ईश्वरीय शक्ति
ईश्वरीय शक्ति
एक दिन शैतान हज़रत ईसा (अ) के पास आया और उनसे कहने लगाः
क्या तुम्हारा ख़ुदा पूरी धरती को एक अंडे में इस प्रकार कि न तो अंडा बड़ा होने पाए और न ही धरती छोटी होने पाए दाख़िल कर सकता है?
हज़रत ईसा (अ) समझ गए कि शैतान की यह बात केवल भटकाने और धोखा देने के लिए है।
आपने उत्तर में कहाः लानत हो तुझ पर निसंदेह ख़ुदा के लिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह नहीं कर सकता और वह हर कार्य की शक्ति रखता है ईश्वर के अतिरिक्त वह कौन है जो धरती को नर्म, नाज़ुक और अंडे को बड़ा कर सकता है ?
(तौहीद शेख़ सदूक़ बाब 9 पेज 127-130)
हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अ) एक रिवायत में फ़रमाते हैं:
यह एक ऐसा प्रश्न है तो संभव नहीं हो सकता है।
(तौहीद शेख़ सदूक़ बाब 9 पेज 127-130)
इमाम रज़ा (अ) इस प्रश्न के उत्तर में फ़रमाते हैं:
हां ईश्वर इस प्रकार की शक्ति रखता है जो उसे अंडे से भी छोटी चीज़ में प्रवेश करा दे जिस प्रकार तुम्हारी आँखों की पुतली में जो अंडे से भी छोटी है उसमें दाख़िल किया है और इसका सुबूत यह है कि तुम जब भी आँख खोलोगे तो ज़मीन और आसमान और जो कुछ भी इनके बीच में है उसे अपनी आँखों से देखोंगे।
(तौहीद शेख़ सदूक़ बाब 9 पेज 130)
स्पष्ट रहे की जो लोग इस प्रकार के प्रश्न करते हैं उनका मक़सद केवल लोगों को ख़ुदा से दूर करना और भटकाना होता है क्योंकि इन प्रश्नों में कहीं पर भी ख़ुदा शक्तिविहीन नहीं दिखाई देता है बल्कि वह चीज़ जो इस चीज़ को स्वीकार नहीं कर सकती है वह शक्ति विहीन है।
जैसे अगर आप एक रबड़बैंड लें और उसको खीचना आरम्भ करें तो वह एक स्थान पर जाने के बाद खिंचना बंद कर देगी, तो क्या उसके बाद आपकी खींचने की शक्ति समाप्त हो गई?
नहीं ना।
यह वह रबड़बैड हैं जो अब नहीं खिंच सकती अब अगर और ख़ीची जाए तो वह टूट जाएगी।
इसी प्रकार ज़मीन और अंडे, या सुई के नाके से ऊँट को निकालना, या समुद्र को एक गिलास में लाना आति प्रश्न है। इनमें इतनी शक्ति नहीं है कि वह ख़ुदा की शक्ति को स्वीकार कर सके।
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