बैहरैन में आले ख़लीफ़ा सरकार के ख़िलाफ़ जारी है विरोध प्रदर्शन

बहरैन में कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ आले ख़लीफ़ा शासन की दमनात्मक नीतियों के विरुद्ध बहरैनी जनता ने एक बार फिर प्रदर्शन किए।


प्रेस टीवी के अनुसार बुधवार को राजधानी मनामा के दक्षिणी गावं नुवैदरात और उत्तरी गावों समाहीज और दाइ में ये प्रदर्शन हुए।

बहरैनी जनता ने आले ख़लीफ़ा शासन के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए शासक हमद बिन ईसा आले ख़लीफ़ा से तुरंत सत्ता से हटने की मांग दोहराई।

ज्ञात रहे बहरैन में आले ख़लीफ़ा परिवार इस देश की सत्ता पर वर्ष 1783 से शासन कर रहा है जिसके ख़िलाफ़ इस देश में मध्य फ़रवरी 2011 से जनक्रान्ति जारी है।

सैकड़ों लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण नौकरियों से निकाल दिया गया और बहुत से डाक्टरों और नर्सों को इसलिए जेल में डाल दिया गया क्योंकि उन्होंने बहरैनी पुलिस की बर्बरता में घायल होने वाले आम लोगों का उपचार किया था।
बहरैनी जनता का कहना है कि जब तक प्रजातांत्रिक तरीक़े से चुनी गयी सरकार के गठन की उसकी मांग पूरी नहीं हो जाती उस समय तक आले ख़लीफ़ा शासन के विरुद्ध उसका प्रदर्शन जारी रहेगा।

बहरैन में अमरीका का पांचवां नौसैनिक बेड़ा है।

14 मार्च 2011 को सउदी अरब और संयुक्त अरब इमारात ने बहरैन पर चढ़ाई की ताकि बहरैनी शासन की शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के दमन में सहायता कर सके।

बुधवार को ही बहरैन के एक न्यायालय ने आले ख़लीफ़ा शासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले 12 लोगों को फ़रवरी 2012 में मनामा के निकट कार के एक गोदाम में आग लगाने के आरोप में हर एक को 15-15 वर्ष के कारावास का दंड सुनाया है

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