शेख़ मुर्तज़ा अंसारी और शैतान
शेख़ मुर्तज़ा अंसारी और शैतान
शेख़ मुर्तज़ा अंसारी का एक शागिर्द कहता हैः जिस समय नजफ़ में मैं शेख़ से शिक्षा प्राप्त कर रहा था उसी ज़माने में एक दिन रात को मैंने शैतान को सपने में देखा जिसके हाथ में रंगबिरंगी रस्सियां थी, मैंने शैतान से पूछा यह कैसी रस्सियां हैं उसने उत्तर
दिया कि मैं इन रस्सियों को लोगों के गले में डालकर खींचता हूँ और अपने जाल में फंसा लेता हूँ।
कल ही मैंने इन्हीं मज़बूत रस्सियों में से एक से शेख़ मुर्तज़ा अंसारी की गर्दन पकड़ी थी और उन्हे कमरे से निकालकर गली के बीच तक लाया था लेकिन मेरी मेहनत बर्बाद हो गई शेख़ ने अपने आप को छुड़ा लिया और वापस आ गए।
वह कहता है कि जागने के बाद इस सपने की ताबीर के बारे में सोचने में पड़ गया, मुझे ख़्याल आया कि क्यों न इस सपने की ताबीर को ख़ुद शेख़ से पूछा जाए, तो मैं उनके पास गया और सपने के बारे में उनको बताया।
आपने कहाः शैतान ने बिलकुल ठीक कहा उस मलऊन ने मुझे धोखा देना चाहा लेकिन ख़ुदा के रहम और उसकी कृपा से मैं उसके जाल में फंसने से बच गया।
बात यह है कि कम मेरे पास पैसे बिलकुल भी नहीं थे और घर में एक आवश्यकता पेश आ गई थी मैंने सोंचा कि मेरे पास सहमे इमाम का कुछ पैसा पड़ा है अभी उनके ख़र्च का समय भी नहीं आया है मै उसमे क़र्ज़ ले लेता हूँ और बाद में अदा कर दूँगा यह सोंचकर मैंने उसमें से पैसे लिए और घर से बाहर निकला, जैसे ही चाहा कि वह चीज़ जिसकी मुझे आवश्यकता थी ख़रीदूँ, अचानक मेरे दिल में यह ख़्याल आया कैसे पता कि मैं यह क़र्ज़ अदा कर पाऊँगा इसी सोंच में था कि मैंने वह चीज़ न ख़रीदने का पक्का इरादा कर लिया और घर लौट आया और उन पैसों को उनके स्थान पर वापस रख दिया
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हज़रत अली (अ) ने फ़रमायाः
اتق اللہ فی نفسک و نازع الشیطان قیادک و اصرف الی الاخرۃ وجھک وجعل للہ جدک
अपने नफ़्स के बारे में अल्लाह से डरो और उसी रस्सी को अपनी तरफ़ ख़ींच लो जिससे शैतान तुमको अपनी तरफ़ ख़ींच रहा है, अपना चेहरा आख़ेरत की तरफ़ और अपनी सारी कोशिशों को केवल अल्लाह के लिए लगाओ
गुररुल हेकम जिल्द 2 पेज 211 इब्लीस नामा से लिया गया पेज 71
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