अल्लाह की आराधना करने वालों की दुआ (मुनाजातुल मुतीईन...)

अल्लाह की आराधना करने वालों की दुआ (मुनाजातुल मुतीईन...)

--- بِسْمِ اﷲِ الرَحْمنِ الرَحیمْ---

आरम्भ करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालू और रहम करने वाला है

اَللّٰھُمَّ ٲَلْھِمْنا طَاعَتَکَ وَجَنِّبْنا مَعْصِیَتَکَ وَیَسِّرْ لَنا بُلُوغَ مَا نَتَمَنَّیٰ مِنِ ابْتِغائِ رِضْوانِکَ

हे ईश्वर अपनी आराधना की हमें शिक्षा दे और अपनी अवहेलना से हमें दूर रख, हमारे लिए उन आशाओं तक पहुँचना आसान कर दे जो तेरी मर्ज़ी प्राप्त करने का माध्यम हों

وَٲَحْلِلْنا بُحْبُوحَۃَ جِنانِکَ، وَاقْشَعْ عَنْ بَصائِرِنا سَحابَ الارْتِیابِ،

और हमें अपनी जन्नत के मध्य में स्थान दे और हमारी निगाहों के सामने से शक एवं शंका के बादलों को दूर कर दे

وَاکْشِفْ عَنْ قُلُوبِنا ٲَغْشِیَۃَ الْمِرْیَۃِ وَالْحِجابِ وَٲَزْھِقِ الْباطِلَ عَنْ ضَمائِرِنا، وَٲَ ثْبِتِ الْحَقَّ فِی سَرائرِنا،

और हमारे दिलों से अंधकार एवं शंका के पर्दों को हटा दे, हमारे ज़मीर एवं आत्मा से बातिल एवं असत्य को मिटा दे और हमारे अंदर हक़ को स्थापित कर दे

 فَإنَّ الشُّکُوکَ وَالظُّنُونَ لَواقِحُ الْفِتَنِ، وَمُکَدِّرَۃٌ لِصَفْوِ الْمَنائِحِ وَالْمِنَنِ ۔

क्योंकि यह शंकाएं और संदेह फ़ितना पैदा करते हैं और पवित्र एवं चमकदार अनुकंपाओं की चमक को फीका कर देते हैं

اَللّٰھُمَّ احْمِلْنا فِی سُفُنِ نَجاتِکَ، وَمَتِّعْنا بِلَذِیذِ مُنَاجَاتِکَ، وَٲَوْرِدْنا حِیَاضَ حُبِّکَ،

हे ईश्वर हमें अपनी नजात की नावों में स्थान दे दे, और मुनाजात एवं प्रार्थना का स्वाद हम को चखा दे, और हमें अपनी मोहब्ब्त के हौज़ों पर प्रवेश करा दे

وَٲَذِقْنا حَلاوَۃَ وُدِّکَ وَقُرْبِکَ، وَاجْعَلْ جِہادَنا فِیکَ، وَھَمَّنا فِی طَاعَتِکَ،

और अपनी दोस्ती एवं निकटता की मिठास को हमें चखा दे, और हमारे प्रयत्नों को अपनी राह में क़रार दे और हमें अपनी आराधना की हिम्मत दे

 وَٲَخْلِصْ نِیَّاتِنا فِی مُعامَلَتِکَ، فَ إنَّا بِکَ وَلَکَ وَلاَ وَسِیلَۃَ لَنا إلَیْکَ إلاَّ ٲَ نْتَ ۔

और हमारी नियतों को अपने लिए किये गए कार्यों के लिए शुद्ध कर दे क्योंकि हम तेरे साथ और तेरे ही लिए हैं, और तेरी बारगाह में हमारा वसीला कोई नहीं है सिवाए ख़ुद तेरे,

إلھِی اجْعَلْنِی مِنَ الْمُصْطَفَیْنَ الْاَخْیارِ، وَٲَلْحِقْنِی بِالصَّالِحِینَ الْاَ بْرارِ، السَّابِقِینَ إلَی الْمَکْرُماتِ،

हे ईश्वर मुझे चुने हुए नेक लोगों में क़रार दे, और मुझे नेक कार्य करने और सच्चे दिल वालों में समिलित कर ले

الْمُسارِعِینَ إلَی الْخَیْراتِ، الْعامِلِینَ لِلْباقِیاتِ الصَّالِحاتِ، السَّاعِینَ إلَی رَفِیعِ الدَّرَجاتِ

जो अच्छाइयों में आगे बढ़ने नेकियों में जल्दी करने वाले हैं जो अच्छी बाक़ी रह जाने वाली चीज़ों का पालन करने वाले, श्रेष्ठता की तरफ़ जाने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं

 إنَّکَ عَلَی کُلِّ شَیْئٍ قَدِیرٌ وَبِالْاِجابَۃِ جَدِیرٌ بِرَحْمَتِکَ یَا ٲَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ

निःसंदेह तू हर चीज़ पर शक्ति रखता है और स्वीकार करने के लायक़ है तेरी रहमत का वास्ता हे सबसे अधिक रहम करने वाले

नई टिप्पणी जोड़ें