मध्य पूर्व में शियों की हत्या में सऊदी अरब का रोल
प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रकार ने मध्य पूर्व में तकफ़ीरी वहाबी उग्रवादियों द्वार हज़ारों शियों के नरसंहार का कारण सऊदी अरब की आतंकियों को आर्थिक सहायता देना बताया है।
आलम न्यूज नेटवर्क के अनुसार "पैट्रिक काकबर्न" ने अंग्रेज़ी समाचार पत्र इन्डिपेन्डेंट में रविवार को लिखाः
"हमारे सऊदी दोस्त मध्य पूर्व में एक गुट के नरसंहार में वित्तीय सहायता कर रहे हैं"
उन्होंने कहाः सऊदी अरब के वित्तीय सहायता देने वालों ने पिछले तीस सालों में अतिवादी समूहों सी स्थापना और उनको बनाए रखने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई है
काकबर्न ने लिखाः कि अमरीका और उसके सहयोदी देशों का "आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध" में प्रवेश करने का फैसला और सऊदी अरब एवं शहनशाही हुकूमत पर फ़ारस की खाड़ी में सक्रिय आतंकियों की आर्थिक मदद को रोकने के दबाओं के बावजूद उन्होंने अभी तक इस कार्य पर दृढ़ता से डटे हुए हैं
इस अंग्रेज़ी समाचार पत्र ने कहाः अमेरिका की खुफिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि ग्यारह सितम्बर के हमलों के दौरान अलक़ायदा ने अरबी, फ़ारसी खाड़ी देशों, विशेष रूप से सऊदी अरब से वित्तीय सहायता ली है।
अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री "हिलेरी क्लिंटन" अमरीकी दूतावास को भेजे गए अपने फैक्स में आतंकवादियों की वित्तीय सहायता के बारे में लिखा थाः "सऊदी अरब में वित्तीय सहायता करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों में आतंकवादियों के लिए धन का सबसे बड़ा स्रोत हैं"
यह गोपनीय फ़ैक्स 2009 का है जिसको विकीलीक्स वेबसाइट ने जारी किया है।
आतंकवादी गुटों को आर्थिक सहायता बंद करने के लिए सऊदी अरब और कुछ अन्य देशों पर दबाव न डालने का कारण बताते हुए काकबर्न के लिखाः
"इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अमरीका और उसके सहयोगी देश नहीं चाहते हैं कि एक विश्वस्त सहयोगी को नाराज़ करें।"
उन्होने आगे कहाः "दूसरा कारण यह है कि अधिकतर उग्रवादी गुटों का मक़सद शियों का नरसंहार करना है न कि अमरीकियों का।"
हज़ारों शिया इराक़, पाकिस्तान, सीरिया और मिस्र जैसे देशों में इन (वहाबी) आतंकियों द्वारा मारे जा रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए देखें http://www.independent.co.uk/voices/comment/mass-murder-in-the-middle-ea...
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