अराधना तीन प्रकार की होती है...
अराधना तीन प्रकार की होती है...
ईश्वर की आराधना तीन प्रकार की होती हैं।
1. केवल जिस्मानी जैसे नमाज़, रोज़ा आदि।
2. केवल माली जैसे ज़कात, आदि
3. जिस्मानी और माली जैसे! हज,
और इमाम हसन (अ) इन तीनों प्रकारों में बहुत अधिक सक्रिय थे
जहां तक वित्तीय इबादत का सवाल है तो इस सिलसिले हिलयतुल अवलिया में हाफ़िज़ अबु नईम की यह रिवायत ही काफी है।
कि इमाम हसन (अ) ने अपने पूरे जीवन में तीन बार अपने सारे माल को दो हिस्सों में बांटा और आधा ख़ुद रखा और आधा ख़ुदा की राह में ख़ैरात कर दिया। जहां तक जिस्मानी इबादत का सवाल है तो इस सिलसिले में हाफ़िज़ अबु नईम की हिलयतुल अवलिया की यह रिवायत काफ़ी है। कि आप ने जीवन में बीस हज पैदल किये।
(दमअतुस साकेबा पेज न 533)
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