ख़ुदाया मुझे दिखा दे...

ख़ुदाया मुझे दिखा दे...

अबू बसीर कहते हैं: इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः जब हज़रत इब्राहीम ज़मीन और आसमान के मलकूत और उसकी वास्तविक्ताओं को देख रहे थे, तो आपनी निगाह एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी लो बलात्कार कर रहा था, आपने उस पर लानत की, वह व्यक्ति वहीं गिरा और मर गया, फिर आपने दूसरी तरफ़ देखा कि एक व्यक्ति पाप कर रहा है, आपने उसको श्राप दिया और वह वहीं मर गया, फिर आपने देखा कि एक और व्यक्ति ईश्वर के आदेशों की अवहेलना और पाप कर रहा है आपने उसपर भी लानत की और वह भी उन दोनों की भाति मर गया।

ईश्वर ने उनपर वही (आकाशवाणी) कीः हे इब्राहीम हे मेरे नबी! तुम्हारी दुआ स्वीकार्य है लेकिन तुम मेरे बंदों के लिए बद दुआ क्यों कर रहे हो? श्राप ना दो क्योंकि अगर मैं नहीं चाहता तो उसको पैदा ही ना करता। मैंने अपने बंदों को तीन प्रकार से पैदा किया है।

1. वह बंदा जो मेरी पूजा करता है और मेरे अतिरिक्त किसी दूसरे की आराधना नहीं करता है, मैं उसकों बेहतरीन इन्आम दूँगा।

2. वह बंदा जो मेरे अतिरिक्त किसी दूसरे की पूजा करता है कि जो मेरी निगाह से दूर नहीं है, मैं उसको उसकी सारी विशेषताओं के साथ पहचानता हूँ, और उसका हर छोटा बड़ा कार्य लिखा जाता है।

3. वह बंदा जो मेरे अतिरिक्त किसी दूसरे की पूजा करता है लेकिन उसकी नस्ल से ऐसे लोग पैदा होंगो जो मेरी आराधना करेंगे।

उसके बाद इब्राहीम ने फिर इधर उधर देखा इस बार आपकी निगाह एक ऐसी लाश पर पड़ी जिसका आधा भाग पानी में था और आधा सूखे पर, सूखे पर रहने वाले परिन्दे और जानवर उसके एक भाग को खा रहे थे और जो भाग पानी में था उसको पानी के जानवर खा रहे थे, और कुछ देर के बाद यही लाश खान वाले जानवर दूसरों का शिकार बन जाते थे, इब्राहीम यह देखकर आश्चर्य चकित रह गए और आपने कहाः है ईश्वर मुझे दिखा कि तू मुर्दों को कैसे जीवित करेगा?

ईश्वर ने कहाः क्या तुमको मेरी शक्ति पर भरोसा नहीं है?

कहाः ईमान है लेकिन देखना चाहता हूँ ताकि मेरे दिल को इत्मीनान हो जाए

आदेश हुआः चार परिन्दों को पकड़ लो उनको काटने के बाद क़ीमा बना दो और सबके गोश्त को मिला दो फिर उनके कई भाग करों और हर भाग को पहाड़ की एक चोटी पर रख दो फिर अपने स्थान पर आकर उनको आवाज़ दो वह तुम्हारी आवाज़ पर तुम्हारी तरफ़ आ जाएंगे।

इब्राहीम ने मुर्ग़ा, कबूतर, मोर और कौवा पकड़ लिया फिर आदेशानुसार कार्य करने के बाद उनको आवाज़ दी हे मुर्ग़, हे कबूतर हे कौवे हे मोर ख़ुदा के आदेश से मेरे पास आ जाओं, फिर आपने अपनी इन्हीं आँखों से क़यामत में मुर्दों को जीवित किए जाने का नमूना देखा, गोश्त के टुकड़े पर और हड्डियां आपस में मिलीं और अपने पहले वाले रंग और सूरत में प्रकट होकर वह इब्राहीम के सामने आ गए और इब्राहीम का ईमान पक्का हो गया।

(बिहारुल अनवार जिल्द 7, पेज 41 सारांश)

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