झूठ गले में ज़रूर अटकता

झूठ गले में ज़रूर अटकता

कहा जाता है कि एक अब्बासी ख़लीफ़ा मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहा था और उसके पास ही सुफ़याने सूरी ताक़ीबात (नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली दुआएं) पढ़ रहा था।

नमाज़ पढ़ते समय ख़लीफ़ा निरंतर अपनी दाढ़ी से खेलता रहा। जब उसने नमाज़ समाप्त की तो सुफ़यान सूरी ने कहाः

क़यामत के दिन तेरी यह नमाज़ एक अपवित्र गेंद की भाति तेरे मुंह पर मारी जाएगी।

ख़लीफ़ा ने कहाः आहिस्ता बोलो।

सुफ़यान ने कहाः अगर मैं सच्ची बात पर पर्दा डालूँ तो ख़ुदा करे कि मेरा पेशाब ख़ून बन जाए।

ख़लीफ़ा को दिल ही दिल में सुफ़यान पर बड़ा क्रोध आया और मस्जिद से उठकर घर चला गया और उसने अपने सेवको को आदेश दिया की फांसी का फंदा तैयार किया जाए। जब फंदा तैयार हो गया तो उसने कहाः सुफ़यान को इस पर लटकाया जाए ताकि भविष्य में किसी को ख़लीफ़ा से इस प्रकार बात करने की हिम्मत ना हो।

उस समय सुफ़यान दो सूफ़ियों के पास में लेटे हुए थे, उन दोनों में से एक सुफ़यान बिन ऐनिया थे, सुफ़यान के दोस्तों को ख़लीफ़ा के आदेश का पता चल चुका था, सुफ़यान सूरी के लिए बहुत चिंतित थे, उन दोनों ने सुफ़यान को सोता हुए समझकर आपस में बातचीत करना आरम्भ कर दी उनमें से एक ने कहा कि हमें सुफ़यान को ख़लीफ़ा के क्रोध के बारे में कुछ नहीं बताना चाहिए ।

सुफ़यान जो केवल आँखें बंद किए हुए थे तुरन्त उठ बैठे और पूछा क्या मामला है?

उन लोगों ने बताया कि तुम्हारे लिए फांसी का फंदा तैयार हो चुका है और ख़लीफ़ा तुम्हें फांसी देना चाहता है।

जैसे ही सुफ़यान ने यह सुना उनकी आँखों में आँसू आ गए और ईश्वर से दुआ की और कहाः ख़ुदाया इस अत्याचारी को इसके साथियों समेत अभी अभी पकड़ और इनको मोहलत ना दे।

कुछ ही समय बीता था कि ख़लीफ़ा के महल से रोने की आवाज़े आने लगीं, पता करने पर मालूम हुआ कि ज़मीन फट गई और ख़लीफ़ा अपने साथियों समेत क़ारून की तरह ज़मीन में धंस गया।

यह देखकर उन दोनों सूफ़ियों ने कहा कि ख़ुदा ने बहुत शीघ्र सुफ़यान की दुआ स्वीकार कर ली।

स्पष्ट रहे कि यह सुफ़यान सूरी वही हैं जिन्होंने इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के अच्छा वस्त्र पहने हुए देखा दो उन पर टिप्पड़ी करते हुए कहा कि आपका सम्बन्ध रसूल (स) के ख़ानदान से है आप पर ऐसे वस्त्र अच्छा नहीं लगता

इमाम ने ऊपर वाला वस्त्र हटा कर अंदर वाला कपड़ा दिखाया जो बहुत मोटा था। फिर आपने फ़रमायाः

मैंने लोगों को दिखाने के लिए यह ऊपर वाला वस्त्र धारण किया है और अपनी आत्मा के लिए मैं ने अंदर मोटा वस्त्र पहना है।

फिर आपने सुफ़यान का ऊपर वाला कपड़ा हटाया तो उसने अंदर रोशम का क़ीमती कपड़ा पहना हुआ था।

आपने फ़रमायाः तुमने लोगों को दिखाने के लिए पीरो और दरवेशों जैसा कपड़ा पहन रखा है, जब्कि अपनी आत्मा और नफ़्स को प्रसन्न करने के लिए अंदर रेशम का कपड़ा पहना है

प्रिय पाठकों अगर कोई भी अब्बासी ख़लीफ़ा ज़मीन में धंसा होता तो यह इतिहास की सबसे बड़ी घटना होती लेकिन हम देखते हैं कि इस घटना के बारे में शेख़ अत्तार के अतिरिक्त किसी और ने नही लिखा है इसी लिए हमने इस कहानी की शीर्षक दिया है  अगर झूठ में ज़रूर अटकता

पंदे तारीख़ पेज 310- 313

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