किस रंग के कपड़े पहनें?

किस रंग के कपड़े पहनें?

उन रंगों का बयान जिनका कपड़ो में होना मसनून या मकरुह है

हफ़्ज़ मुवज़्ज़िन ने रिवायत की है कि मैं ने जनाबे इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को देखा कि वह क़ब्र और मिम्बरे रसूल ख़ुदा (स) के बीच में नमाज़ पढ़ रहे थे और जर्द  रंग के कपड़े पहने हुए थे।

हदीसे हसन में ज़ोरारा से मंक़ूल है कि मैंने हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) को इस सूरत में घर से निकलते देखा कि उन का जुब्बा भी ज़र्द ख़ज़ का था और अम्मामा और रिदा भी जर्द रंग की थी।

हदीसे मोतबर में हकम बिन अतबा से रिवायत है कि जनाबे इमामे मुहम्मद बाक़िर (अ) की खिदमत में गया तो देखा कि गहरा सुर्ख़ कपड़ा पहने हुए हैं जो क़ुसुम (मसूर की रंगत वाला) के रंग से रंगा हुआ है। हज़रत ने फ़रमाया ऐ हकम, तू इस कपड़े के बारे में क्या कहता है? अर्ज़ किया या हज़रत जो चीज़ आप पहने हैं उसमें मैं क्या अर्ज़ कर सकता हूँ? हाँ हममें जो रंगीले जवान ऐसे कपड़े पहनते हैं हम उन को ज़रुर ताना देते हैं, हज़रत ने इरशाद फ़रमाया कि ख़ुदा की ज़ीनत को किस ने हराम किया है, उस के बाद फ़रमायायह सुर्ख़ कपड़ा मैंने इस लिये पहना है कि मैंने अभी अभी शादी की है

हदीसे हसन में हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ) से रिवायत है कि गहरा सुर्ख़ कपड़ा पहनना सिवाए नौशा (दुल्हा) के औरों के लिये मकरुह है।

हदीसे मोतबर में युनुस से रिवायत है कि मैंने जनाबे इमाम रिज़ा (अ) को नीली चादर ओढ़े हुए देखा।

हसन बिन ज़ियाद से रिवायत है कि मैंने हज़रत अबू जाफ़र (अ) को गुलाबी कपड़े पहने हुए देखा।

मुहम्मद बिन अली से रिवायत है कि मैने हज़रत इमाम मूसा काज़िम (अ) को मसूर की दाल के रंग के कपड़े पहने देखा।

अबुल अला से रिवायत है कि मैंने हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को सब्ज़ बरदे यमानी (यमन की बनी हुई हरे रंग की रिदा या शाल) ओढ़े हुए देखा।

हजरत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) से रिवायत है कि जिबर्ईल माहे मुबारके रमज़ान के आख़िरी दिन नमाज़े अस्र के बाद रसूले ख़ुदा (स) पर नाज़िल हुए और जब आसमान पर वापस गये तो आं हज़रत (स) ने जनाबे फ़ातेमा ज़हरा (स) को तलब किया और फ़रमाया कि अपने शौहर अली को बुला लाओ। जब हज़रत अमीर (अ) आप की ख़िदमत में हाज़िर हुए तो आप ने उन को अपने दाहिने पहलू में बैठाया और उन का हाथ पकड़ कर अपने दामन पर रखा फिर हज़रत ज़हरा (अ) को बायें पहलू में बिठाया और उन का हाथ पकड़ कर अपने दामन पर रख फिर फ़रमाया क्या तुम वह ख़बर सुनना चाहते हो जो जिब्रईले अमीन (अ) ने मुझे पहुचाई है अर्ज़ किया या रसूल्लाह बेशक। इरशाद फ़रमाया कि जिबरईल ने यह खबर दी है कि मैं क़यामत के रोज़ अर्श के दाहिने जानिब हूँगा और ख़ुदा ए तआला मुझ को दो लिबास पहनायेगा एक सब्ज़ दूसरा गुलाबी और तुम ऐ अली, मेरी दायें जानिब होगे और दो लिबास इसी क़िस्म के तुम्हे पहनाये जायेगें, रावी कहता है कि मैं अर्ज़ किया कि लोग गुलाबी रंग को मकरुह जानते हैं। हज़रत ने इरशाद फ़रमाया कि अल्लाह तआला ने हज़रते ईसा (अ) को आसमान पर बुलाया तो उसी रंग का लिबास पहनाया था।

बसनदे मोतबर जनाबे अमीर (अ) से मंक़ूल है कि स्याह लिबास न पहनो कि वह लिबास फ़िरऔन का है।

दूसरी मोतबर हदीस में मंक़ूल है कि किसी शख़्स ने हज़रते सादिक़ (अ) से दरयाफ़्त किया कि क्या मैं काली टोपी पहन कर नमाज़ पढ़ूँ? आप ने फ़रमाया काली टोपी नें नमाज़ न पढ़ो कि वह अहले जहन्नम का लिबास है।

हज़रत रसूले ख़ुदा (स0) से मंक़ूल है कि काला रंग सिवाए तीन चीज़ों यानी मोज़ा, अम्मामा और अबा के और सब लिबासों में मकरुह है।

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