मोमिनों के लिए दुआ का सवाब

मोमिनों के लिए दुआ का सवाब

इब्राहीम बिन हाशिम कहते हैं मैंने अरफ़ात में अब्दुल्लाह बिन जुनदब से अधिक दुआ मांगने वाला कोई व्यक्ति नहीं देखा। मैंने देखा कि हर समय उनके हाथ आसमान की तरफ़ उठे हुए हैं और उनकी आँखों से आँसुओं की बरसात हो रही है।

मैंने उनसे कहा कि अरफ़ात के मैदान में मैंने किसी और व्यक्ति को इस प्रकार दुआ मांगते हुए नहीं देखा है।

अब्दुल्लाह बिन जुनदब ने कहाः ख़ुदा की क़सम मैंने इस स्थान पर अपने लिए कोई दुआ नहीं की है मैंने जितनी भी दुआ कि है वह अपने दीनी भाइयों के लिए की है।

क्योंकि मैंने इमाम मूसा काज़िम (अ) से सुना था उन्होंने फ़रमायाः जो अपने दीनी भाईयों के लिए उनके पीछे दुआ करे तो आसमान से आवाज़ आती है कि हमने तेरे लिए एक लाख दुआएं स्वीकार कीं। और हमारे फ़रिश्तों ने तुम्हारे लिए दुआ मांगी और फ़रिश्तों ने आमीन कहा।

इसी लिए मुझे यह अधिक मुनासिब लगता है कि अपने लिए दुआ करने से अच्छा है कि इन्सान अपने भाईयों के लिए दुआ करे ताकि उसकी अपनी हाजतें भी पूरी हों और दीनी भाईयों की भलाई चाहने का सवाब भी प्राप्त हो

(मुनतहल आमान जिल्द 2 पेज 163 पन्दे तारीख़ से लिया गया पेज 61)

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