तौबा करने वालों की दुआ (मुनाजातुत ताएबीन)

तौबा करने वालों की दुआ (मुनाजातुत ताएबीन)

 

इमाम ज़ैनुल आबेदी अलैहिस्सलाम की मुनाजाते ख़मसता अशर (15 दुआएं) की पहली दुआ

तौबा करने वालों की दुआ

بسم الله الرّحمن الرّحیم

اِلهى‏ اَلْبَسَتْنِى الْخَطایا ثَوْبَ مَذَلَّتى‏، وَجَلَّلَنِى التَّباعُدُ مِنْکَ لِباسَ مَسْکَنَتى‏،

हे ईश्वर पापों और गुनाहों ने अपमान का लिबास मेरे शरीर पर डाल दिया और तुझसे दूरी ने बेचारगी के कपड़े को मेरे शरीर पर डाल दिया है

وَاَماتَ قَلْبى‏ عَظیمُ جِنایَتى‏، فَاَحْیِهِ بِتَوْبَةٍ مِنْکَ یا اَمَلى‏

पापों की अधिक्त ने मेरे दिल को मार दिया है, तो तू उसके जीवित कर दे मेरी तरफ़ पलट कर हे मेरी आरज़ू

وَبُغْیَتى‏، وَیا سُؤْلى‏ وَمُنْیَتى‏، فَوَ عِزَّتِکَ ما اَجِدُ لِذُنوُبى‏ سِواکَ غافِراً،

 और मेरा मक़सदस, हे मेरी चाहत और सवाल, तेरे सम्मान की क़सम अपने पापों के लिए मेरे पास तेरे अतिरिक्त कोई और क्षमा करने वाला नहीं है।

وَلا اَرى‏ لِکَسْرى‏ غَیْرَکَ جابِراً، وَقَدْ خَضَعْتُ بِالْإِنابَةِ اِلَیْکَ، 

और मेरे टूटे पन को तेरे अतिरिक्त कोई और जोड़ने वाला दिखाई नहीं देता है, और मैं अपने आह और फ़रयाद से तेरी तरफ़ और तेरी बारगाह में ख़ाज़ेअ (ज़लील) हो गया हूँ

وَعَنَوْتُ‏ بِالْاِسْتِکانَةِ لَدَیْکَ، فَاِنْ طَرَدْتَنى‏ مِنْ بابِکَ فَبِمَنْ اَلوُذُ، 

और तेरे सामने रो कर मैने अपने आप को अपमान की तरफ़ घसीट लिया है, तो अगर तूने मुझे अपने दर से भगा दिया तो मैं कहां जाऊँगा?

وَاِنْ رَدَدْتَنى‏ عَنْ جَنابِکَ فَبِمَنْ اَعُوذُ، فَوا اَسَفاهُ مِنْ خَجْلَتى‏ وَافْتِضاحى‏، 

अगर तूने मुझे अपने पास से पलटा दिया तो मैं कहां पनाह लूँगा? अफ़सोस मेरी शर्मिंदगी और अपमान पर

وَوا لَهْفاهُ‏ مِنْ سُوءِ عَمَلى‏ وَاجْتِراحى‏، اَسْئَلُکَ یا غافِرَ الذَّنْبِ الْکَبیرِ، 

और अफ़सोस बुरे कार्यों और पापों पर जो मैंने किए, तुझ से चाहता हूँ हे बड़े पापों को क्षमा करने वाले,

وَیا جابِرَ الْعَظْمِ الْکَسیرِ، اَنْ تَهَبَ لى‏ مُوبِقاتِ الْجَرآئِرِ، وَتَسْتُرَ عَلَىَّ فاضِحاتِ‏ السَّرآئِرِ،

और टूटी हुR हड्डी को जोड़ने वाले, मेरे बरबाद कर देने वाले पापों को क्षमा कर दे और छिपकर किए जाने और अपमानित कर देने वाले कार्यों को छिपा दे,

وَلا تُخْلِنى‏ فى‏ مَشْهَدِ الْقِیامَةِ مِنْ بَرْدِ عَفْوِکَ وَغَفْرِکَ،

और मुझे क़यामत के बाज़ार में अपनी क्षमा और माफ़ी से वंचित न करना

وَلاتُعْرِنى‏ مِنْ جَمیلِ صَفْحِکَ وَسَتْرِکَ، اِلهى‏ ظَلِّلْ عَلى‏ ذُنُوبى ‏غَمامَ رَحْمَتِکَ،

और क्षमा के बेहतरीन लिबास और अपनी चश्मपोशी से मुझे नग्न न करना, हे ईश्वर मेरे पापों पर अपनी रहमत के बादलों का साया कर दे,

وَاَرْسِلْ عَلى‏ عُیُوبى‏ سَحابَ رَاْفَتِکَ، 

और मेरे ऍबों (को साफ़ करने के लिए) पर अपनी मेहरबानी के बादल बरसा दे,

اِلهى‏ هَلْ‏ یَرْجِعُ الْعَبْدُ الْابِقُ اِلاَّ اِلى‏ مَوْلاهُ، اَمْ هَلْ یُجیرُهُ مِنْ سَخَطِهِ اَحَدٌ سِواهُ،

हे ईश्वर भागा हुआ ग़ुलाम अपने आक़ा के अतिरिक्त किस के पास जाए, क्या कोई उसके (ख़ुदा के) अतिरिक्त है जो उसको उसके क्रोथ से पनाह दे?

اِلهى‏ اِنْ کانَ النَّدَمُ عَلَى الذَّنْبِ تَوْبَةً فَاِنّى‏ وَعِزَّتِکَ مِنَ النَّادِمینَ،

हे मेरे माबूद अगर पापों पर शर्मिंदगी तौबा है तो तेरी इज़्ज़त की क़सम मैं शर्मिंदा लोगों में से हूँ,

وَاِنْ کانَ الْإِسْتِغْفارُ مِنَ الْخَطیئَةِ حِطَّةً فَاِنّى‏ لَکَ مِنَ الْمُسْتَغْفِرینَ،

और अगर क्षमा और इस्तेग़फ़ार करना पापों को साफ़ कर देता है तो निःसंदेह मैं माफ़ी मांगने वालों में से हूँ,

لَکَ الْعُتْبى‏ حَتّى‏ تَرْضى‏، اِلهى‏ بِقُدْرَتِکَ عَلَىَّ تُبْ عَلَىَّ، 

हे ईश्वर तू मुझे सज़ा दे सकता है यहां तक कि तू राज़ी हो जाए, हे ईश्वर तेरी उसी शक्ति की क़सम जो तू मुझ पर रखता है मेरी तौबा को स्वीकार कर ले,

وَبِحِلْمِکَ‏ عَنّىِ اعْفُ عَنّى‏، وَبِعِلْمِکَ بى‏ اِرْفَقْ بى‏، اِلهى‏ اَنْتَ الَّذى‏ فَتَحْتَ نَصُوحاً، لِعِبادِکَ باباً اِلى‏ عَفْوِکَ،

और तेरे हिल्म (धैर्य) की क़सम मुझे क्षमा कर दे, और तुझे उसी ज्ञान की क़सम जो मेरे हाल के संबंध में तू रखता है मुझ पर रहम कर, ख़ुदाया तू है जिसने अपने बंदों पर क्षमा के द्वार के खोला है

سَمَّیْتَهُ التَّوْبَةَ فَقُلْتَ تُوبُوا اِلَى اللَّهِ تَوْبَةً

और उसका नाम तौबा रखा और फ़रमायाः ख़ुदा की तरफ़ पलट आओ सच्ची तौबा के ज़रिये

فَما عُذْرُ مَنْ اَغْفَلَ دُخُولَ الْبابِ بَعْدَ فَتْحِهِ، اِلهى‏ اِنْ کانَ‏

तो उसके पास और क्या बहाना है जो इस द्वार के खुलने के बाद उसमें प्रवेश करने से रह जाए और ग़ाफ़िल रहे, हे ईश्वर सच है कि

قَبُحَ الذَّنْبُ مِنْ عَبْدِکَ، فَلْیَحْسُنِ الْعَفْوُ مِنْ عِنْدِکَ، 

अगर तेरे बंदे से पाप होना बुरा है लेकिन क्षमा कर देना भी तेरे नज़दीक़ अच्छा है,

اِلهى‏ ما اَنَا بِاَوَّلِ‏ مَنْ عَصاکَ فَتُبْتَ عَلَیْهِ، وَتَعَرَّضَ لِمَعْرُوفِکَ فَجُدْتَ عَلَیْهِ، 

ख़ुदाया मैं वह पहला नहीं हूँ जिसने तेरी नाफ़रमानी की है और उसकी तौबा स्वीकर हुई है, और तेरे एहसान की चाहत रखी है, और तूने उसपर एहसान किया है

یا مُجیبَ‏ الْمُضْطَرِّ، یا کاشِفَ الضُّرِّ، یا عَظیمَ الْبِرِّ، یا عَلیماً بِما فِى السِّرِّ، 

हे बेचारों को स्वीकार करने वाले, हे ग़मज़दों को ग़मों को दूर करने वाले, हे अज़ीम एहसान करने वाले, हे छिपे हुए रहस्यों को जानने वाले

یا جَمیلَ السِّتْرِ، اِسْتَشْفَعْتُ بِجُودِکَ وَکَرَمِکَ اِلَیْکَ، وَتَوَسَّلْتُ بِجَنابِکَ‏[بِجَنانِکَ‏]

हे बेहतरीन पर्दापोशी करने वाले, मैंने तेरे नज़दीक शफ़ीअ (सिफ़ारिश करने वाला) बनाया है तेरी सख़ावत और करम को, और वसीला बनाया है तेरी बारगाह में तेरी मेहरबानी को

وَتَرَحُّمِکَ‏لَدَیْکَ، فَاسْتَجِبْ دُعآئى‏، وَلا تُخَیِّبْ فیکَ رَجآئى‏،

तो मेरी दुआ को स्वीकार कर ले, और तेरे बारे में मेरी आशा को निराशा में परिवर्तित न कर,

وَتَقَبَّلْ تَوْبَتى‏، وَکَفِّرْ خَطیئَتى‏ بِمَنِّکَ وَرَحْمَتِکَ یا اَرْحَمَ الرَّاحِمینَ.

और मेरी तौबा को स्वीकार कर ले और मेरे पापों को अपने करम और मेहरबानी से अनदेखा कर दे हे सबसे अधिक रहम करने वाले।

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