17 रबीउल अव्वल पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ का जन्म दिवस
17 रबीउल अव्वल पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ का जन्म दिवस
सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
पैग़म्बरे इस्लाम का शुभ जन्म
शिया विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि इसी दिन को सुबह के समय शुक्रवार के दिन पवित्र शहर मक्के में पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) का जन्म हुआ है। आपका जन्म आमुल फ़ील के साल में हुआ यह वही साल है कि जब अबरहा नामी बादशाह ने हथियों की सेना भेजी थी ताकि ईश्वर के घर काबे गिरा दिया जाए लेकिन अबाबील पंक्षियों ने उसपर कंकरियां बरसा कर ईश्वर के आदेश से सारी सेना को ध्वस्त कर दिया। (1)
रसूले इस्लाम (स) का पवित्र नाम मोहम्मद था और आपकी कुन्नियत या उपाधि अबुलक़ासिम है। आपके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम आमेना है जो वहब की पुत्री थी। (2)
जिस समय आप पैदा हुए तब आपके चेहरे से एक प्रकाश चमक रहा ता और आपके पास से मुश्क की सुगंध आती थी, किताबों में है कि इस रात हिजाज़ की तरफ़ से एक प्रकाश उठा और पूरी दुनिया पर फैल गया, बादशाहों के तख़्त उलट गए , और सारे राजा उस दिन गूंगे हो गए।
आपके जन्म के समय फ़रिश्ते और पैग़म्बरों की आत्माएं वहां प्रकट हुईं, और स्वर्ग का ख़ज़ानंची फ़रिश्ता रिज़वान हूरों के साथ उतरा और उसने सोने और चांदी और ज़ुमर्रद से भरी हुई सीनी आपको भेंट की, और हज़रत आपकी माता हज़रत आमेना के लिए स्वर्ग से शरबत लाया गया, आपके जन्म के बाद फ़रिश्तों ने स्वर्ग के पानी से ग़ुस्ल दिया और जन्नत की ख़ुशबू आपको लगाई। (3)
पैग़म्बर के जन्म के समय होने वाले चमत्कार
आपके जन्म के दिन पूरे संसार में जहां कही भी कोई बुत था वह गिर पड़ा, और कसरा बादशाह के महल के चौदर कंगूरे टूट कर गिर गए (स्पष्ट रहे कि उस समय संसार का सबसे शक्ति शाली बादशाह यही था और लोग उसकी पूजा करते थे लेकिन आपके जन्म से कंगूरों के टूट कर गिरने ने सबको बताया कि वास्तविक ईश्वर का सच्चा नबी इस संसार में आ चुका है।
और इसी कसरा के महल का द्वार दरार पड़ गई जो कि आज भी दिखाई देती है और जिन लोगों ने उसके महल के खंडहरों को या उसके चित्रों को देखा हैं वह स्पष्ट रूप से इसको देख सकते हैं।
सावा नदी जिसको लोग पूजते थे सूख गई, और सावा की घाटी जिसमें सालों से किसी ने पानी नहीं देखा था उसमें पानी बहने लगा।
फ़ारस के आतिशकदे में हज़ारों साल से जलने वाली अग्नि बुझ गई।
ज्योतिषियों और जादूगरों का ज्ञान उलट गया और उसके परिणाम ग़लत निकले। (4)
जिस समय आप पैदा हुए उस समय आसमान से यह आवाज़ आई
جاءالحق و زهق الباطل ان الباطل کان زهوقا (5)
पैग़म्बरे इस्लाम (स) की विशेषताएं
आपके शरीर पर कभी भी मक्खी नहीं बैठती थी। सोते समय आपकी आँखें सोती थीं लेकिन दिल जागता रहता था, और धड़कता था एवं सुनता था जिस प्रकार जागते में धड़कता और सुनता था।
जिस भी जानवर पर आप बैठते थे वह कभी भी बूढ़ा या मकज़ोर नहीं होता था। आपके पास एक गधा था जिसका नाम याफ़ूर था, जब भी आप उससे किसी को बुलाने के लिए कहते थे तो उस व्यक्ति के द्वार पर जाकर सर के द्वार पीटता था और इशारे से उसको बुला कर लाता था। (6)
आपके चमत्कार
आपके पास बहुत से मोजिज़ें या चमत्कार थे जिनमें से कुछ यह है
1. मुर्द को जीवित करने, अंधों की आँखें आने और बीमारों को स्वस्थ करने के लिए की जाने वाली आपकी दुआएं और प्रार्थनाएं स्वीकार होती थी और वह सही हो जाते थे।
2. आप जानवरों से बात करते थे।
3. सारी भाषाओं को जानते थे और उन्हें बोल सकते थे।
4. आपकी पीठ पर नबूवत की मोहर थी और उसका प्रकाश सूर्य के प्रकाश से अधिक था।
5. आपकी उंगलियों के बीच से इतना पानी निकलता था कि कुछ लोग तृप्त हो जाया करते थे।
6. आपके शरीर का साया प्रकट नहीं होता था।
7. आप जिस भी खाने को हाथ लगा देते उसमें बरकत हो जाती और बहुस से लोग उससे खा लिया करते थे।
8. जब भी आप किसी सूखे कुएं में थूक देते वह पानी से भर जाता और लोग आपके थूक को शिफ़ा के तौर पर जिसको भी मलते थे वह सही हो जाता था।
9. कंकर पत्थर आपके हाथों पर तस्बीह करते थे और लोग सुनते थे।
10. आप जब नर्म ज़मीन पर चलते थे तो आपके पैरों के निशान नहीं पड़ते थे।
आपके जन्म की तारीख़ यानी 17 रबीउल अव्वल बहुत ही पवित्र और बरकतों वाली तारीख़ है और इस दिन को आले मोहम्मद (स) बहुत महत्व देते हैं और इस दिन रोज़ा रखते थे।
जो भी इस दिन रोज़ा रखे उसका सवाब एक साल के रोज़े के बराबर है। इस दिन सदक़ा देना, ज़ियारत पर जाना और मोमिनों को प्रसन्न करना मुस्तहेब है। (7)
इमाम सादिक़ (अ) का शुभ जन्मदिवस
इसी तारीख़ यानी 17 रबूउल अव्वल सन 83 हिजरी को इमाम सादिक (अ) पवित्र शहर मदीना में पैदा हुए। (8)
और इस इमाम के रसूल के जन्म की तारीख़ पर ही पैदा होने ने सारे मुसलमानों को बता दिया कि इमामत कभी भी रिसालत से जुदा नहीं हो सकती है और जिनको सच्चा मार्गदर्शन चाहिए जिनको ईश्वरीय रास्ता चाहिए, जिनको आख़ेरत में कामियाबी चाहिए उनको चाहिए कि वह अहलेबैत के द्वार पर आएं क्योंकि यह वही घर है जिसमें फ़रिश्ते वहीं लेकर रसूल पर नाज़िल हुआ करते थे, यह वही घर हैं जहां पर क़ुरआन नाज़िल हुआ, यह वही लोग हैं जो रसूले इस्लाम (स) की आग़ोश में पले हैं और यही वह लोग हैं जो सच्चे इस्लाम यानी इस्लामे मोहम्मदी को सारी दुनिया को देने वाले और पहचनवाने वाले हैं।
आपका नाम जाफ़र और कुन्नियत अबू अब्दिल्ला था और आपकी उपाधि सादिक़ यानी सच्चा है। आपके पिता का नाम इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) और माता का नाम उम्मे फ़रवा है। जिनके बारे में इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः
मेरी माता बाईमान महिला और पवित्र एवं नेक कार्य करने वाली थी, ईश्वर अच्छे कार्य करने वालों को दोस्त रखता है। (9)
इमाम सादिक़ (अ) के सात बेटे और चार बेटियां थी जिनके नाम यह है
बेटेः इस्माईल, अब्दुल्लाह, मोहम्मद दीबाज, इस्हाक़, अली अरीज़ी, अब्बास
बेटियां उम्मे फ़रवा, असमा, फ़ातेमा (10)
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स्रोत
(1) तारीख़ुल मवालीद, पेज 5, मिस्बाहुल मुज्तहिद पेज 722, तहज़ीबुल अहकाम, जिल्द 6, पेज 2
(2) आलामुल वर्दी, जिल्द 1, पेज 43-45, कशफ़ुल ग़ुम्मा, जिल्द 1, पेज 15
(3) हक़्क़ुल यक़ीन, पेज 27
(4) अमाली शेख़ सदूक़, पेज 360- 361, हिलयतुल अबरार, जिल्द 1, पेज 23 और बिहारुल अनवार जिल्द 15, पेज 257
(5) सूरा असरा आयत 81
(6) क़लाएद अल नूर, जिल्द रबीउल अव्वल, पेज 110- 112
(7) मसार अल शिया, पेज 30
(8) मनाक़िबे आले अबीतालिब, जिल्द 4, पेज 280, बिहारुल अनवार जिल्द 47, पेज 194
(9) फ़ी जिल्द 1, पेज 472, बिहारुल अनवार, जिल्द 47, पेज 7
(10) मनाक़िबे आले अबीतालिब, जिल्द 4, पेज 280
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