पीठ पीछे बुराई करने का अंजाम
पीठ पीछे बुराई करने का अंजाम
धार्मिक शिक्षाएं और नियम, सामाजिक व व्यक्तिगत आयामों से मनुष्य का मार्गदर्शन करती हैं ताकि मनुष्य मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के साथ ही साथ सामाजिक व्यवस्था में भी सकारात्मक भूमिका निभाने में सक्षम हो। इसी लिए हर उस कार्य से रोका गया है जो इस भूमिका और इस व्यवस्था में विघ्न उत्पन्न करता हो इसके साथ ही उन सभी कामों पर मनुष्य को प्रोत्साहित किया गया है जो इन सामाजिक संबंधों और इस व्यवस्था को मज़बूत करने के साथ साथ मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हो।
एक एसी बुराई जो मनुष्य के मन मस्तिष्क को हानि पहुंचाती तथा सामाजिक संबंधों के लिए भी विष होती है, पीठ पीछे बुराई करना है। पीठ पीछे बुराई करने की इस्लामी शिक्षाओं में अत्याधिक आलोचना की गयी है। पीठ पीछे बुराई की परिभाषा में कहा गया है पीठ पीछे बुराई करने का अर्थ यह है कि किसी की अनुपस्थिति में उसकी बुराई किसी अन्य व्यक्ति से की जाए कुछ इस प्रकार से कि यदि वह व्यक्ति स्वंय सुने तो उसे दुख हो। पैगम्बरे इस्लाम ने पीठ पीछे बुराई करने की परिभाषा करते हुए कहा है कि पीठ पीछे बुराई करना यह है कि अपने भाई को इस प्रकार से याद करो जो उसे नापसन्द हो। लोगों ने पूछाः यदि कही गयी बुराई सचमुच उस व्यक्ति में पाई जाती हो तो भी वह पीठ पीछे बुराई करना है ? तो पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि जो तुम उसके बारे में कह रहे हो यदि वह उसमें है तो यह पीठ पीछे बुराई करना है और यदि वह बुराई उसमें न हो तो फिर तुमने उस पर आरोप लगाया है।
यहां पर यह प्रश्न उठता है कि मनुष्य किसी की पीठ पीछे बुराई क्यों करता है? पीठ पीछे बुराई के कई कारण हो सकते हैं। कभी जलन, पीठ पीछे बुराई का कारण बनती है। जबकि मनुष्य को किसी अन्य की स्थिति से ईर्ष्या होती है तो वह उसकी छवि खराब करने के लिए पीठ पीछे बुराई करने का सहारा लेता है। कभी क्रोध भी मनुष्य को दूसरे की पीठ पीछे बुराई करने पर प्रोत्साहित करता है। एसा व्यक्ति अपने क्रोध की ज्वाला शांत करने के लिए उस व्यक्ति की बुराई करता है। पीठ पीछे बुराई का एक अन्य कारण आस पास के लोगों से प्रभावित होना भी है। कभी कभी किसी बैठक में कुछ लोग मनोरंजन के लिए ही लोगों बुराईयां बयान करते हैं और इस स्थिति मनुष्य यह जानते हुए भी कि पीठ पीछे बुराई करना हराम और पाप है, लोगों का साथ देने और अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए अन्य लोगों की बुराइयां सुनने लगता है और कभी कभी वातावरण का उस पर इतना प्रभाव हो जाता है कि वह स्वंय भी बुराई करने लगता है ताकि इस प्रकार से अपने साथियों को प्रसन्न कर सके।
पीठ पीछे बुराई करने का एक अन्य कारण लोगों का मज़ाक उड़ाने में रूचि है और इस प्रकार से उपहास करके कुछ लोग, अन्य लोगों की प्रतिष्ठा व मान सम्मान से खिलवाड़ करते हैं। कुछ लोगों दूसरों प्रसन्न करने और उन्हें हंसाने के लिए किसी व्यक्ति की पीठ पीछे बुराई करते हैं। कुछ अन्य लोग, हीनभावना में ग्रस्त होने के कारण, अन्य लोगों की पीठ पीछे बुराई करते हैं ताकि इस प्रकार से स्वंय को अन्य लोगों से श्रेष्ठ दर्शा सके। उदाहरण स्वरूप अन्य लोगों को मूर्ख कहते है ताकि स्वंय को बुद्धिमान दर्शाएं।
अब हम इस पर चर्चा करेंगे कि पीठ पीछे बुराई करने का मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? वास्तव में इस बुराई के समाज में फैलने से समाज की सब से बड़ी पूंजी अर्थात एकता व समरसता को अघात पहुंचता है और सामाजिक सहयोग की पहली शर्त अर्थात एक दूसरे पर विश्वास ख़त्म हो जाता है। लोग एक दूसरे की बुराई करके और सुन कर, एक दूसरे की छिपी बुराईयों से भी अवगत हो जाते हैं और इसके परिणाम में एक दूसरे के बारे में उनकी सोच अच्छी नहीं होती और एक दूसरे पर भरोसा पूर्ण रूप से ख़त्म हो जाता है। पीठ पीठे बुराई, अधिकांश अवसरों पर लड़ाई झगड़े को जन्म देती है और लोगों के मध्य शत्रुता व द्वेष की आग को भड़काती है। कभी कभी किसी की बुराई सार्वाजनिक करने से वह व्यक्ति उस बुराई पर अधिक आग्रह कर सकता ह क्योंकि जब किसी का कोई पाप, पीठ पीछे बुराई के कारण सार्वाजनिक हो जाता है तो फिर वह व्यक्ति उस पाप से दूरी या उसे छिप कर करने का कोई कारण नहीं देखता।
कुरआने मजीद में इस बुराई की कुरुपता व हानि का बड़े स्पष्ट शब्दों में वर्णन किया गया है और मुसलमानों को इस बुराई से दूर रहने को कहा गया है। उदाहरण स्वरूप कुरआने मजीद के सुरए हुजोरात की आयत नंबर १२ में कहा गया है। हे ईमान लाने वालो! बहुत सी भ्रांतियों से दूर रहो, क्योंकि कुछ भ्रांति पाप है। और कदापि दूसरो के बारे में जिज्ञासा न रखो और तुम में से कोई भी दूसरे की पीठ पीछे बुराई न करे क्या तुम में से कोई यह पसन्द करेगा कि वह अपने मरे हुए भाई का मांस खाए निश्चित रूप से तुम सब के लिए यह बहुत की घृणित कार्य है। ईश्वर से डरो कि ईश्वर प्राश्यचित को स्वीकार करने वाला और कृपालु है।
कुरआने मजीद की इस आयत में पीठ पीछे बुराई करने को मृत भाई के मांस खाने जैसा बताया गया है कि जिससे हरेक को घृणा होगी। कुरआने मजीद ने इन शब्दों का प्रयोग करके यह प्रयास किया है कि पीठ पीछे बुराई की कुरूपता को बुद्धिमानों के सामने सप्ष्ट किया जाए ताकि वे स्वंय ही इस बुराई के कुप्रभावों का अनुमान लगाएं। इस प्रकार से कुरआने मजीद ने अपने शब्दों से अंतरात्माओं को झिंझोड़ दिया है । इसी प्रकार इस आयत में किसी के बारे में बुरे विचार और भ्रांति को जिज्ञासा का कारण और जिज्ञासा को अन्य लोगों के रहस्यों से पर्दा हटने का कारण बताया है जो वास्तव में पीठ पीछे बुराई का कारण बनता है और इस्लाम ने इन सब कामों से कड़ाई के साथ रोका है।
पीठ पीछे बुराई करना इतना विनाशक कृत्य है कि पैगम्बरे इस्लाम ने कहा है कि पीठ पीछे बुराई करना, इतनी जल्दी अच्छे कर्मों को नष्ट कर देता है जितनी जल्दी आग सूखी घास को भी नहीं जलाती। इसी लिए उन्होंने एक अन्य स्थान पर फरमाया है कि यदि तुम कहीं हो और वहां किसी की पीठ पीछे बुराई हो रही हो तो जिसकी बुराई की जा रही हो उसकी ओर से बोलो और लोगों को उसकी बुराई से रोको और उनके पास से उठ जाओ। इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी ने अपनी किताब चहल हदीस में इस बुराई से बचने के लिए कहते हैं कि तुम यदि उस व्यक्ति से शत्रुता रखते हो जिसकी बुराई कर रहे हो तो शत्रुता के कारण होना यह चाहिए कि तुम उसकी बिल्कुल ही बुराई न करो क्योंकि एक हदीस में कहा गया है कि पीठ पीछे बुराई करने वाले के अच्छे कर्म जिसकी बुराई की जाती है उसे दे दिये जाते हैं तो इस प्रकार से तुमने स्वंय से शत्रुता की है।
पीठ पीछे बुराई करने वाला अपने काम पर ध्यान देकर उस कारक पर विचार कर सकता है जिसने उसे किसी की पीठ पीछे बुराई करने पर प्रोत्साहित किया है। इसके बाद वह उस कारक को दूर करने का प्रयास करे। यदि पीठ पीछे बुराई इस लिए कर रहा है ताकि इस बुराई में ग्रस्त अपने साथियों का साथ दे सके तो उसे जान लेना चाहिए वह अपने इस काम से ईश्वर के आक्रोश को भड़काता है इस लिए बेहतर यही होगा कि वह एसी लोगों के साथ उठना बैठना न करे। यदि उसे यह लगता है कि वह गर्व के लिए और अन्य लोगों के सामने अपनी बढ़ाई के लिए दूसरों की पीठ पीछे बुराई करता है तो उसे इस वास्तविकता पर ध्यान देना चाहिए अन्य लोगों के सामने बढ़ाई करने से आत्मसम्मान गंवाने के अलावा और कोई परिणाम नहीं निकलेगा। यदि पीठ पीछे बुराई करने का कारण ईर्ष्या है तो उसे यह जान लेना चाहिए कि उसने दो पाप किये हैं। एक जलनन और दूसरा पीठ पीछे बुराई करना इसके साथ ही लोक परलोक के परिणामों के दृष्टिगत, पीठ पीछे बुराई करने वाला किसी अन्य से अधिक स्वंय अपने आप को हानि पहुंचाता है। इस लिए उसे इस बुराई से दूर रहने के लिए उसके परिणामों पर ध्यान देना चाहिए। इस आलोचनीय कृत्य का, लोक में कुपरिणाम के साथ ही, परलोक में ईश्वरीय प्रकोप के रूप में भी परिणाम सामने आएगा। मनुष्य को परिणामों से डरना चाहिए इस बात से डरना चाहिए कि यदि आज वह पीठ पीछे बुराई करके अन्य लोगों का रहस्य सब के सामने उजागर करता है तोज कल प्रलय में ईश्वर भी उसके रहस्यों से पर्दा हटा कर उसे सब से सामने अपमानित करेगा।
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