मजलिस पर सऊदी अरब की बमबारी में 450 ले अधिक यमनी शहीद
यमन के लोग अपने न्यूनतम संसाधनों के साथ सऊदी अतिक्रमण के मुकाबले में पूरे साहस के साथ डटे हुए हैं।
सऊदी अरब के युद्धक विमानों ने 8 अक्तूबर की रात को यमन की राजधानी सना में एक इमामबाड़े में हो रही मजलिस पर बमबारी कर दी जिसमें यमनी सूत्रों के अनुसार 700 से अधिक लोग शहीद व घायल हो गये।
19 महीनों से यमन पर सऊदी अरब के बर्बर हमले जारी है। वह लगभग प्रतिदिन यमनी मर्दों, बच्चों और महिलाओं की हत्या कर रहा है परंतु आज तक वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त न कर सका।
उसका मुख्य कारण है कि यमन के लोग अपने न्यूनतम संसाधनों के साथ सऊदी अतिक्रमण के मुकाबले में पूरे साहस के साथ डटे हुए हैं।
रोचक बात यह है कि सऊदी अरब ने 26 मार्च 2015 को जब यमन पर अपना हमला आरंभ किया था तो सऊदी अधिकारियों ने कहा था कि यह हमला एक सप्ताह तक चलेगा परंतु अब उन्हें यमन की बहादुर जनता के साहसिक प्रतिरोध के कारण नाको चने चबाना पड़ रहा है और अपने बनाये गये दलदल से निकलने के लिए उनके पास मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाले देशों के निर्मित हथियारों से जघन्य अपराध करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है।
8 अक्तूबर की रात को एक इमामबारगाह में हो रही मजलिस पर बमबारी सऊदी अरब की क्रूरता व निर्यदया की सूचक है और यह निर्दयता इस सीमा तक थी कि अमेरिका सहित उसके घटकों ने भी उस पर प्रतिक्रिया दिखाई है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता नेड प्राइस ने घोषणा की है कि सऊदी अरब के साथ अमेरिका की सुरक्षा सहकारिता असीमित नहीं है और यमन में सऊदी गठबंधन के प्रति वाशिंग्टन का समर्थन कम हो गया है।
यद्यपि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्रसंघ एक बार फिर यमन में सऊदी अरब के पाश्विक अपराधों की भर्त्सना कर रहे हैं परंतु उनकी चुप्पी और व्यवहार के कारण 19 महीनों से सऊदी अपराध यथावत जारी हैं। पश्चिम की चुप्पी और सऊदी अरब के पाश्विक युद्ध के जारी रहने के कारण यमनी जनता को आज जिन समस्याओं का सामना है वह पश्चिम और संयुक्त राष्ट्रसंघ में मानवाधिकार के दम तोड़ देने का सूचक है।
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