ग़ु्स्से पर कंट्रोल कैसे करें?

ग़ु्स्से पर कंट्रोल कैसे करें?

सैय्यद ताजतार हुसैन ज़ैदी

रसूले इस्लाम की नसीहतों में से एक यह है

و قال رجلٌ اَوصِنی، فقال( صلی الله علیه و آله): لا تَغضَب، ثُم َّاَعادَ علیه، فقال: لا تَغضَب، ثم قال: لَیس الشّدید بِالصّرَعَه، انِِّما الشَّدیدُ الَّذی یَملک نفسه عند الغضبِ.[1]

एक आदमी ने रसूले इस्लाम (स) से कहाः मुझे नसीहत कीजिए! आपने फ़रमायाः क्रोध न करो उसने फिर पूछा आपने फ़रमाया क्रोध न करो फिर आपने फ़रमाया शक्तिशाली होना कुश्ती नहीं है, बल्कि शक्तिशाली वह इन्सान है जो क्रोध के समय आपे से बाहर न हो।

« لا تغضب قهرا» का तात्पर्य कंट्रोल से बाहर क्रोधित होना नहीं है,  बल्कि इरादे के साथ क्रोधित होना है, यानी अपने क्रोध पर प्रतिक्रिया न दिखाओं, और आपे से बाहर न हो जाओ।

वह व्यक्ति शक्तिशाली नहीं है जो कुश्ती करते समय दूसरों को ज़मीन पर पटक दे, बल्कि शक्तिशाली वह व्यक्ति है जो क्रोध के समय अपने आप पर कंट्रोल रखे।

यहां पर क्रोध से मुराद वह क्रोध केवल वह क्रोध नहीं है जो आता है और फिर चला जाता है, बल्कि इसमें वह क्रोध भी शामिल है कि जिसमें इन्सान किसी दूसरे से क्रोधित हो जाता है, और जीवन के हर मोड़ पर उसका पीछा करता रहता है कि कहीं से कोई बहाना या मौक़ा मिल जाए और वह उससे इन्तेक़ाम ले सके।

सबसे महत्वपूर्ण बात जिस पर रसूले इस्लाम अधिक ज़ोर दे रहे हैं वह यह है कि इन्सान क्रोधित होता है, और क्रोध इन्सान की आत्मा में है, लेकिन आवश्यक यह है कि हम किस प्रकार अपने क्रोध पर कंट्रोल करते हैं, ताकि यह क्रोध हमको सीधे रास्ते से भटका न दे। क़ुरआन की आयत के अनुसार मोहसिन वह लोग हैं जो अपने क्रोध को पी जाते हैं (2) « کاظمین الغیظ» इसका अर्थ यह हुआ कि क्रोध पर कंट्रोल रखना इन्सानी कमालों में से है।

(1) तेहफ़ुल उक़ूल पेज 47
(2) सूरा आले इमरान आयत 134

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