सऊदी अरब के विवादास्पद क़ानून की निंदा
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विवादास्पद आतंकवाद विरोधी क़ानून के लिए सऊदी अरब की निंदा करते हुए कहा है कि यह क़ानून इस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने के लिए एक नया हथियार है।
ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन का कहना है कि नए सऊदी क़ानून का मूल उद्देश्य इस देश में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन को क़ानूनी रूप प्रदान करना है।
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल के उप निदेशक सईद बोमेदौहा ने सोमवार को एक बयान जारी करके कहा कि इस नए क़ानून से हमारी आशंकाओं की पुष्टि हो गई है कि सऊदी अरब के अधिकारी देश में मानवाधिकारों और अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण रूप से आवाज़ उठाने वालों पर किए जा रहे अत्याचारों को क़ानूनी चादर से ढकना चाहते हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की ओर से यह प्रक्रिया सऊदी अरब के उस विवादास्पद आतंकवाद विरोधी क़ानून के बारे में आई है जिसमें हर उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ रियाज़ को मुक़दमा चलाने का अधिकार होगा कि जो देश में राजनीतिक सुधार की मांग या राजशाही शासन की नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेगा।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सऊदी अरब की जेलों में 40 हज़ार से अधिक राजनीतिक क़ैदी बंद हैं, इन राजनीतिक क़ैदियों की एक बड़ी संख्या ऐसी है कि जिन पर वर्षों बीत जाने के बाद भी मुक़दमा नहीं चलाया गया है।
राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि सऊदी अरब की तानाशाही सरकार इस प्रकार के क़ानून देश के पूर्वी प्रांतों में राजनीतिक सुधारों के लिए जारी प्रदर्शनों को दबाने के लिए बना रही है।
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