इस्लामी अक़ीदे भाग 3, ईश्वरीय स्रष्टि कितने प्रकार की है?
इस्लामी अक़ीदे भाग 3, ईश्वरीय स्रष्टि कितने प्रकार की है?
आज हम शियों पर कुछ ऐसे अक़ीदों का आरोप लगाया जाता है कि जिसे हम ख़ुद पहली बार सुनते हैं लेकिन कहा यह जाता है कि शिया इस पर विश्वास रखते हैं।
इसलिए हम यह बताने की कोशिश कर रहे है कि शियों के अक़ीदे क्या हैं।
क़ुरआन फ़रमाता है
اَلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعالَمِین
सारी प्रशंसाएं केवल इस संसार के पैदा करने वाले ख़ुदा के लिए हैं, आयत में बहुत ही गंभीर आध्यात्मिक बातें बताई गई हैं जिसकों हम हर रोज़ कम से कम दस बार पढ़ते हैं।
हमारे अक़ीदे के अनुसार ख़ुदा ने इस सारे संसार को पैदा किया है, इस संसार में कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है जिसकों ईश्वर ने पैदा ना किया हो।
ईश्वर ने हर चीज़ को पैदा किया है लेकिन इन सारी चीज़ों में कुछ ऐसे लोग है जैसे कि आले मोहम्मद (स) जिनको ईश्वर ने विषेश शक्तियां दी हैं, अगर ईसा ईश्वरीय शक्ति से मुर्दे को जीवित करते हैं तो यह तो ईसा के भी इमाम है यह कैसे नहीं जीवित कर सकते हैं।
बिग बैंग
यहां पर कुछ लोग कहते हैं कि इस संसार को ईश्वर ने नहीं पैदा किया है बल्कि यह तो एक बड़ा विस्फोट था जिससे यह स्रष्टि पैदा हुई जिसको बिग बैंग भी कहा जाता है।
यह वह थ्योरी है जिस पर बहुत सी टिप्पड़ियां की गई हैं उन पर ऐतेराज़ किए गए हैं ना जाने कितने ऐसे प्रश्न है जिनका यह थ्योरी अभी तक उत्तर नहीं दे सकी हैं, कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी थ्योरी है जिसको मानना कम से कम एक अक़्लमंद इनसान के लिए सही नही हैं। वह प्रश्न क्या हैं हम यहां पर उनको बयान नहीं करेंगे क्योंकि यह इसका स्थान नहीं है, अधिक जानकारी के लिए आप इससे सम्बंधित विषयों को देख सकते हैं।
ख़ुदा ने हर चीज़ को पैदा किया है ना केवल यह दुनिया बल्कि ना जाने कितने संसार उसने पैदा किए हैं। और उसका यह पैदा करना इतना अधिक आश्चर्यचकित कर देने वाला, इतना अधिक मज़बूत और इतना अधिक स्थापित है कि अगर इस दुनिया के सारे इन्सान एक स्थान पर एकत्र हो जाए और एक ऐसी चीज़ को पैदा करना चाहें जो उससे पहले कभी ना बनी हो तो उसको पैदा नहीं कर सकते, यहां तक कि अपने दिमाग़ में भई उसको पैदा नहीं कर सकते, जो कुछ भी वह पैदा करेंगे या सोंचेंगे उसको जैसा ईश्वर ने पैदा कर रखा है, लेकिन जिस चीज़ को ईश्वर ने पैदा नहीं किया उसके बारे में वह सोंच भी नहीं सकते हैं। हां यह और बात है कि आज का इन्सान नई चीज़ को पैदा करता है लेकिन वह पैदा की हुई चीज़ नई नहीं होती है बल्कि कभी कभी दो चीज़ों को मिलाकर पैदा की जाती है, इसको मिलाना कहते हैं नया पैदा करना नहीं, पैदा करना तो उस समय होता है कि जब बिना किसी माद्दे के उसको पैदा किया जाए।
यह ईश्वर जो कि स्वंय असीमित है उसकी स्रष्टि भी असीमित हैं, और उसके द्वारा पैदा की गई चीज़ों को देखकर अधिकतर लोग उसके होने को पता लगा लेते हैं, और समझ जाते हैं कि यह संसार बिना किसी पैदा करने वाले के नहीं हो सकता है। और यह समझते हैं कि यह ईश्वर जीवित हैं, ज्ञानि है, शक्तिशाली है.... आदि।
ईश्वर की पैदा की हुई चीज़ें
1. माद्दी चीज़ें, इस संसार की हर वह चीज़ जिस्में माद्दा या पदार्थ पाया जाता है उसको माद्दी चीज़ें कहते हैं। ख़ुदा की पैदा की हुई चीज़ों में से एक छोटा सा भाग माद्दी चीज़ों का है अब आप अपने आसपास देखें क्या ईश्वर के पैदा किए हुए इस छोटे से भाग को भी गिन सकते हैं? नही। क्योंकि यह समाप्त ही नहीं होगें।
ख़ुदा की पैदा की हुई सात कड़ियों में से एक कड़ी माद्दी चीज़ों की है।
2. मलकूती चीज़ें: हमारे मर जाने वाले लोग, यह कहां हैं? उसका शरीर क़ब्र में है लेकिन उसकी आत्मा बरज़ख़ में है, यह मलकूती चीज़ें जिनको ईश्वर ने पैदा किया है एक तरफ़ से माद्दी चीज़ों की तरह हैं यानी यह भी शक्ल और सूरत रखती हैं और दूसरी तरफ़ से अपने से ऊपर वाली चीज़ों के जैसी हैं यानी इनका कोई वज़न नहीं है। इसकी हम इस दुनिया में मिसाल ले लें, अगर जैसे मैं यह कहूँ हिमालिया पहाड़, तो वह तुरन्त हमारे दिमाग़ में आ जाता है, यह वही पहाड़ है लेकिन क्या हमारा सर भारी हो गया? नहीं। हमारे दिमाग़ में केवल उसकी सूरत आई वज़न नहीं।
यह मलकूती चीज़ों उस माद्दी चीज़ों से कई गुना अधिक हैं।
3. तीसरी चीज़ें वह चीज़ें हैं जिनमें ना माद्दा हैं और ना ही सूरत: और यह फ़रिश्ते हैं कि जिनके बारे में हमारी रिवायतों में भी आया हैः कि संख्या के लिहाज़ से फ़रिश्तें सबसे अधिक हैं। और इनको अक़लानी चीज़ें कहते हैं।
हमारे अक़ीदे के अनुसार आसमान से उस समय तक वर्षा नहीं होती है जब तक एक फ़रिश्ता उसको ले जाए और बताए कि यह पानी कहां बरसे। हमारे अक़ीदे के अनुसार ईश्वर ने कुछ ऐसे फ़रिश्तों को पैदा किया है जो इस धरती को घुमा रहे हैं।
अगर संक्षेप में कहा जाए तो ईश्वर ने तीन प्रकार की चीज़ें पैदा की हैं या वह माद्दी हैं या मानवी या अक़लानी, और यह सारी चीज़ें इन्सान में एक ही स्थान पर एकत्र हो गई हैं।
यानी इन्सान का एक भाग वह है जो उसका माद्दी हिस्सा है जो उसका शरीर है, और जो इन्सान बरज़ख़ को नही मानता है जब वह मरता है और देखता है कि वह वही है जो दुनिया में था केवल उसका शरीर नहीं है तब उसको समझ में आता है कि जो ईश्वरीय दूत और नबी कहते थे वह सही था। और तब उसको समझ में आता है कि उसके शरीर और ख़ुद उसमें फ़र्क़ है।
और हमारे अंदर एक और चीज़ हैं जो आत्मा से भी बड़ी है और वह है नफ़्स। इसका अर्थ यह हुआ कि यह इन्सान शारीरिक आधार पर माद्दी है, आत्मा से आधार पर मलकूती और उसका नफ़्स ना माद्दी है ना मलकूत बल्कि अक़लानी है।
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