इमाम सज्जाद कि दुआ "मुनाजातुर राग़ेबीन" हिन्दी में
इमाम सज्जाद कि दुआ "मुनाजातुर राग़ेबीन" हिन्दी में
بسم الله الرّحمن الرّحیم
اِلهى اِنْ كانَ قَلَّ زادى فِى الْمَسيرِ اِلَيْكَ، فَلَقَدْ حَسُنَ ظَنّى بِالتَّوَكُّلِ عَلَيْكَ،
हे ईश्वर अगरचे तेरी तरफ़ रास्ता चलने के लिए मेरी पूँजी कम है लेकिन तुझ पर भरोसे के बारे में मेरा गुमान अच्छा है
وَاِنْ كانَ جُرْمى قَدْ اَخافَنى مِنْ عُقُوبَتِكَ، فَاِنَّ رَجآئى قَدْ اَشْعَرَنى بِالْأَمْنِ مِنْ نِقْمَتِكَ،
और अगर मेरे पापों ने मुझे तेरे अज़ाब से डरा दिया है लेकिन मेरी आशा मुझे तेरे इन्तेक़ाम से सुरक्षा की ख़ुशख़बरी दे रही है
وَاِنْ كانَ ذَنْبى قَدْ عَرَضَنى لِعِقابِكَ
और अगर मेरे पापों ने मुझे तेरे अज़ाब के द्वार पर ला कर खड़ा कर दिया है
فَقَدْ اذَنَنى حُسْنُ ثِقَتى بِثَوابِكَ، وَاِنْ اَنا مَتْنِى الْغَفْلَةُ عَنِ الْأِسْتِعْدادِ لِلِقآئِكَ،
लेकिन वह नेक भरोसा जो मैं तुझ पर रखता हूँ उसके मुझे तेरे सवाब के परिचित कर दिया है, और अगर ग़फ़लत (अज्ञानता) ने मुझे तेरी मुलाक़ात के लायक़ नहीं रहने दिया
فَقَدْ نَبَّهَتْنِى الْمَعْرِفَةُ بِكَرَمِكَ، وَ الائِكَ،
लेकिन तेरे करम और नेमतों की जानकारी ने मुझे जगा दिया
وَاِنْ اَوْحَشَ ما بَيْنى وَبَيْنَكَ فَرْطُ الْعِصْيانِ وَالطُّغْيانِ، فَقَدْ انَسَنى بُشْرَى الْغُفْرانِ وَالرِّضْوانِ،
अगरचे नाफ़रमानी एवं अवहेलना ने मेरे और तेरे बीच दूरी पैदा कर दी है, लेकिन तेरी क्षमा और राज़ी हो जाने की ख़ुश ख़बरी ने मुझे तुझ से मानूस कर दिया है
اَسْئَلُكَ بِسُبُحاتِ وَجْهِكَ، وَبِاَنْوارِ قُدْسِكَ، وَاَبْتَهِلُ اِلَيْكَ
मैं तुझ से सवाल करता हूँ तेरे नूर के प्रकाश और तेरी ज़ात की पवित्रता के वास्ते से और तेरे दरबार में गिड़गिड़ाता हूँ
بِعَواطِفِ رَحْمَتِكَ، وَلَطآئِفِ بِرِّكَ، اَنْ تُحَقِّقَ ظَنّى بِما اُؤَمِّلُهُ مِنْ جَزيلِ اِكْرامِكَ،
तेरी रहमत की नरमियों और तेरे एहसान की सुन्दरता के वास्ते से कि मेरे गुमान के सच्चा कर दे उस चीज़ के लिए जिसकी मैं आरज़ू करता हूँ तेरे बड़े बड़े एहसानों
وَجَميلِ اِنْعامِكَ فِى الْقُرْبى مِنْكَ، وَالزُّلْفى لَدَيْكَ،
और पंसंदीदा इन्आमों में से कि मैं तेरे क़रीब हो जाऊँ और तेरे नज़दीक हो जाऊँ
وَالتَّمَتُّعِ بِالنَّظَرِ اِلَيْكَ، وَها اَنَا مُتَعَرِّضٌ لِنَفَحاتِ رَوْحِكَ وَعَطْفِكَ،
और तेरी सुन्दरता को देखने से लुत्फ़ लूँ, और अब मैंने तेरी आत्मा को त्रप्त करने देने वाली हवा और तेरी तवज्जोह के सामने ख़ुद को कर दिया है
وَمُنْتَجِعٌ غَيْثَ جُودِكَ وَلُطْفِكَ، فآرٌّ مِنْ سَخَطِكَ اِلى رِضاكَ، هارِبٌ مِنْكَ اِلَيْكَ،
और तेरी सख़ावत और एहसान की वर्षा चाहता हूँ, और तेरे क्रोध से तेरी मर्ज़ी की तरफ़ भागा हूँ और तुझ से तेरी ही बारगाह की तरफ़ भागा हूँ
راج ٍ اَحْسَنَ ما لَدَيْكَ، مُعَوِّلٌ عَلى مَواهِبِكَ، مُفْتَقِرٌ اِلى رِعايَتِكَ،
और तेरे पास की बेहतरीन चीज़ की आशा रखता हूँ और मैंने तेरी बख़्शिशों पर भरोसा कर लिया है और तेरी सरपरस्ती और देखभाल का मोहताज हूँ
اِلهى ما بَدَاْتَ بِهِ مِنْ فَضْلِكَ فَتَمِّمْهُ، وَما وَهَبْتَ لى مِنْ كَرَمِكَ فَلا تَسْلُبْهُ،
हे ईश्वर जो कुछ तूने अपने करम से मुझको दिया है उसको पूर्ण कर दे, और जिसको अपने करम से मुझे दिया उसे मुझसे न छीन
وَما سَتَرْتَهُ عَلَىَّ بِحِلْمِكَ فَلا تَهْتِكْهُ،
और जिस चीज़ को अपने हिल्म (धैर्य) से छिपा दिया है उसके ज़ाहिर न कर,
وَما عَلِمْتَهُ مِنْ قَبيحِ فِعْلى فَاغْفِرْهُ، اِلهى اِسْتَشْفَعْتُ بِكَ اِلَيْكَ، وَاسْتَجَرْتُ بِكَ مِنْكَ،
और मेरे जिन पापों के बारे में तुझे ज्ञान है उनको क्षमा कर दे, हे ईश्वर मैंने तुझ को तेरी बारगाह में वसीला बनाया है और तुझ से तेरी ही पनाह में मांगता हूँ
اَتَيْتُكَ طامِعاً فى اِحْسانِكَ، راغِباً فِى امْتِنانِكَ، مُسْتَسْقِياً وابِلَ طَوْلِكَ،
तेरे दरबार में आया हूँ जब्कि तेरे एहसान की आशा रखता हूँ, तेरे करम को चाहता हूँ,
مُسْتَمْطِراً غَمامَ فَضْلِكَ، طالِباً مَرْضاتَكَ، قاصِداً جَنابَكَ،
तेरे करम के बादलों से तेरी रहमत की वर्षा का प्यासा हूँ तेरी मर्ज़ी चाहता हूँ, तेरे तरफ़ क़दम बढ़ा दिया है
وارِداً شَريعَةَ رِفْدِكَ، مُلْتَمِساً سَنِىَّ الْخَيْراتِ مِنْ عِنْدِكَ،
तेरी अता के घाट पर आया हूँ, और तेरी बेहतरीन नेकियों की अरज़ू रखता हूँ
وافِداً اِلى حَضْرَةِ جَمالِكَ، مُريداً وَجْهَكَ، طارِقاً بابَكَ،
तेरे जमाल के सामने तेरी बारगाह में आया हूँ, तुझ को चाहता हूँ, तेरे द्वार को खटखटाता हूँ
مُسْتَكيناً لِعَظَمَتِكَ وَجَلالِكَ، فَافْعَلْ بى ما اَنْتَ اَهْلُهُ مِنَ الْمَغْفِرَةِ وَالرَّحْمَةِ،
तेरी महानता और अज़मत के सामने ज़लील हूँ, तो मेरे साथ वह सुलूक कर जिसके तू लायक़ है वह क्षमा और रहमत है,
وَلا تَفْعَلْ بى ما اَنَا اَهْلُهُ مِنْ الْعَذابِ وَالنِّقْمَةِ،
और मेरे साथ वह सुलूक न कर जिसका मैं लायक़ हूँ और वह अज़ाब एवं पापों की सज़ा है
بِرَحْمَتِكَ يا اَرْحَمَ الرَّاحِمينَ.
हे सबसे अधिक रहम करने वाले
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