दुनिया में इतने अधिक पापी क्यों?

दुनिया में इतने अधिक पापी क्यों?

नबी किसी भी प्रकार से किसी एक क्षेत्र से विशेष नहीं थे और न ही किसी एक क्षेत्र में भेजे गये

यह एक तथ्य है कि लोगों के व्यवहारिक मार्गदर्शन के लिए दो चीज़ों का होना आवश्यक है।

पहली चीज़ यह कि लोग स्वंय इस ईश्वरीय कृपा से लाभ उठाना चाहें।

दूसरी चीज़ यह कि अन्य लोग ईश्वरीय कृपा से लाभ उठाने के मार्ग में बाधा उत्पन्न ना करें।

मनुष्य की परिपूर्णता के स्वेच्छिक होने की विशेषता के कारण यह आवश्यक है कि यह पूरी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से आगे बढ़े कि सत्य व असत्य के दोनों पक्षों को सही व गलत मार्ग के चयन का अधिकार प्राप्त रहे

कुछ लोग यह शंका करते हैं कि यदि ईश्वर ने अपने नबियों को लोगों के मार्गदर्शन के लिए भेजा और नबियों ने यह काम पूरी ज़िम्मेदारी से किया तो फिर

विश्व में इतने अधिक लोग पाप क्यों करते हैं ? और क्यों इतने व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार दिखाई देता है ?

क्या यह संभव नहीं था कि ईश्वर कोई एसी व्यवस्था करता जिससे लोग पाप ही ना करते और पूरे विश्व में केवल भलाई और भले लोग ही रहते?

या कम से कम ईश्वरीय दूतों का अनुसरण करने वाले ही एकजुट रहते लेकिन हम देखते हैं कि ऐसा नहीं है और विभिन्न कालों में ईश्वरीय दूतों के अनुयाई भी एक दूसरे से लड़ते दिखाई देते हैं।

इस शंका का उत्तर देने से पूर्व हम यह बता देना चाहते हैं कि ईश्वर ने संसार से सभी मनुष्यों को चयन शक्ति दी है।

अर्थात हर मनुष्य को यह अधिकार दिया है कि वह सही या गलत मार्ग में से किसी एक मार्ग का चयन करे और यह अधिकार ईश्वरीय न्याय के अनुकूल है क्योंकि

यदि ईश्वर लोगों को विवश करता तो फिर भले को भलाई का इनाम और बुरे को बुराई का दंड देना अर्थहीन हो जाता क्योंकि बुरा व्यक्ति कह सकता है कि

यदि मैंने बुराई की है तो इसमें मेरा क्या दोष? ईश्वर ने मुझे बुराई करने पर विवश किया था । इसी प्रकार वह भले व्यक्ति को मिलने वाले इनाम पर भी आपत्ति कर सकता था कि

यदि किसी ने कोई अच्छा काम किया है तो उसमें उसका क्या कारनामा है? ईश्वर ने चाहा कि वह अच्छाई करे इस लिए उसने अच्छाई की।

इसी प्रकार की आप्तियों और आतार्किक परिस्थितियों के दृष्टिगत ईश्वर ने मनुष्य को यह अधिकार दिया है

अर्थात उसे चयन का अधिकार दिया है अलबता चयन में सरलता के लिए उसने मनुष्य के लिए बहुत से साधन भी उपलब्ध किये हैं ।

ईश्वर ने जो साधन उपलब्ध किये उनमें सर्वप्रथम मनुष्य की अपनी बुद्धि है अर्थात मनुष्य को बुद्धि जैसा उपहार दिया है जिसकी सहायता से वह भले बुरे की पहचान कर सकता है

लेकिन चूंकि बुद्धि पर कभी कभी वातावरण और घर परिवार का वातावरण प्रभाव डालता है इस लिए ईश्वर ने अपने दूतों  (नबियों) को भेजा ताकि यदि कुछ वास्तविकताओं को बुद्धि भूल गयी है तो ईश्वरीय दूत उसे याद दिलाएं किंतु ईश्वर ने जो यह व्यवस्था की है उसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि सारे मनुष्य इन सुविधाओं और साधनों से सही रूप में लाभ उठाएं।

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