इस्लामी अक़ीदे भाग 4 / इन्सान

इस्लामी अक़ीदे भाग 4 / इन्सान

अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन जैदी

जैसा कि हमने पहले बताया कि ईश्वर की पैदा की हुई हर चीज़ तीन प्राकारों में से किसी एक प्रकार की है यानी या तो वह माद्दी है या अक़्लानी हैं या बरज़ख़ी, जिस चीज़ में न शक्ल है और ना ही वज़न वह अक़्लानी चीज़ें हैं जैसे फ़रिश्तें और जिस चीज़ में शक्ल है लेकिन वज़न नहीं है वह है बरज़ख़ी चीज़ें और जिस चीज़ में शक्ल भी है और सूरत भी उसे माद्दी चीज़ कहते हैं, जो हम अपने इस संसार में आँखों से देखते हैं।

इसी प्रकार हमारा नफ़्स भी अक़लानी है। हम इस लेख में यह बताएंगे कि ईश्वर की पूरी स्रष्टि इन्सान के अंदर जमा हो गई हैं, ईश्वर ने एक ऐसी चीज़ पैदा की है जिसकी योग्यता फ़रिश्तों से भी अधिक है, यानी इस अस्तित्व में इतनी योग्यता है कि उसको सारा ज्ञान दिया जा सके, उसमें योग्यता है कि जो ईश्वर की प्रशंसा कर सके, उसके अंदर यह योग्यता है कि जो ईश्वर की व्याख्या कर सके।

ईश्वर अपनी शक्ति को दिखा रहा है कि यह अस्तित्व जो पूरे संसार पर कंट्रोल कर सकता है पूरा संसार उसके शरीर के अंगो का भाति उसके इशारों पर काम कर सकता है, शायद आपने भी देखा हो कि किस प्रकार कुछ लोग चमत्कार करते हैं इस स्थान पर कुछ पढ़ते या करते हैं और दूसरे स्थान पर कोई घटना हो जाती है, यह उस योग्यता का परिणाम है जो ईश्वर ने इन्सान के अंदर रखी है।

ईश्वर ने इन्सान के अंदर यह योग्यता रखी है कि वह जो ज्ञान और आध्यात्म के माध्य से यह संसार उसके लिए शरीर के अंग की भाति हो जाता है।

मैं अपने हाथ को ऊपर उठाता हूँ लेकिन एक दूसरा इन्सान अपने ज्ञान और रियाज़तों के कारण केवल इशारा करता है और कुर्सी हवा में उठ जाती है।

सादे शब्दों में यूं कह दिया जाए जो जैसे जो इन्सान कसरत करता है उसका शरीर शक्तिशाली हो जाता है उसके बाज़ू शक्तिशाली हो जाते हैं, लेकिन एक दूसरा इन्सान कुछ कार्यों के माध्यम से अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाता है, जिसका शरीर शक्तिशाली होता है वह भार उठा सकता है लेकिन जिसकी आत्मा शक्तिशाली होती है वह केवल इशारा करता है और कुर्सी हवा में उठ जाती है।

और सबसे पूर्ण इन्सान हमारे और आपके रसूल हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) इशारा करते हैं और चाँद दो टुकड़े हो जाता है।

ईश्वर ने एक अस्तित्व और बहुत अधिक योग्यताओं के साथ पैदा किया है और इस प्रकार चाहता है कि अपना जलवा सबको दिखाए।

यह इन्सान तमाम चीज़ों से बड़ी ईश्वरीय मख़लूक़ है आप देखते हैं कि जब एक बच्चा पैदा होता है तो साल भर तक अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता है बोल नहीं पाता है लेकिन उसके मुक़ाबले में जानवर चलने भी लगते हैं और अपनी ज़बान बोलने भी लगते हैं।

लेकिन यही इन्सान जो इनसे मकज़ोर दिखाई देता है दूसरे कार्यों में जो भी दूसरी चीज़ हो उसके आगे दिखाई देता है। क्यों? क्योंकि यह ईश्वर की पैदा की हुई वह चीज़ है जिसके अंदर उसने रहस्य रखे हैं।

और इन रहस्यों में से एक अक़्ल है, एक रहस्य अख़्तियार है, बहुत संभव है कि इस संसार में इन्सान और जिन्नात के अतिरिक्त कोई दूसरी चीज़ अख़्तियार वाली ना हो।

अब शायद यहां पर हमारा कोई भाई यह कहें कि हम बकरी को पकड़ने के लिए जाते हैं वह भागती है, इसका अर्थ यह है कि उसके पास भी अख़्तियार है।

अख़्तियार का अर्थ क्या है

आप देखते हैं कि जब जैसे एक घोड़ा पैदा होता है तो उसका अंत में क्या होना है सबको पता होता है, वह बड़ा होगा या पालतू होगा या जंगली, लेकिन यह घोड़ा कितना भी तेज़ क्यों ना हो वह एक बंदर नहीं  बन सकता है, यानी उसके जैसे कार्य नहीं कर सकता है।

लेकिन वह अख़्तियार जो इन्सान के अंदर रखा गया है वह इस प्रकार है कि यह इन्सान इस संसार की जिस चीज़ को भी लक्ष्य बना ले उसकी तरफ़ जा सकता है, और उसकी विशेषताओं को प्राप्त कर सकता है।

लेकिन ध्यान रहे कि यह इन्सान इस लिए पैदा किया गया है कि वह ईश्वर की तरफ़ जाए उसको अपना लक्ष्य बनाए, अपने को ऐसा बनाए कि ईश्वरीय नाम उसके अंदर अपना जलवा प्रकट करें

عبدی اطعنی حتی اجعلک مثلی

वह इन्सान जिसकों कमज़ोर पैदा किया गया है अब उसको ईश्वर की तरफ़ जाना है, हमारी रिवायतों में इस पूरे संसार को इन्साने कबीर यानी बड़ा इन्सान कहा गया है। और हर चीज़ को इन्सान के अस्तित्व में रखा गया है।

इस संसार की हर चीज़ को इन्सान के लिए पैदा किया गया है

ھو الذی خلق لکم ما فی الارض جمیعا

यह इन्सान इस संसार की किसी भी चीज़ की तरफ़ जा सकता है और स्वंय  को उसके जैसा बना सकता है  

इस संसार की हर चीज़ ऊपर से आई है और क़रार यह है कि उसको ऊपर की तरफ़ जाना है, और जब यह चीज़ें ऊपर ने नाज़िल हुई तो एक बार उनमें अक़्ल डाली गई तो कभी एक बार उनको शरीर दिया गया और एक बार आत्मा।

और जब यह अस्तित्व आगे जाता है तो वह बरज़ख़ पहुंचता है, अपने शरीर को छोड़ देता है और एक दूसरे संसार में पहुंच जाता है।

इस इन्सान को फ़रिश्तों के उलट क्रोध दिया गया अक़्ल दी गई और सोंचने एवं ख़्याल करने की शक्ति दी गई और इसको समझ दी गई, और यही वह चीज़ें हैं जो उसको सब से अलग करती है, और इन्ही के आधार पर कल आख़ेरत में उससे प्रश्न किए जाएंगे।

स्पष्ट रहे कि यह लेख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन जनाब बहरामी की तक़रीरों का हिन्दी अनुवाद है।

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