अहंकार की इन्तेहा

अहंकार की इन्तेहा

बद्र की जंग में एक मुजाहिद उमर बिन जमूह ने अबू जहल पर हमला किया। उमर ने अबू जहल की रान पर तलवार मारी और उसने उमर के बाज़ू पर हमला किया जिससे सहाबी का बाज़ू कट गया। लेकिन खाल से जुड़े होने के कारण उसका बाज़ू लटकने लगा।

अबदुल्लाह बिन मसूद दौड़कर आए, उस समय अबू जहल ख़ून से लतपत था।

अबदुल्लाह ने अबू जहल को पटक कर उसके सीने पर पैर रखा और कहाः अल्लाह का शुक्र है जिसने तुझे अपमानित किया।

अबू जहल ने कहाः तू ग़लत कहता है ख़ुदा ने तुझे अपमानित किया है, बताओ आज हुकूमत किसकी है?

अबदुल्लाह बिन मसूद ने कहाः आज हुकूमत अल्लाह और उसके रसूल की है।

अबू जहल ने कहाः हाय मेरा दुर्भाग्य एक चरवाहा मेरा क़ातिल बन रहा है। काश आज मुझे अबू तालिब का बेटा मुझे क़त्ल करता तो यह मेरे लिए सम्मान होता।

फिर उसने अबदुल्लाह बिन मसूद से कहाः मेरे सीने से उतर जा क्योंकि तूने एक उच्च स्थान पर क़दम रखा है।

अबदुल्लाह बिन मसूद ने कहाः शैतान तैयार हो जा मैं तुझे मारने जा रहा हूँ।

यह सुनकर अबू जहल ने कहाः अच्छा अगर यही मेरी क़िस्मत है तो मेरी गर्दन को कंधों से अलग करना ताकि जब मोहम्मद (स) के सामने हमारी बिरादरी के सारे सर जाएं और मेरा भी सर जाए तो क्योंकि मैं सरदार हूँ इसलिए मेरी गर्दन लम्बी होनी चाहिए और मैं क़त्ल किए गए लोगों में अलग दिखाई दूँ।

अबदुल्लाह बिन मसूद ने कहाः शैतान इस समय भी तेरे दिमाग़ में घमंड और अहंकार भरा हुआ है। मैं तेरी गर्दन को तेरे मुंह के पास से काटूँगा ताकि ताकि सब क़त्ल किए गए लोगों में से तेरा सर छोटा दिखाई दे।

फिर अबदुल्लाह बिन मसूद ने उसे क़त्ल कर दिया और उसका सर काट कर रसूले इस्लाम (स) के समक्ष प्रस्तुत किया।

नबी (स) ने इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु के सर को देखकर शुक्र का सजदा किया।

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