मूछों वाली मछली
मूछों वाली मछली
बिहारुल अनवार में हज़रत इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि एक बार दरियाए फ़ुरात में तुफ़ान आ गया। कुफ़े के डूब जाने का डर हो गया। कूफ़े के सभी लोग इक्कठा होकर हज़रत इमाम अली (अ) के पास आए और कहा कि इमाम हम बरबाद हो गए। हम ने कभी भी दरियाए फ़ुरात में इतना पानी नहीं देखा। इमाम अली (अ) आए। और सभी लोग आप के आगे पीछे दाएं बाएं चल रहे थे। आप मस्जिदे नबी के पास से गुज़रे वहां कुछ नवजवान लोग खड़े थे। उन्होंने इमाम अली (अ) को देख कर कुछ कहा। और आपस में एक दूसरे को देख कर हसने लगे।
हज़रत इमाम अली (अ) ने उन्हें देख लिया। और कहा हे बुरे लोगों हे बदनसीबो! फिर लोगों की ओर देख कर कहा: कि है कोई जो मुझ से यह ग़ुलाम ख़रीदे।
यह सुन कर उन के बड़े बूढ़े हाथ जोड़ने लगे और कहने लगे। इमाम यह नवजवान लोग ना समझ हैं, आप उनकी बात को ना सुने। आप इन्हें माफ़ कर दें। हम सब इनकी बातों से परेशान हैं।
फिर इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
कि माफ तो करूगाँ लेकिन कुछ शर्तें है।
उन्होंने कहा कि हम आप की शर्तों को स्वीकार करते है। आप फ़रमाए।
हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया
कि यह जो तुम ने आवबाश ख़ाने बने रखे है उसे गिरा दो।
हर एक ने अपने मकान से बाहर निकल कर गली को जो घेरा था उसे कम कर दिया।
गलियों में रखे हुए परनाले बदल दो।
रास्तों में जितने गढ्ढे है उन्हें मिटा दो।
और फिर फ़रमाया कि यह सब मेरे वापस आने तक हो जाना चाहिए। मैं देखूगां और घर बाद में जाऊंगा। अगर इन में से एक भी चीज़ मेरे आने तक सही ना हुई तो फिर यह ख़ुद ज़िम्मेदार होगें।
उन्होंने कहा! इमाम आप परेशान ना हो।
यह सुनकर आप आगे बढ़ गये। दरियाए फ़िरात पर पहुंचे। दरियाए फ़ुरात में अधिक तूफ़ान था।
आप ने अरबी ज़बान में कुछ कहा। दरिया किनारों से दो फ़िट नीचे चला गया। फिर आप ने कूफ़े के लोगों से पूछा। क्या इतना ही ठीक है?
उन्होनें कहा! कि इमाम अभी ख़तरा तो नहीं टला है। किसी भी समय यह उचाँ हो सकता है।
इमाम के हाथों में डंडा था। आप ने उसे पानी पर मारा। फिर ऐसा लगा कि दरिया बिल्कुल सूख गया हो। फिर मछ्लियां दिखने लगी।
सभी मछ्लियों ने सलाम अलैकुम या अमीरल मोमिनीन कह कर सलाम किया।
आप ने सलाम का जवाब दिया। और फिर फ़रमाया! कि तुम ने हमें कैसे पहचाना?
सभी मछ्छलियों ने कहा। हे इमाम पैदा करने के बाद अल्लाह ने हम पर आपकी विलायत पेश की थी और मूछों वाली मछली और सांप मछली के अतिरिक्त हम सबने आपकी विलायत स्वीकार की थी।
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