आले मोहम्मद (स) दोस्तों के मरने पर क्या करते हैं?
आले मोहम्मद (स) दोस्तों के मरने पर क्या करते हैं?
अनुवादकः सैय्यदा सकीना बानों अलवी
जब पवित्र शहर मदीने में यूनुस बिन याक़ूब का निधन हुआ तो इमाम रज़ा (अ) ने उनके लिए कफ़न और काफ़ूर भेजा और अपने दासों एवं उसके पिता को आदेश दिया कि उनके जनाज़े में समिलित हों।
फिर आप ने अपने दासों से कहा कि यह इमाम सादिक़ (अ) का ग़ुलाम था और इराक़ में रहता था, तुम इसके जनाज़े को जन्नतुल बक़ी ले जाना और अगर मदीने वाले उसे इराक़ी समझकर दफ़्न करने की अनुमति ना दें तो उनसे कहना कि यह इमाम सादिक़ (अ) का एक दोस्त था जो कि इराक़ में रहता था।
अगर मदीने वालों ने इसको दफ़्न करने की अनुमति नहीं दी तो हम भी किसी मदीने वाले को जन्नतुल बक़ी में दफ़्न नहीं होने देंगे।
फिर आपने मोहम्मद बिन हबाब को उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने का आदेश दिया।
आदेशानुसार मोहम्मद बिन हबाब ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और उनको जन्नतुल बक़ी में दफ़्न कर दिया गया।
मोहम्मद बिन वलीद का बयान है कि एक दिन मैं यूनुस बिना याक़ूब की क़ब्र पर बैठा फ़ातेहा पढ़ रहा था कि क़ब्रिस्तान का मुतवल्ली मेरे पास आया और कहने लगा यह किसकी क़ब्र है?
फिर उसने कहाः मुझे इमाम रज़ा (अ) ने आदेश दिया है कि चालीस दिन तक इस क़ब्र पर पानी छिड़कूं और पैग़म्बरे इस्लाम का जनाज़ा जिस चारपाई पर रखा गया था वह अभी भी मेरे पास है और जब बनी हाशिम में से किसी की मृत्यु होती है तो रात के समय यह चारपाई हिलती है, और आवाज़ आती है।
जिस रात को इस मोमिन का निधन हुआ था उस रात भी चारपाई हिली थी और उसमें आवाज़ आई थी। मैं आवाज़ सुन कर परेशान हो गया था और सोंच रहा था कि बनी हाशिम में से कोई बीमार नहीं है फिर ना जाने क्यों इस चारपाई से आवाज़ आ रही है।
जब सुबह हुई तो इमाम रज़ा (अ) के ग़ुलाम आए और मुझसे वह चारपाई मांगी।
मैंने पूछा कौन मर गया है?
उन्होंने बताया कि इमाम सादिक़ (अ) का एक ग़ुलाम था जो इराक़ में रहता था उसका निधन हो गया है।
(बिहारुल अनवार, जिल्द 15 पेज 292, पंदे तारीख़ से लिया गया, पेज 124- 125)
इससे पता चलता है कि वास्तविक शिया इस धरती के जिस भी कोने में रहते हो अहलेबैत उनसे बेख़बर नहीं है और हर समय उनपर अपनी कृपा भरी निगाहें रखते हैं।
नई टिप्पणी जोड़ें