आतंकवादी संगठन दाइश क़ैदियों के साथ क्या कर रहा है? + फ़िल्म
आतंकवादी संगठन दाइश से अलग हुआ एक सदस्य जो कि अरबी नागरिक है ने चेलीवीज़न चैनल ख़बर अलआन से एक साक्षात्कार में कहाः
जब मैं इस गुट का सदस्य बन गया तो मुझे सीरिया भेजा गया और बजाए इसके कि मैं जंग के मैंदान में जाता मुझे अमीर (दाइश का प्रमुख) के आदेश से जेल का जेलर बनाया गया और मुझे आदेश दिया गया कि सभी क़ैदियों को चाहे वह पुरुष हो या महिला कोड़े लगाऊं, और यह एक ऐसी चीज़ थी जिसे मैं कभी भुला नहीं सकूंगा।
उसने आगे कहाः मैं क़ैदियों से पूछताछ नहीं करता था, बल्कि केवल उनको मारता था किसी को 80 कोड़े तो किसी को 40 कोड़े मारता था, मेरे लिए महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं था।। और इस कार्य का नाम "जेल का जिहाद" था।
दूसरी तरफ़ रिपोर्ट बताती हैं कि दाइश ने सीरिया के उत्तर पश्चिम के अलरिक़ा क्षेत्र में अपने कट्टपंथी आदेश जारी कर रखे हैं जिनमें से कुछ यह है।
औरतों और लड़कियों के लिए नक़ाब और दस्ताने का अनिवार्य होना, अज़ान से पहले दुकानों का बंद करना और और सबका मस्जिद में नमाज़ पढ़ना.... आदि।
उन पर्चों के अनुसार जिसे इस गुट ने अलरिक़ा में बांटा है, जो भी लड़की या महिला इस ज़बरदस्ती के पर्दे का पालन नहीं करती है उसको उसके सरपरस्त के साथ भयानक यातनाएं दी जाती हैं।
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