समाचार पत्र कैहान ने लिखा है कि लोग 33 किलोमीट तक इमाम ख़ुमैनी के स्वागत में खड़े हुए थे।

इमाम ख़ुमैनी के स्वागत समारोग के लाइव टेलीकास्ट को रोकने के लिए सेना ने चैनल के आफ़िस पर हमला किया और उसको रुकवा दिया, जिससे कुछ लोग इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने अपना टीवी तोड़ दिया।

इमाम ख़ुमैनी ईरान आने के बाद बहिश्ते ज़हरा (स) गए और वहा अपना एतिहासिक भाषण दिया जिसमें शाही हुकूमत को मानवाधिकारों के विरुद्ध बताया।

2 फ़रवरी 1779

अमरीका से 10 अरब डॉलर का हथियार ख़रीद समझौत रद्द हुआ।

इस्राईल ने इमाम ख़ुमैनी की ईरान वापसी पर चिंता व्यक्त की।

अमरीका ने ईरान को 16 मिग 16 विमान, 20 f16,  सात आवाक्स और बहुत से मीज़ाइल जिसका पैसा ईरान ने पहले ही दे दिया था, देने से इन्कार कर दिया।

इमाम ख़ुमैनी ने कहाः मैं बहुत जल्द नई सरकार की घोषणा करूंगा।

इमाम ख़ुमैनीः यह सरकार भ्रष्ट और ग़ैर क़ानूनी है, इसको जाना होगा।

3 फ़रवरी 1779

इमाम ख़ुमैनी के  क्रांतिकारी परिषद के सदस्यों को मोअय्यन किया।

इमाम ख़ुमैनी ने सेना को लोगों के साथ मिल जाने का निमंत्रण दिया।

इमाम ख़ुमैनी ने वायु सेना के लोगों के बीच भाषण देते हुए बख़्तियार की सरकार को हट जाने के लिए कहा।

बख़्तियार ने कहाः आज के हालात 25 साला डिक्टेटरशिप का नतीजा है जिसे शाही हुकूमत ने जारी रखा था।

अमरीकी जनरल हाएज़ जो शाह के भागने के बाद ईरान में तख़्ता पलट पर नज़र रखने के लिए ईरान आया था, इमाम ख़ुमैनी के ईरान आने के बाद निराशा के साथ वापस चला गया।

4 फ़रवरी 1779

बख़्तियाः अल्पकालीन सरकार का गठन नहीं होने दूंगा।

एक सेना अधिकारी ने कहाः शांति पूर्ण प्रदर्शन पर कोई रोक नहीं है।

ईरान के बारे में अमरीका और ब्रिटेन में बातचीत हुई।

प्रधानमन्त्री कार्यालय के लोगों ने हड़ताल कर दी।

5 फ़रवरी 1779

इमाम ख़ुमैनी ने बाज़रगान को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनाया।

बख़्तियार ने कहाः ना मैं शाह से मिलूगा और ना ही इमाम ख़ुमैनी से और आयतुल्लाह के अंतरिम सरकार का गठन नहीं करने दूंगा।

गार्डिन समाचार पत्र ने लिखाः शाह से कहा गया कि वह ईरान वापस चला जाए।

इस्राईली गुप्तचर एजेंसी सिया ने कहाः ईरान में सिया की नाकामी गंभीर है।

6. फ़रवरी 1779

इमाम ख़ुमैनी ने रिपोर्टरों के सामने अंतरिम सरकार के बारे में बात की और रिपोर्टरों के प्रश्नों का उत्तर दिया।

इमाम ख़ुमैनी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस्तिफ़ा दे चुके वर्करों से शाह की गै़र क़ानूनी सरकार उसने अनुबंधों के बारे में बात की और कहा कि शाह ने मेरी नसीहत को अंनदेखा किया।

इमाम ख़ुमैनीः अगर बख़्तियार की सरकार हट जाए तो मैं अराजकता को समाप्त करवा दूंगा।

सुरक्षा बलों का भारी मात्रा में मौजूदगी के साथ संसद सत्र आरम्भ हुआ और वहां सावाक (अत्याचारी गुप्तचर एजेंसी) को भंग करने पर विधेयक पारित हुआ।

अधिकतर लोगों ने बाज़ारगान के प्रधानमंत्री होने का समर्थन किया।

7. फ़रवरी 1779

क्रांतिकारी सरकार ने सरकारी दफ़्तरों को अपने कंट्रोल में लिया।

कुछ सैनिकों ने इमाम ख़ुमैनी से मुलाक़ात की।

अमरीका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह अब भी बख़्तियार की सरकार को ही मानती है। दूसरी तरफ़ व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहाः बख़्तियार को लोगों की राय को स्वीकार करना चाहिए।

रेडियों लंदन और रोडियो मास्को ने कहाः सैकड़ों भूतपूर्ण सैनिक और कुछ सेना के अधिकारी जो शाह के विरोध के कारण सेना से निकाल दिए गए थे, ने इमाम ख़ुमैनी का साथ देने का एलान किया।

13 और सांसदों ने इस्तिफ़ा दिया।

एक अमरीकी नागरिक जिसने ईरान के शहर इसफ़हान में एक ड्राइवर को मारा था उस पर धार्मिक अदालत में मुक़दमा चलाया गया और जुर्माना देने के बाद उसको छोड़ा गया (कैपिटिलेज़्म के क़ानून के आधार पर इससे पहले किसी भी ईरानी अदालत को यह अधिकार नहीं था कि वह अमरीकी नागरिकों के विरुद्ध मुक़दमा चला सके, इस मुक़दमें का चलना लोगों और क्रांति के शक्तिशाली होने को दिखा रहा था)

8 फ़रवरी 1779

कुछ वायु सेना के अधिकारियों ने इमाम ख़ुमैनी और क्रांति के साथ जुड़ने का संकेत दिया।

शाह के कुछ समर्थकों ने तेहरान में प्रदर्शन किया और विरोधियों के साथ मारपीट की।

कुछ दिनों से और आज भी तेहरान में विभिन्न तबक़ों के क्रोधित लोगों ने शाह के महल के सामने प्रदर्शन किया और बैंको, सरकारी दफ़्तरों आदि पर हमला किया. हर तरफ़ आग लगी हुई थी।

बख़्तियाः मैं और बाज़रगान समझौता कर सकतें हैं।

9 फ़रवरी 1779

अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बाज़रगान ने तेहरान विश्विद्यालय में सरकार के प्रोग्रामों का एलान किया और कहाः इमाम ख़ुमैनी ने मुझे जो दायित्व दिया है वह ईरान की मशरूतियत के 71 साला इतिहास की सबसे गंभीर ज़िम्मेदारी है।

गार्डों द्वारा वायु सेना के केन्द्र पर हमला करने के साथ ही सड़कों पर लड़ाई आरम्भ हो गई, हुमाफ़ेरान के अनुसार जब रेडियों ने एलान किया कि समाचार के बाद इमाम ख़ुमैनी की फ़िल्म चलाई जाएगी तो वह लोग केन्द्र के सेंटर में जमा हो गए और जैसे ही इमाम ख़ुमैनी को दिखाया गया पूरा सेंटर सलवात की आवाजो़ं से गूंज उठा।

हुमाफ़ेरान के हास्टल के पास लोगों ने रात के 11 बजे से पहरा लगा रखा था, उनको डर था कि कहीं उनके हटसे से गार्ड दोबारा हास्टल पर हमला ना कर दे। इमाम ख़ुमैनी ने कहा लोग वहां से ना हटें।

लोग वायु सेना के हास्टल के पास नारे लगा रहे थे और टायर जला कर ख़ुद को गर्म कर रहे थे, सुबह 5/3 बजे सैन्य सरकार के अधिकारियों ने हवा में फ़ायर करते हुए लोगों पर हमला कर दिया।

10 फ़रवरी 1779

तेहरान में ख़ूनी जंग जारी थी। इसमें कई लोग मारे गए

इसके बाद एक के बाद एक कई पुलिस केन्द्रों पर लोगों के क़ब्ज़ा करने के ख़बरें आईं।

इमाम ख़ुमैनी ने सैन्य सरकार के कर्फ्यु के एलान पर कहाः सेना का यह एलान धर्म के विरुद्ध है और लोग उसपर ध्यान ना दें... मैं सेना को सावधान करता हूं कि अगर वह अपने भाइयों को मारने से बाज़ नहीं आएंगे तो हम अंतिम फैसला ईश्वर पर भरोसा करते हुए लेगें।

अंतरिम सरकार ने सेना के एलान को साजिश कहा।

11 फ़रवरी 1779

पूरे तेहरान जंग का मैदान बना हुआ था।

सेना का तख़्ता पलट फेल हुआ।

लोगों ने हथियारों के क्रेन्द्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया और हथियार ले गए।

इमाम ख़ुमैनी ने धमकी भरे अंदाज़ में चेतावनी दीः मैंने अभी तक जेहाद का आदेश नहीं दिया है लेकिन अंतिम फ़ैसला ले लूंगा।

इमाम ख़ुमैनीः सैन्य सरकार का एलान धर्म के विरुद्ध है लोग उस पर ध्यान ना दें।

लोगों ने क्रांति की सुरक्षा के लिए हर शहर में मोरचा बनाया।

बख़्तियारः में बातचीत के लिए तैयार हूं।

शाह ने मराकिश में इस्तिफ़ा दिया।

सेना की सुप्रीम काउंसिल की घोषणाः सेना लोगों की हर मांग का समर्थन करेगी।

ईरान सदैव के लिए अत्याचारी शहंशानी हुकूमत से आज़ाद हो गया और और धार्मिक उसूलों पर आधारित एक न्याय प्रिय सरकार का गठन हुआ और इस प्रकार विश्व नक़्शे पर एक नए और वास्तविक इस्लामी लोकतंत्र का सूर्योदय हुआ।

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