सीरियाई कुंवारी लड़की 300 डॉलर में / शरणार्थी कैंप की बुरी हालत
"अमानी" 22 साला सीरियाई लड़की है जिसने दो महीने पहले जंग के कारण सीरिया की राजधानी दमिश्क़ के अपने घर को छोड़ा है और तमाम मुश्किलों के साथ वह जॉर्डन के सरहद पर स्थित शरणार्थी कैंप "अलज़ातरी" पहुँची है, यह उत्तरी पश्चिम जॉर्डन का वह शिविर जिसमें उसके माँ बाप और भाई दूसरे शरणार्थियों के साथ रह रहे हैं।
शिया न्यूज़ ने अलआलम के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अमानी जो कि पहले दमिश्क़ शहर के केन्द्र में अपने पति और पाँच बच्चों के साथ रह रही थी ने कहाः हम अलज़ातरी शिविर में जानवरों की भाति क़ैद एक पिंजरें में जी रहे हैं और इस शिविर से बाहर आने का कोई रास्ता नहीं है। मैं सप्ताह के सातों दिन कम से कम दस घंटे अलज़ातरी के शिविर में एक ग़ैर सरकारी केन्द्र में काम करती हूँ और तीन सप्ताह तक काम करने के बाद मुझे केवल तीन डॉलर मिले हैं जब्कि मेरी माँ बीमार और मेरे पिता बूढ़े हैं और मेरी बच्ची को भी मेरी आवश्यकता है, संक्षेप में यह है कि इस शिविर में जीवन बहुत कठिन हो गया है।
अमानी ने बतायाः मैं सप्ताह में तीन डॉलर के साथ अपने दस लोगों के परिवार का पेट नहीं पाल सकती इसलिए मजबूरी में मैं अपनी 14 साल की बहन "क़ुमरा" को भी इस ग़ैर सरकारी केन्द्र में लाई लेकिन कमाई बढ़ने के बावजूद जीवन कठिन है।
"इन्टर प्रेस" जिसने अमानी का साक्षात्कार किया है कहता हैः अलज़ातरी के शिविर में पैसा कमाने का एक माध्यम "लड़कियों को बेचना है" और अमानी भी अपनी बहन क़ुमरा को एक सऊदी के हाथों बेचने पर मजबूर हो गई। मैंने जॉर्डन, मिस्र और सऊदी अरब के रहने वालों को इस शिविर में "कुंवारी लड़कियों" की तलाश में घूमते हुए देखा है, यह लोग हर लड़की के लिए 300 डॉलर देते हैं।
अलज़ातरी शिविर सीरियाई शरणार्थियों से भरा हुआ है और लगभग साढ़े तीन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में टेंट लगाए गए हैं और वहां एक लाख पचास हज़ार सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं, यह आंकड़ा शिविर की क्षमता के तीन बराबर है।
अमानी ने बतायाः अलज़ातरी शिविर जंगल के बीच स्थित है और यहा के निवासी रेतीले तूफ़ान और विभिन्न प्रकार की बीमारों का प्रकोप झेल रहे हैं और मानवता के नाम पर भेजी जाने वाली थोड़ी सी मदद जो इस में कैंप पहुँचती है वह सब तक नहीं पहुँच पाती है, और जिनके पास खाने के लिए खाना या कम्बल इत्यादि नहीं है, वह इस खाने और गर्म करने वाली चीज़ों को उन लोगों से ख़रीदने पर मजबूर हैं जिनको यह फ्री मिला है, दूसरे शब्दों में, यहां भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा बहुत कठिन है।
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