दूसरी मोहर्रम हुसैनी क़ाफ़िले के साथ

प्रसिद्ध यह है कि इमाम हुसैन का काफ़िला मदीने से मक्के होता हुआ दूसरी मुहर्रम को करबला की तपती हुई रेती पर पहुँचा है आपके साथ इस काफ़िले में आपके अहले हरम, बच्चे और आपके साथी भी थे।

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

प्रसिद्ध यह है कि इमाम हुसैन का काफ़िला मदीने से मक्के होता हुआ दूसरी मुहर्रम को करबला की तपती हुई रेती पर पहुँचा है आपके साथ इस काफ़िले में आपके अहले हरम, बच्चे और आपके साथी भी थे।

रिवायत में है कि जब इमाम हुसैन करबला पहुँचे तो आपके घोड़े ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, इमाम हुसैन (अ.) ने वहां के रहने वालों से पूछा इस जगह का क्या नाम है लोगों ने बताया कि इसको "ग़ाज़ेरिया" कहते हैं, इमाम ने कहा क्या इसका कोई दूसरा भी नाम है लोगों ने बताया इसको "शातिए फुरात" भी कहते हैं, इमाम ने फिर सवाल किया क्या इस ज़मीन का कोई दूसरा नाम भी है, बताने वालों ने बताया कि मौला इस ज़मीन को "करबला" भी कहते हैं इमाम ने एक सर्द आह खींची और फ़रमायाः

 (1)اللهم انی أعوذ بک من الکرب و البلاء

आपने साथियों को उतरने का हुक्म दिया और फ़रमायाः

انزلوا، هاهنا محط رحالنا ومسفك دمائنا

उतर जाओ कि यही हमारे उतरने का स्थान और हमारे ख़ून बहने की जगह है, यहीं हमारी आरामगाह होगी। (2)

ख़ुदा की क़सम करबला की ज़मीन यही है, ख़ुदा की कसम यहां हमारे जवानों को कत्ल किया जाएगा, ख़ुदा की क़सम यहां हमारी औरतों और बच्चों को क़ैदी बनाया जाएगा, ख़ुदा की क़सम यहां हमारे सम्मान के पर्दे को फाड़ दिया जाएगा, जवानों उतर जाओं कि यहीं हमारा क़ब्रिस्तान है। (3)
 

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(1)अलइरशाद जिल्द 2, पेज 84, अलवक़ाए वलहवादिस जिल्द 2, पेज 89, मनाक़िबे इब्ने शहर आशोब जिल्द 4, पेज 105

(2)दैनवरी, अख़बारुत तवाल पेज 250-251

(3)अज़मदीने ता मदीने पेज 236, फैज़ुल अलाम, पेज 142

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