शिकायत करने वालों की दुआ (मुनाजात अल शाक्कीन)
शिकायत करने वालों की दुआ (मुनाजात अल शाक्कीन)
उन लोगों की दुआ दो ख़ुदा की बारगाह में शिकायत कर रहे हैं, बुराई की तरफ़ ले जाने वाले नफ़्स की शिकायत, शारीरिक इच्छाओं और ख़्वाहिशों की शिकायत, दिल की सख़्त हो जाने की शिकायत, शैतान के बहकावे उसके वसवसे की शिकायत, और वह उस ख़ुदा से दुआ कर रहे हैं कि उसनों उससे जीतने और उस पर कंट्रोल करने में उनकी सहायता करे।
इस दुआ में इमाम सज्जाद अलेहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि अगर तुम अपने जीवन से थक चुके हो, परेशान हो चुके हो अगर किसी कि ख़ुदा से शिकायत करना चाहते हो तो, सबसे पहले जिसकी शिकायत करों वह ख़ुद तुम्हारा नफ़्स होना चाहिए।
इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः ”اعدی عدوک نفسک التی بین جنبک“ तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु तुम्हारा वह नफ़्स है जो तुम्हारे पहलू में है।
मुनाजात अल शाक्कीन
اِلـهى اِلَيْكَ اَشْكُو نَفْساً بِالسُّوءِ اَمّارَةً، وَاِلىَ الْخَطيئَةِ مُبادِرَةً،
ख़ुदाया मैं तुझ से शिकायत करता हूँ उस नफ़्स की जो हमेशा मुझे बुराई की तरफ़ बुलाता है और पाप की तरफ़ घसीटता है।
وَبِمَعاصيكَ مُولَعَةً، وَ بِسَخَطِكَ مُتَعَرِّضَةً، تَسْلُكُ بى مَسالِكَ الْمَهالِكِ،
और तेरे आदेशों की अहलेहना का लालची है (यानी सदैव तेरे हुक्म की अवहेलना करता है) और (मुझे) तेरे क्रोध सामने करता और मुझे उन रास्तों की तरफ़ घसीटता है जो हलाकत और बर्बादी की तरफ़ ले जाते हैं। (मेरे लिए तेरी अताअत के रास्तों को कठिन बना कर दिखाता है और पाप के रास्तों को आसान और आकर्शक बना देता है)
وَتَجْعَلُنى عِنْدَكَ اَهْوَنَ هالِك، كَثيرَةَ الْعِلَلِ، طَويلَةَ الاْمَلِ، اِنْ مَسَّهَا الشَّرُّ تَجْزَعُ،
और मुझे तेरे सामने पस्ततरीन हलाक होने वालों में बना देता है, उसकी बीमारियां अधिक है, और आरज़ूएं लम्बी लम्बी (कभी गाड़ी की आरज़ू तो कभी घर की कभी बैंक बैलेन्स की तो कभी हुकूमत और रियासत की तो कभी........ जिस इन्सान को यह तक नहीं पता है कि वह कल जीवित भी रहेगा या नही उसकी आरज़ुएं.....) अगर उस पर कोई परेशानी आती है तो बेताबी करता है (फ़रयाद करता है)
وَاِنْ مَسَّهَا الْخَيْرُ تَمْنَعُ، مَيّالَةً اِلَى اللَّعِبِ وَاللَّهْوِ، مَمْلُوَّةً بِالْغَفْلَةِ
और अगर भलाई मिलती है तो हठधर्मी करता है, खेल तमाशे और बेकार की सरगर्मी का दिलदादा है, बेख़बरी और भूलचूक का ढेर है।
وَالسَّهْوِ، تُسْرِعُ بى اِلىَ الْحَوْبَةِ،وَتُسَوِّفُنى بِالتَّوْبَةِ، اِلهى اَشْكُو اِلَيْكَ عَدُوّاً يُضِلُّنى،
मुझे पाप की तरफ़ तेज़ी दिखाता है, और तौबा के समय आज और कल करता है, ख़ुदाया मैं तुझ से शिकायत करता हूँ उस शत्रु की जो मुझे गुमराह करता है।
وَشَيْطاناً يُغْوينى، قَدْ مَلاَ بِالْوَسْواسِ صَدْرى،
और उस शैतान की जो मुझे रास्ते से भटकाता है, जिसने मेरे सीने को वसवसों से भर दिया है
وَاَحاطَتْ هَواجِسُهُ بِقَلْبى، يُعاضِدُ لِىَ الْهَوى، وَيُزَيِّنُ لى حُبَّ الدُّنْيا،
उसकी ज़रीली उत्तेजनाओं ने मेरे दिल को घेर रखा है और मेरी ख़्वाहिशों और वासनाओं की सहायता करता है, और दुनिया की दोस्ती को मेरी निगाहों से सामने बना संवार कर प्रस्तुत करता है
وَيَحُولُ بَيْنى وَبَيْنَ الطّاعَةِ وَالزُّلْفى، اِلهى اِلَيْكَ اَشْكُو قَلْباً قاسِياً مَعَ الْوَسْواسِ مُتَقَلِّباً،
मेरे और तेरे आदेशों के पालन और तेरे दरबार की क़ुरबत के बीच रुकावट बन गया है, ख़ुदाया तुझ से शिकायत करता हूँ उस दिल की जो सख़्त हो गया है (इमाम सज्जाद (अ) ने फ़रमाया है कि जो लोग कर्बला मे इमाम हुसैन (अ) के समाने आए थे उनका दिल सख़्त हो गया था। सही भी यह कैसे संभव है कि किसी की निगाहों के सामने 6 महीने का बच्चा प्यास से तड़प रहा हो और वह स्वंय पानी पी ले, जिसके सामने बच्चे प्यास प्यास चिल्ला रहे हों और वह ख़ुदा जाम पर जाम उतार रहा है यह सब उसी सख़्त दिल की धड़कन है जो किसी भी दूसरे के लिए नहीं धड़कता है) और वसवसों के कारण बदलता रहता है।
وَبِالرَّيْنِ وَالطَّبْعِ مُتَلَبِّساً، وَعَيْناً عَنِ الْبُكآءِ مِنْ خَوْفِكَ جامِدَةً،
और (ख़ुद पसन्दी के) जंग और बुरे व्यवहार का लिबास पहन लिया है, और (शिकायत करता हूँ) उन आँखों की जो तेरे डर से रोने पर सूख चुकी है (यानी तेरे ख़ौफ़ से उन्हें रोना नहीं आता है)
وِاِلى ما يَسُرُّها طامِحَةً، اِلـهى لا حَوْلَ لى وَلا قُوَّةَ اِلاَّ بِقُدْرَتِكَ،
लेकिन अपनी पसन्द के द्रश्यों को देखने की लालची हैं, ख़ुदाया मेरे पास शक्ति और इरादा नहीं है सिवाय तेरी शक्ति के
وَلا نَجاةَ لى مِنْ مَكارِهِ الدُّنْياإِلاَّ بِعِصْمَتِكَ، فَاَسْئَلُكَ بِبَلاغَةِ حِكْمَتِكَ، وَنَفاذِ مَشِيَّتِكَ،
और दुनिया की गिरफ़्तारियों से बचने का कोई रास्ता नहीं है सिर्फ़ इसके कि तू बचा ले, तो तेरे फैले हुए ज्ञान, जारी होने वाले इरादे (मशीअत) का वास्ता
اَنْ لا تَجْعَلَنى لِغَيْرِ جُودِكَ مُتَعَرِّضاً، وَلاتُصَيِّرَنى لِلْفِتَنِ غَرَضاً،
मुझे केवल अपने करम और कृपा के साए में ले ले और बला और आज़माइश के तीरों के निशाने पर क़रार न दे
وَكُنْ لى عَلَى الاْعْدآءِ ناصِراً، وَعَلَى الْمَخازى وَالْعُيُوبِ ساتِراً، وَمِنَ الْبَلاءِ واقِياً،
और शत्रुओं पर सफ़लता पाने में मेरी सहायता कर, और मेरी बुराईयों और ऍबों को छिपा दे, और बला एवं मुसीबतों से मेरी सुरक्षा कर
وَعَنِ الْمَعاصى عاصِماً، بِرَأْفَتِكَ وَرَحْمَتِكَ يا اَرْحَمَ الرّاحِمينَ.
और पापों से मुझे बचा ले तेरी रहमत कृपा का वास्ता हे रहीम और करीम ख़ुदा।
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