दीवार सोने में बदल गई!!

दीवार सोने में बदल गई!!

बिहारुल अनवार में रिवायत हैं! कि एक बार हज़रत अली (अ) घर में आए। और जनाबे ज़हरा (स) से फ़रमाया। कुछ खाने को हैं? बीबी ने फ़रमाया। या अली (अ)! आप को मालूम हैं। कि तीन दिन से कुछ नहीं खाया हैं।

आप ने फ़रमाया:

अच्छा ऐसा करो कोई वस्तु दे दो ताकि किसी के पास गिरवी रख कर कुछ खाने को लाऊं।

बीबी ने एक चादर पेश कर दी।

हज़रत अली (अ) उसे लेकर अपने यहूदी पड़ोसी के पास गये। और फ़रमाया: यह चादर रख लो और हमें कुछ जौ दे दो। यहूदी ने चादर रख ली और जौ दे दिये। फिर क्रोध में आकर कहा।

या अली (अ) तुम्हारा नबी (स) तो बड़े बड़े कार्य करता हैं। और तुम लोग कहते हो कि वह ईश्वर का बहुत अच्छा बन्दा हैं। जो प्रार्थना करता हैं। वह पूरी हो जाती हैं। क्या उस से इतना भी नहीं हो सकता हैं कि वह तुम लोगों के लिए पेट भर खाने की प्रार्थना करता और वह पूरी हो जाती। ताकि तुम लोग इधर उधर ना फिरते और आराम से खाना खा लिया करते।

आप ने फ़रमाया:

यहूदी ऐसी बात नहीं हैं। हमारा आक़ा तो बहुत बड़ा मालिक हैं। अगर मैं भी चाहूं! और इस दीवार को आदेश दूं कि सोने की हो जा, तो यह दीवार सोने की हो जाएगी।

अब जो यहूदी की निगाह दीवार पर पड़ी तो क्या देखा कि पूरी दीवार सोने की हो गई थी।

हज़रत अली (अ) ने दीवार से फ़रमाया: मैं तो बस ऐसे ही बात कर रहा था। मैं ने तुझे हुक्म तो नहीं दिया। दीवार से आवाज़ आई। या अली (अ) आप के आदेश का पालन हम पर वाजिब है और दुनिया का हर व्यक्ति उलिल अम्र का कहना मानता हैं। यहुदी ने उसी समय कलमा पढ़ लिया।

हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया:

हम दुनिया इसीलिए नहीं चाहते हैं। कि उसे ईश्वर पसन्द नहीं करता। वरना दुनिया हमारे लिए इतनी मुश्किल नहीं हैं।

(दमअतुस साकेबा पेज 331)

नई टिप्पणी जोड़ें