सीरिया में अलवियों के गाँव पर वहाबियों के भयानक अपराध की रिपोर्ट / फ़िल्म
आख़िर क्यों "जिबहतुन नसरा" और दूसरे उग्रवादी गुटों के आतंकवादी होने के बावजूद अरबी- पश्चिमी देश उनका समर्थन कर रहे हैं और उनको वभिन्न प्रकार के हथियार दे रहें हैं ताकि वह इस प्रकार की घटनाएं आंजाम दे सकें?
मानवाधिकार संगठन ने सीरिया के उत्तर में स्थित अलवी लोगों के गाँव "बरवदा" से जो तस्वीरें ली हैं वह वहाबी विद्रोहियों के अपराधों का मुह बोलता सूबूत हैं जो स्वंय के मुसलमान कहते हैं, लेकिन उनकी निगांहों में किसी भी इन्सान की जान की कोई अहमियत नहीं है।
यह गाँव लगभग दो सप्ताह तक वहाबी कंट्रोल में रहने के बाद जब दो महीने पहले आज़ाद हुआ तो "ह्यूमन राइट्स वॉच" ने उन घटनाओं और अपराधों को देखा जो आम नागरिकों विशेषकर औरतों और बच्चों के साथ किये गए थे।
बीबीसी ने जिबहतुन नसरा के द्वारा इस गाँव में होने वाली घटनाओं की रिपोर्ट देते हुए वहाबियों और दूसरे मुसलमानों को एक लाइन में खड़ा करते हुए कहाः "ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस्लामी उग्रावदियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अलवियों के कई परिवारों को मौत के घाट उतार दिया है और लगभग 200 आम नागरिकों को बंधक बना लिया है।"
ह्यूमन राइट्स वॉच के लामा फ़क़ीह ने बीबीसी से कहाः "जब हम गाँव में पहुँचे तो हमने देखा कि घर जल चुके थे और वीरान थे और शायद इसीलिए बहुत से गाँव वाले अपने घरों में वापस नहीं आए हैं। हमने जिन गाँववालों से बात की उन्होंने हमें बताया किः जब वह दो सप्ताह के बाद सीरियाई सेना से संरक्षण में अपने गाँव वापस आए तो उन्होंने यहां का यह हाल देख। झकझोर देने वाली बात जो उन्होंने बताई वह यह थी की उन्हों ने बतायाः जो लोग गाँव से भागने में सफल नहीं हो पाए थे या जिनको विद्रोहियों ने बंधक नहीं बनाया था वह सब के सब मार दिए गए थे।"
इर रिपोर्ट में "हसन शिबली" नामी एक गाँववाला जिसकी पत्नी और अपाहिज बेटे को वहाबियों ने मौत के घाट उतार दिया था से बात की गई।
इस व्यक्ति ने ह्यूमन राइट्स वॉच वालों को वह स्थान दिखाया जहां पर वहाबियों ने उसकी पत्नी और अपहिज बेटे को अलवी होने के जुर्म में मौत के घाट उतार दिया था।
इर रिपोर्ट में आगे बीबीसी ने जिबहतुन नसरा का परिचय कराया जो कि अरबी और पश्चिमी देशों की मीडिया और हथियारों के समर्थन के साथ और इस्लाम के नाम पर इस्लाम का चेहरा ख़राब करने के लिए इस प्रकार की घटनाएं अंजाम दे रहा है।
इस गुट के परिचय में कहा गयाः इस दीवार पर अलनसरा गुट का नाम दिखाई देता है जो कि अलक़ायदा की एक शाख़ा है।
अलनसरा गुट उन गुटों में से एक है जो बशार असर की हुकूमत के विरुद्ध हथियार उठाएं हैं। बम लगाना और बिना किसी लक्ष्य के हमले करना इस गुट की रणनीति हैं जिसके कारण पश्चिमी देशों ने इसको आतंकवादी संगठन क़रार दिया है।
आख़िर क्यों जिबहतुन नसरा और दूसरे उग्रवादी गुटों के आतंकवादी होने के बावजूद अरबी- पश्चिमी देश उनका समर्थन कर रहे हैं और उनको वभिन्न प्रकार के हथियार दे रहें हैं ताकि वह इस प्रकार की घटनाएं आंजाम दे सकें? यह वह प्रश्न है जिसको न केवल बीबीसी बल्कि बोलने की आज़ादी का ढोल पीटने वाले दूसरे चैनल भी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं।
इस रिपोर्ट के अंत में बीबीसी ने बिना किसी सुबूत के सीरियाई सेना द्वारा अपराध की बात बताते हुए कहाः हथियारबंद विद्रोहियों द्वारा अलवियों के गाँव पर हमले ने बशार असद के विरोधी देशो को भी परेशानी में डाल दिया है अगरचे स्वंय सेना ने जो उसके जैसे अपराध अंजाम दिए हैं उसका कोई औचित्य पेश करना आसान नहीं होगा।
वीडियों देखने के लिए क्लिक करेः http://www.tvshia.com/farsi/index.php/news/2346-%D9%81%DB%8C%D9%84%D9%85...
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